Shree Ganesh chaturthi.श्री गणेश पूजा , गणेश पूजन का महत्व, विधि।
गौरी सुत श्री गणेश की पूजा आराधना भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को खूब धूमधाम से भारत सहित दुनिया के अन्य हिस्सों में मनाया जाता है।श्री गणेश जी को गजानन गणपति एकदंत गौरी सूत विनायक आदि कई नामों से भक्तजन पुकारते हैं। विधि विधान से पूजा कर भगवान गणेश से बल बुद्धि धन्य धान्य, संतान, सुख समृद्धि की प्राप्ति सहजता से की जाती है।(www.bimalhindi.in) गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बू फलचारूभक्षणम् ।उमासुतं शोकविनशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।।
अर्थात गजानन भूत गणों से सेवित, कपित्थ,जम्बू जिसका प्रिय भोजन है पार्वती पुत्र शोक विनाशक गणेश जी को मेरा नमन।
वक्रतुंड महाकाय सुर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नकुरू में देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।
अर्थात घुमावदार सूंड वाले जिनका विशाल शरीर है, और जो कड़ोरो सूर्यो के प्रकाश के समान दिखते हैं,वे गणेश जी मेरे सभी कार्य पूर्ण करें। श्रीगणेश जन्म- कथा ******"""""******
एक बार भगवान शिव कैलाश धाम से कहीं बाहर गए थे। माता पार्वती अकेली थी।वे स्नान करने जा रही थी, तभी उनके मन में कुछ आया। उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक पुत्र उत्पन्न कर दरवाजे पर पहरेदार बना कर बैठा दिया। उन्होंने कहा,जब तक मैं स्नान न कर लूं,तब तक घर के अंदर किसी को आने न देना। कुछ देर बाद भगवान शिव शंकर आ गये। परन्तु वह बालक उन्हें अन्दर जाने से रोकने लगा। बहुत समझाने पर भी जब बालक नहीं माना तो भगवान शिव शंकर ने त्रिशूल से उस बालक का शिर काट दिया। मां पार्वती जब बाहर आई तब यह सब देखा तो वह बहुत विलाप करने लगी और अपने पुत्र को जीवित करने का हठ करने लगी। शिर तो कट गया था, इसलिए एक हाथी के शिर को महादेव ने उस बालक के धड़ से जोड़ दिया। इस तरह उनका नाम गजानन पड़ा।
गणेश जी का वाहन मूषक हैं। उन्हें लड्डू बहुत प्रिय है। इसलिए उनकी पूजा में मोदक,दूब,चन्दन,घी, आदि रखा जाता है। प्रथम पूजा गणेश जी की ही होती है। समस्त मांगलिक कार्य गणेश पूजन से ही आरंभ होते हैं।
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