तीज (हरतालिका, बूढ़ी तीज ),पूजन विधि, पूजा का महत्त्व



Teez, hartalika तीज

तीज का त्योहार कौन मनाते हैं। तीज व्रत उपवास कौन करतीं हैं। तीज 2024 में कब है। तीज पूजन सामग्री, तीज पूजा की विधि, तीज में किस भगवान की पूजा होती है। तीज में सुहाग सिंघोडा का महत्व।


 तीज सुहागिन स्त्रियों का प्रमुख त्योहार है, जिसका उन्हें वर्ष भर इंतजार रहता है।शाम की गोधूली बेला में पूरी श्रद्धा और भक्ति से अपने मायके से आई वस्त्रादि, सुहाग की चीजें और आभूषण धारण कर स्त्रियां भगवान आशुतोष शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना कर लम्बे सुहाग की वरदान मांगती हैं। इसे हरतालिका और बूढ़ी तीज भी कहा जाता है।      

   05  सितंबर 2024 को तीज का त्योहार है                                              

-------#----------#--------------#---------------#-------------      सुहागिन स्त्रियों का प्रमुख त्यौहार तीज, जिसका उन्हें पुूरा साल इंतजार रहता है, वह है हिंदी महीने के  भाद्रपद शुक्ल पक्ष तिथि तृतीय को ।यह  पर्व स्त्रियां पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ करती है।
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हरतालिका का तात्पर्य है हरण अलिका ,अर्थात सहेली का हरण। एक बार की कथा है कि माता पार्वती की सहेलियां उन्हें हरण कर वन में ले गई थी। वही उन्होंने भगवान शिव भोलेनाथ की पूजा- आराधना पूरी श्रद्धा भक्ति से की थी। इसलिए इस पर्व का नाम हरतालिका पड़ा है। कहीं-कहीं इसे बूढ़ी तीज भी कहते हैं। इसके पीछे लोगों का यह कथन है कि इस पर्व में बूढ़ी सास अपनी बहू को सुहाग का प्रतीक सिंघोड़ा प्रदान कर                   सौभाग्य वृद्धि का आशीर्वाद देती है।

तीज


.                                             पूजन- सामग्री                       गीली काली मिट्टी, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता धथूरे का फूल एवं फल, तुलसी का पत्ता, जनेऊ, फल फूल, नारियल, कलस, अबीर ,घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, जौ का सत्तू, गुड, खीरा।   

सुहागिन स्त्रियों के लिए यह तीज इतना महत्व का है तो इसकी तैयारी भी हप्तो पहले से ही होने लगती हैं। पिता के घर से तीज के नाम से वस्त्र और आभूषण तथा मिठाइयां आतीं हैं।उत्साह और उल्लास का वातावरण बना रहता है। www.bimalhindi.in

एक दिन पूर्व अर्थात द्वितीया तिथि को पूरी सात्त्विकता और नेम धर्म के साथ नहाय खाय किया जाता है। फिर तृतीया को निर्जला उपवास।

    शाम में सभी सुहागिनें एक जगह एकत्रित हो कर पंडित पुरोहित से कथा सुनती हैं तथा शक्ति सामर्थ्य के अनुसार दान दक्षिणा देती हैं।"उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रत महम् करिष्ये।" मंत्र के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता है। 

कहीं कहीं कुछ और रीति रिवाज का भी प्रचलन है। सुहागिन स्त्रियों दिन भर उपवास के बाद खूब भोर में उठकर स्नानादि करके सोलहो श्रृंगार कर जौ के आटे,गुड़,फल फूल से सिघोड़ा की पूजा आराधना कर सदा सुहागिन होने का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। 

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