#भारतवंशी न थकते हैं,न------!
'भारतवंशी न थकते हैं न-रूकते हैं,न-----! हां भाई! और ,न हार मानते हैं।यही है हमारी विशेषता और हमारी पहचान।अथक परिश्रम--अर्थात् बिना थके,लक्ष्य के प्रति जागरूक और काम में तल्लीन। सामने पहाड़ हो , सिंह की दहाड़ हो। फिर भी ये रूके नहीं,कभी ये झुके नहीं।। बचपन में हिंदी की पुस्तकों में पढ़ी कविताएं आज भी अनवरत आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है, क्योंकि सदियों की साधना और शोध इनका मार्गदर्शन करता है। भारतवंशियो की जब आन पर बनी है तो कैसे इन्होंने अकेले ही सूखे रेगिस्तान का सीना चीरकर अपने और अपने समाज के लिए मीठे जल का सोता बहा दिया है।यह इतिहास जानता है। इसी प्रकार आदरणीय दशरथ मांझी का नाम आज विश्व इतिहास में इसलिए अमर है क्योंकि उन्होंने अकेले ही अपने मार्ग में आने वाले बिकट पहाड़ की छाती दो फाड़ कर अपना राह निकाल लिया था।
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