Rakshabandhan 2023 रक्षाबंधन (निबंध) भाई बहन के प्रेम का त्योहार, महत्त्व
रक्षाबंधन पर्व निबंध, rakshabandhan festival , essay on rakshabandhan in hindi, रक्षाबंधन त्योहार कब होता है। इस वर्ष 2023 को रक्षाबंधन 31 अगस्त गुरुवार को मनाया जाएगा।
1.भूमिका 2.रक्षाबंधन क्यों मनाते हैं, 3.रक्षाबंधन कैसे मनाते हैं , 4.भाई बहन का पवित्र त्योहार , 5.उपसंहार।
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रक्षा प्रबंधन त्योहार rakshabandhan festival 2022
राखी बंधवा ले भैया सावन आयो , जिया तू लाख वरिष हो।
रक्षाबंधन त्योहार 2023 में कब है ?
इस वर्ष 31 अगस्त गुरु वार को रक्षाबंधन त्योहार मनाया जाएगा।
भाई - बहन के पवित्र प्रेम का त्योहार रक्षाबंधन श्रावणी पूर्णिमा को बड़े धूमधाम और उल्लास पूर्वक मनाया जाता है। बहनों को इस दिन का बड़ा बेसब्री से इंतजार रहता है, क्योंकि उनके भाई दूर-दूर से उनके पास रक्षा सूत्र बधाने के लिए दौड़े चले आते हैं। बहनें भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं। राखी के रेशमी धागे समर्पण, प्रेम और त्याग के प्रतीक होते हैं।
रक्षाबंधन प्राचीन त्योहार है। पुराणों में भी इसकी कथा मिलती है। एक बार की बात है। धर्मराज युधिष्ठिर ने देवकीनंदन श्री कृष्ण से सांसारिक कष्टों से मुक्ति का उपाय पूछा था। तब देवकीनंदन श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को समझाते हुए कहा, हे धर्मराज युधिष्ठिर! प्राचीन काल में बड़ा भीषण देवासुर संग्राम प्रारंभ हुआ था। युद्ध भूमि में असुरों का पलड़ा भारी पड़ रहा था। मैं तुम्हें वही उपाय बताता हूं जो उपाय देवराज इंद्र की रक्षा के लिए इंद्राणी ने किया था। देवगण पिछड़ रहे थे। देवेंद्र भी हार की ओर थे। देवेंद्र की यह दशा इन्द्राणी से देखी नहीं गई। उन्होंने पूर्णिमा के दिन विधिपूर्वक तैयार किया हुआ रक्षा सूत्र देवराज इंद्र की दाहिनी कलाकार पर बांधकर श्रद्धा पूर्वक युद्ध के लिए भेजा था। यह रक्षा सूत्र का अद्भुत प्रभाव हुआ। देवेंद्र जीत गए और असुरराज बलि बंदी बना लिए गए। इसलिए कहा गया है कि जो लोग रक्षा बंधन बांधते हैं उनके पास साल भर ना तो कोई बीमारी नहीं आती है और ना ही कोई अशुभ प्रभाव पड़ता है। सर्वरोगोपशमनम् सर्वशुभविनाशनम्। ।
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रक्षाबंधन के दिन ब्राह्मण पुरोहित भी अपने यजमान और उनके अस्त्र - शस्त्रों में और सेठ बनियों की तिजोरी में रक्षा सूत्र बांधते हुए मंत्र पढ़ते है ये न बद्धौ बलि राजा दानवेन्द्रो महाबल। तेन तर्वं प्रतिभधामि रक्षे मां चल मा चल ।। येनरक्षाकृतोभवतेत ।।भाई-बहन के इस दिव्य और प्रेम भरे त्यौहार की कई कहानियों को सुना और सुनाई जाती है। मुगल सम्राट हुमायूं और बहन कर्णावती की राखी की कहानी कौन नहीं जानता।
दुराचारी डाकू -लुटेरे भी राखी की लाज रखने के लिए अपनी जान दांव पर लगा देते हैं। सचमुच रेशम के कच्चे टुकड़ों में जो अपार शक्ति निहित है, वह लोहे की मजबूत जंजीरों में नहीं है। इसलिए राखी के कच्चे धागे में जो एक बार बध गया,वह सदा के लिए अपना हो गया। एक ओर यह हमें भाई बहन के प्रेम की याद दिलाता है तो दूसरी और हमें व्यक्तिक, सामाजिक और राष्ट्रीय ईमानदारी का भी बोध कराता है।
जो एक बार इस पवित्र बंधन में बंध गया, उसका निकलना जीवन भर असंभव है। वास्तव में यह भाई बहन के प्रेम और एक दूसरे की रक्षा के संकल्प का पर्व है।
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