भारतीय गायिकाओं में बेजोड़--लता मंगेशकर




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भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर

कक्षा ग्यारहवीं की हिंदी पुस्तक
 वितान  भाग 1 से पाठ 2 में गायिका लता मंगेशकर का जीवन परिचय, संगीत की दुनिया में उनका योगदान, बेजोड़ सुर और गायन शैली का सुंदर वर्णन किया गया है। इस पाठ के लेखक कुमार गंधर्व, जो एक अच्छे गायक हैं, ने लता जी की लोकप्रियता के रहस्य को बड़ी कुशलता से प्रस्तुत किया है।                           

लता मंगेशकर

ग्यारहवीं कक्षा के सभी प्रश्नों के उत्तर और निबंध के लिए इसी वेवसाईट को देखते हैं। www.bimalhindi.in

   लता मंगेशकर का जीवन परिचय 

जन्मतिथि   - 28 सितंबर, 1929। स्थान - इंदौर।  माता - पिता-- शेवंती मंगेशकर, दीनानाथ मंगेशकर , मृत्यु तिथि - 2022

भाई-बहन --- आशा भोसले, उषा मंगेशकर, हृदय नाथ मंगेशकर, मीना मंगेशकर



            लता मंगेशकर ने लगभग तीस से अधिक भाषाओं में गीत गाए हैं। संगीत के क्षेत्र में योगदान देने के लिए उन्हें भारत रत्न, पद्मविभूषण, पद्म भूषण, विशेष लाइफ टाइम अचीवमेंट प्रतिष्ठित से सम्मानित किया गया है।

१. पिता से भी सुंदर गायन -

 एक बार लेखक बीमारी की अवस्था में रेडियो  पर गाना सुन रहा था। वह गायिका के स्वर से बहुत प्रभावित हुआ। गायिका का नाम लता मंगेशकर सुना तो वह बहुत आश्चर्यचकित हुआ, उसे लगा जैसे प्रसिद्ध सितारवादक विलायत खां अपने पिता से भी आगे निकल गए थे उसी तरह लता मंगेशकर भी अपने पिता सुप्रसिद्ध गायक दीनाना मंगेशकर से भी आगे निकल गए हैं।

2। संगीत की लोकप्रियता के प्रसार में लता जी का योगदान ---                   ------------------------------------- -----------------------------------

लता मंगेशकर के गीत से आम लोगों का सुगम संगीत के साथ-साथ शास्त्रीय संगीत के प्रति भी ध्यान बढ़ा लिया।लोग लता मंगेशकर की सुरमई आवाज से प्रभावित होकर गीत की ओर आकर्षित हो जाते हैं। लोगों को जहां तान गीत गुनगुनाते हुए देखा जा सकता है।

    कक्षा गायन और लता जी के गायन में लोग लता मंगेशकर के गायन को पहले पसंद करते हैं। लोग उसी गीत को पहले पसंद करते हैं जो उन्हें मस्त कर दें।

("मीराबाई के पद" कविता भी पढ़ें)    यहाँ क्लिक करें 

३.नूरजहां और लता -----

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नूरजहां और लता में लोग लता को अधिक पसंद करने लगे। लता जी का शुभ आगमन तब हुआ था जब संगीत की दुनिया में नूरजँहां  का बोलबाला था। लेकिन लता जी के स्वर का सुरीला पन ने लता को संगीत की दुनिया की महारानी बना दिया। हालांकि लोगों का मत है कि लता जी ने करुण रस के गीत बहुत अच्छे तरीके से गाई है लेकिन लेखक का मत है कि लता जी ने रस का गीत भी बहुत सुरीले ढंग से प्रस्तुत की है।

४.शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत

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शास्त्रीय संगीत में शुद्धता प्रमुख हैं। चित्रपट संगीत में लय की चपलता प्रमुख हैं। चित्रपट संगीत में आसान तालो का प्रयोग होता है। लता मंगेशकर में शास्त्रीय संगीत का ज्ञान है। उनके 3: 30 मिनट के गान का महत्व 3 घंटे के शास्त्रीय संगीत के महफ़िल के बराबर है। लता का हर गान अपने आप में संपूर्ण होता है। 

(मियाँ नसीरुद्दीन पाठ भी देखें)

5। चित्रपट संगीत का महत्व

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वर्तमान समय में लोगों का चित्रपट संगीत की ओर अधिक रुझान है। आजकल लोग शास्त्र शुद्ध और नीरस गीत के बदले सरस, सुरीला और भावपूर्ण कविता सुनना अधिक पसंद करते हैं। चित्रपट संगीत का क्षेत्र बहुत विशाल है। कहीं पंजाबी लोकगीतों की कौतुक तो कहीं बादल की तरह घूमते राजस्थानी लोकगीतों की धूम है।

   लता जी चित्रपट संगीत की महारानी है। कई गायक गायिकाओ की तुलना में उनकी लोकप्रियता बहुत अधिक है। इसीलिए उन्हें भारत की कोकिला कहा जाता है और भारत रत्न से सम्मानित किया गया है।
भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर


भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ लता मंगेशकर पाठ का प्रश्न उत्तर

 प्रश्न - कुमार गंधर्व ने लता को बेजोड़ गायिका क्यों कहा है  ?

                                                                                                उत्तर-- उनके मुकाबले खड़ी होने वाली कोई भी गायिका नजर नहीं आती। उनसे पहले गायन के क्षेत्र में नूरजहां का सिक्का चलता था लेकिन लता मंगेशकर के आते हैं वह बहुत पीछे चली गई। पिछले 50 वर्षों से गायकी के क्षेत्र में लता जी की धूम मची हुई है। उनकी जैसी कोमल सुरीला और मनभावन आवाज किसी की नहीं है। जब वह गाती है तो कोई भी बिना आकर्षित हुए नहीं रहता है।  





                                                                                                  प्रश्न-- लता मंगेशकर के गायन ने भारतीय लोगों की अभिरुचि को किस प्रकार प्रभावित किया है? 

उत्तर ----- लता मंगेशकर का गायन ने शास्त्रीय रागों और सुगम संगीत दोनों के श्रोताओं को प्रभावित किया है। वह शास्त्रीयता पर कम और सूरीलेपन पर अधिक ध्यान देती थी । इस कारण उनके गाए हुए गीत लोगों को अधिक अच्छा लगता है। लता के कारण साधारण लोगों को भी सुर की सूक्ष्मता समझ में आने लगी है। इस प्रकार लता जी ने नई पीढ़ी को संगीत के प्रति जागरूक किया। 


प्रश्न --- लता और नूरजहां के स्वरों में मुख्य अंतर क्या है?


उत्तर ----- लता और नूरजहां के स्वर अपने स्थान पर महत्वपूर्ण है। नूरजँहां के स्वर में एक मद भरी उठान है और इसमें एक नशीली अक्ष है तो लता के स्वर में कोमलता निर्मलता और मुग्धता है। लता जी के स्वर की कोमलता और पवित्रता उनके स्वर में दिखाई देती है।

प्रश्न - लेखक ने लता की गायकी की किन विशेषताओं को उजागर किया है? आपको लता की गायकी में कौन सी विशेषताएं नजर आती हैं? 

उत्तर ---- लेखक ने लता मंगेशकर की गायकी की निम्नलिखित विशेषताओं को उजागर किया है--

सुरीलापन --- लता की गायकी की सबसे बड़ी विशेषता उनके स्वरूप का सुरीलापन है। उनके स्वर में अद्भुत मिठास, लोंच, कोमलता, कामनीयता और मुग्धता., दो शब्दों के बीच भी एक प्रकार की मधुर गूंज उनकी विशेषता है।

कोमलता और निर्मलता ----- लता के गायन में कोमलता और निर्मलता का मेल अधिक होता है। उनके गीतों में शास्त्रीय संगीत के गुण हमेशा देखा जाता है। वे करुणा और मधुरता जैसे कोमल भाव वाले गीतों की गायिका है।

शास्त्र शुद्धता और मधुरता का संगम ------ लता का गायन शास्त्रीय दृष्टिकोण से शुद्ध होता है। वह शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत की प्रसिद्ध गायिका है।

प्रश्न ---- लता ने करुण रस के गानों के साथ न्याय नहीं किया जबकि  श्रृंगारपरक गाने वे बड़ी उत्कटता से गाती है, इस कथन से आप कहां तक ​​सहमत हैं?

उत्तर - लता के बारे में यह कथन पूरी तरह सत्य नहीं है। "ऐ मेरे वतन के लोगों ------" करूण रस का गीत है । इस गीत ने देशवासियों की आँखों में आंसू ला दिया है।" " बाबुल प्यारे ------- "गीत की पंक्तियों कितनी करुण है, यह सब जानते हैं। हां, यह अलग बात है कि उनकी श्रृगारिक गीत भी अधिक मनमोहक है।

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