स्वतंत्रता दिवस (Independence day) 2022

स्वतंत्रता दिवस पर निबंध भाषण


स्वतंत्रता दिवस पर निबंध, भाषण, independence day

76 वां स्वतंत्रता दिवस ( अमृत महोत्सव )

Table of contents

1. प्रस्तावना
1.2. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम
1.3. प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी
बाबू वीर कुंवर सिंह, महारानी लक्ष्मीबाई
1.4 स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य महान सेनानी
 महात्मा गांधी, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, आदि
1.5 स्वतंत्र भारत की चुनौतियां

नहीं चाहते हम धन दौलत,                                        नहीं चाहते हम अधिकार।                                          बस स्वतंत्र रहने दो हमको।                                      और स्वतंत्र कहे संसार।।                                                                                                                    15अगस्त 1947 भारतीय इतिहास का वह स्वर्णिम दिन है जब जब हमारा देश विदेशी दासता के जालिम पंजो से आजाद हुआ था। स्वतंत्रता  दिवस कई कारणों से महत्वपूर्ण, प्रेरणादायक और महान पर्व है। स्वतंत्रता का मूल्य धन दौलत नहीं बल्कि  प्राणों की आहुति देकर चुकाना  पड़ता है। कई - कई पीढ़ियों  तक लोगों को  जुल्म की चक्की में पीसना पड़ता है, तब कहीं जाकर अपना राष्ट्रीय ध्वज मुक्त आकाश में  फहराने का सौभाग्य प्राप्त होता है। 15 अगस्त हम भारत वासियों के लिए प्रति वर्ष यही सौभाग्य लेकर आता है।                                                       भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की कहानी बहुत लंबी है। हमारा देश भारत लगभग 400 वर्षों तक अंग्रेजों का गुलाम रहा। यहां कई देशों के व्यापारी व्यापार करने आए परंतु जालिम अंग्रेज हमारी सरलता , सहिष्णुता और  सहृदयता का नाजायज लाभ उठाकर यहां अपनी सेनाएं स्थापित कर ली। धीरे धीरे हमारी आप सी फूट और अनेकता का गलत लाभ लेकर संपूर्ण देश पर कब्जा जमा लिया। सोने की चिड़िया कहा जाने वाला भारत अंग्रेजों का पराधीन हो गया। भोली- भाली जनता अंग्रेजों के जुल्मों  की चक्की में पीसाने लगी और हमारा धन दौलत विदेश जाने लगा।  

  ( रक्षाबंधन और वर्षा ऋतु पर निबंध भी अवश्य पढ़ें ,www.bimalhindi.in पर click करें )।   

                                                                                 प्रथम स्वतंत्रता संग्राम   


                                            ------------------------------                          (१८५७) सन अट्ठारह सौ सत्तावन में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का बिगुल बज उठा। मंगल पांडे, बाबू वीर कुंवर सिंह, पेशवा बाजीराव,  झांसी की रानी लक्ष्मी बाई तात्याटोपे जैसे हजारों सपूतों ने शौर्य साहस और रण कौशल से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। लेकिन अफसोस प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष का परिणाम हमारे पक्ष में नहीं रहा। हम हार गए पर बुझे नहीं। संघर्ष लगातार चलता रहा। अनेक माताओं की गोदे सूनी होती रहीं। बहनों से भाई बिछड़ते रहे। खून की नदियां बहती रही लेकिन स्वतंत्रता का संघर्ष चलता रहा।

 

                    प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी।                        --------------------------+----------------------।       

 1.   बाबू वीर कुंवर सिंह-----                                           

 ---------------- -----------.   

                                               

   अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह का जन्म बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में 1783 ईस्वी में हुआ था। अपने पिता साहब ज्यादा सिंह की मृत्यु के बाद उन्होंने जगदीशपुर की रियासत की जिम्मेवारी संभाली। उन दिनों ब्रिटिश हुकूमत का अन्याय चरम पर था। कृषि उद्योग व्यापार सब कुछ का बुरा हाल था। अंग्रेजों के खिलाफ देशभर में असंतोष फैल गया था।

 ऐसी परिस्थिति में बाबू वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लेने का संकल्प किया।             बाबू वीर कुंवर सिंह युद्ध कला में बड़े निपुण थे। उनकी वीरता और कौशल की क्षमता देखकर अंग्रेजों का दिल भी दहल गया। उन्हें समझना अंग्रेजों के वश में नहीं था। 

एक बार वे अपनी सेना लेकर गंगा नदी पार कर रहे थे। उन्होंने अफवाह फैला दी की वे अपनी सेना को हाथियों पर चढ़ाकर बलिया से गंगा पार करवाएंगे। अंग्रेज अफसर डग्लस को इसकी भनक लग गई। उसने बड़ी सेना लेकर बलिया के गंगा घाट को घेर लिया लेकिन बाबू वीर कुंवर सिंह की चाल  के सामने उसकी एक न चली। उन्होंने अपने सेना को वहां से बहुत दूर नाव से गंगा पार करवाया। अंत में जब गंगा पार कर रहे थे तो अंग्रेजों ने उनकी कलाई में एक गोली मार दी। बाबू साहब ने अपना वह हाथ काटकर मां गंगा को अर्पित कर दिया।   अस्सी  वर्ष का यह वीर योद्धा आज भी अमर है। कहते हैं------।  

                                                                            

 चला गया यूं कुंवर अमरपुर साहस से सब अरि दलजीत                                                                                     

उसका चित्र   देख कर अब भी दुश्मन होते हैं भयभीत।

 वीर प्रश्विनी भूमि धन्य वह धन्य वीर वह धन्य अतीत।

 गाते थे और गाएंगे हम  हरदम उसकी जय का गीत। 

स्वतंत्रता का सैनिक था आजादी का दीवाना था।       

 सब कहते हैं कुंवर सिंह बराबर बड़ा वीर मर्दाना था।  ।   

                                                                                 

  झांसी की रानी लक्ष्मीबाई-------                               

    सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भ्रुकुटी तानी थी।     

   बूढ़े भारत में भी आई फिर से नहीं जवानी थी।        

   गुमी हुई आजादी की कीमत सबने पहचानी थी।       

   दूर फिरंगी को करने को सबने मन में ठानी थी।       

 चमक उठी सन 57 में वह तलवार पुरानी थी।           

  खूब लड़ी मरदानी वह तो झांसी वाली रानी थी।    

                   सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की यह पंक्तियां महारानी लक्ष्मी बाई की वीरता और प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान और महत्व प्रदर्शित करने के लिए काफी है। 23 वर्ष की कम अवस्था में उन्होंने अपनी वीरता ,साहस और रण कौशल से अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे। बड़े बड़े अंग्रेज अफसर उनके नाम सुनकर थर्राने लगते थे।                                                                                                                                           वीर भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, सुभाषचंद्र बोस, खुदीराम, ,अशफाक उल्ला खान ,वीर सावरकर   जैसे वीरों के अदम्य साहस और बलिदान तथा महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण, सरदार वल्लभ भाई पटेल जैसे हजारों लाखों भारतीय सपूतों के तप और त्याग ने रंग लाया और 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हो गया।    

                                                                 15 अगस्त हमारा राष्ट्रीय पर्व है। इस दिन दिल्ली के लाल किले पर राष्ट्रध्वज फहराकर हमारे प्रधानमंत्री समारोह का शुभारंभ करते हैं। तीनों सेनाओं की सलामी टुकड़ियां, होमगार्ड, पुलिस ,अर्ध सैनिक बल एनसीसी के छात्र-छात्राएं सलामी प्रदर्शन के लिए यहां आते हैं। ध्वजारोहण होते हैं राष्ट्रगान के साथ ध्वज को सलामी दी जाती है। यहीं से प्रधानमंत्री राष्ट्र के नाम अपना संदेश भी देते हैं।    

                                                      देशभर के विभिन्न प्रदेशों के कार्यालयों, स्कूलों कॉलेजों ,न्यायालयों ,सरकारी अर्ध सरकारी भवनों में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर राष्ट्रगीत गाया जाता है। सुबह से ही छात्र-छात्राएं रंग-बिरंगे परिधानों में सज कर हाथ में तिरंगा लिए विद्यालयों में आने लगते हैं। झांकियां प्रभात फेरी निकाली जाती है। बच्चों को स्वतंत्रता के महत्त्व की बातें बता कर मिठाइयां बांटी जाती है ।   

         स्वतंत्र भारत की चुनौतियां                                                                           

   15 अगस्त हम भारत वासियों के लिए आनंद और उल्लास का पर्व तो है ही साथ ही यह संकल्प लेने का सुअवसर भी है। राजनीतिक  गुलामी  तो गई परंतु अभी भी आतंकवाद गरीबी बेरोजगारी, भेदभाव, अशिक्षा जैसी अनेक समस्याएं हमारे विकास में बाधक बनी हुई है। वैश्विक महामारी करोना ने समस्त विश्व को गहरे संकट में डाल दिया है। हमारा प्यारा भारत भी वर्षों पीछे चला गया है। आइए, हम सब इन समस्याओं का एकजुट होकर सामना करने का संकल्प ले और महात्मा गांधी, नेहरू, तिलक टैगोर  हेडगेवार  और समस्त वीर सेनानीओ के सपनों का भारत बनाने का प्रयास करें।  ***********                        


   स्वतंत्रता आंदोलन के कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी   

         १.   महात्मा गांधी----

---इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। इनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 ईसवी को पोरबंदर नामक स्थान में हुआ था ।इनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। इन्हें बापू और राष्ट्रपिता के नाम से भी संबोधित किया जाता है। इन्होंने 1917 ईसवी में चंपारण में किसानों की समस्याओं को समाप्त करने के लिए सत्याग्रह प्रारंभ किया। 1919 इस्वी में असहयोग आंदोलन की घोषणा की । 1942 में भारत छोड़ो का नारा बुलंद हुआ। देश की आजादी में इस अहिंसा के पुजारी का बहुत बड़ा योगदान है।  

                                                                                 २. नेताजी सुभाष चंद्र बोस---

-------इनका जन्म उड़ीसा के कटक नामक शहर में 23 जनवरी 1887 ईसवी को हुआ था इनके पिता जी राजबहादुर जानकी नाथ बोस नगर के गणमान्य वकील थे तथा कटक नगर निगम और जिला बोर्ड के प्रधान थे। सुभाष जी ने 1913 ईस्वी में मैट्रिक पास की और उच्च शिक्षा के लिए कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसिडेंसी कॉलेज में आ गए। वे 1919 में भारतीय सिविल सर्विस की परीक्षा देने लंदन गए। इनकी चतुराई और मेघा विता के कई किस्से मशहूर हैं।    

                              नेताजी पूर्ण स्वराज्य और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए फारवर्ड ब्लाक की स्थापना की। उन्होंने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बनाया।" तुम मुझे खून दो और मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा देकर इन्होंने देशवासियों को जगा दिया। कहां जाता है कि 1945 इस्वी में एक विमान दुर्घटना में इनकी मृत्यु हो गई। परंतु इस खबर पर आज भी जनता विश्वास नहीं करती। 



लेखक - डॉ उमेश कुमार सिंह, भूली नगर धनबाद झारखंड, भारत

Popular posts of this blog

 (  Click करें और इसे भी पढ़ें ) Republic Day Essay 

कृष्णा सोबती द्वारा मिया नसरुद्दीन की कहानी



लेखक

डॉ उमेश कुमार सिंह,
भूली नगर धनबाद झारखंड राज्य, भारत

टिप्पणियाँ

Recommended Post

Bade Ghar ki Beti , story, बड़े घर की बेटी, कहानी , प्रेमचंद

फूल और कांटा (Phul aur Kanta) poem

1.संपादन ( sampadan) 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

चेतक ( कविता ) Chetak horse

बच्चे काम पर जा रहे हैं , कविता, कवि राजेश जोशी, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर, राजेश जोशी का जीवन परिचय, Bachche kam pr ja rhe hai poem, 9th class hindi