प्रदूषण: कारण और समाधान, pollution
प्रदूषण की समस्या पर निबंध, essay on pollution
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1. प्रदूषण का अर्थ, 2. प्रदूषण के प्रकार 3. प्रदूषण के कारण
1. प्रदूषण का अर्थ:
प्रदूषण का सामान्य अर्थ है वातावरण का दूषित हो जाना। आज प्रदूषण विश्व की बड़ी समस्या बन गई है। प्रदूषण के कारण मनुष्य के साथ-साथ कई जीव जंतुओं का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है। कई वनस्पतियां और जीव जंतु लुप्त प्राय हैं। ज्यों- ज्यों मनुष्य अपने भौतिक सुखों का विस्तार करता है त्यों- त्यों प्रदूषण का जाल बढ़ता चला जाता है। सच तो यह है कि प्रदूषण की विकराल समस्या के लिए मनुष्य स्वयं दोषी है। जब इसके दुष्परिणाम स्पष्ट दिखाई देने लगे हैं तब लोगों की नींद खुलने लगी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए 3 जून 1992 को जेस की राजधानी रियो डेजेनेरो में पृथ्वी योग सम्मेलन का आयोजन हुआ। इस सम्मेलन में विश्व के लगभग सभी देशों के राजनेताओं ने तेजी से फैलते हुए प्रदूषण पर गहरी चिंता व्यक्त की और पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लिया।
“धरती जो उगलती सोना थी, जिसकी बड़ी महिमा थी।
उसी धरती को प्रदूषण ने आज बना दिया वीरान ।। "
2. प्रदूषण के प्रकार: प्रदूषण के कई प्रकार: जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मिट्टी के प्रदूषण आदि
प्रदूषण के कई कारण है। विश्व की जनसंख्या में बेतहाशा वृद्धि ने प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ावा दिया है। इससे आवास की समस्या उत्पन्न होती है। बढ़ती आबादी के लिए अधिक अन्न और वस्त्र भी आवश्यक है। इसकी पूर्ति के लिए वनों की अंधाधुंध कटाई शुरू हो जाती है फलस्वरूप पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाता है। मनुष्य और अन्य जीव जंतु श्वास और मल मूत्र के रूप कई विषैले पदार्थ वातावरण में छोड़ते हैं। यें पदार्थ वातावरण को दूषित करने में काफी मदद करते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री ने घर-घर शौचालय की स्थापना कर एक सराहनीय कदम उठाया है।
औद्योगिक विकास और मशीनों का अत्यधिक उपयोग वातावरण प्रदूषण का एक बड़ा कारण है। फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ वातावरण को दूषित बना देता है। इससे वातावरण विषैला हो जाता है। शहरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा भी वायु प्रदूषण के लिए कम उत्तरदाई नहीं है। विभिन्न प्रकार के पटाखे, फुलझड़ी आदि भी हमारे वातावरण को प्रदूषित करने में सहायक है।
वायु प्रदूषण की तरह जल प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या है। कल कारखानों से निकलने वाले दूषित जल , शहरों के कचरे और नालों भी नदियों और जलाशयों को प्रदूषित कर रहे हैं। इसके कारण जल जीवो को भयंकर क्षति हो रही है। गंदे और दूषित जल से भूगर्भ जल भी प्रभावित हो रहा है। इससे मिट्टी भी प्रदूषित हो जाती है। पेय पदार्थ में कीटनाशक और कीटनाशक दवाओं के अधिक प्रयोग से भी मिट्टी प्रदूषण बढ़ जाता है।
अधिक शोर-शराबे से ध्वनि प्रदूषण होता है। कल कारखानों की आवाजें, लाउडस्पीकर, मोटर के हार्न ध्वनि प्रदूषण के कारण है ।
4. प्रदूषण का प्रभाव:
प्रदूषण के कारण कई प्रकार की बीमारियां होती हैं। टीवी, दामा, कैंसर और चर्म रोग होना आम बात है। आँखों में मोतियाबिंद, कानों में बहरापन प्रदूषण की ही देन है। इसलिए प्रदूषण की रोकथाम करना बहुत आवश्यक है।
5. प्रदूषण दूर करने के उपाय :
प्रदूषण से छुटकारा पाने के लिए विश्व की बढ़ती जनसंख्या पर अंकुश लगाना अत्यंत आवश्यक है। वृक्षों की अंधाधुंध कटाई पर रोक लगाकर बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सकता है। कल कारखानों के कचरे और प्रदूषित जल को यत्र- तत्र नहीं बहाना चाहिए। प्लास्टिक के थैलियों का उपयोग नहीं करना चाहिए, इससे खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता तो नष्ट होती ही है प्रदूषण फैलाने में भी इसकी सबसे बड़ी भूमिका है।
लाउडस्पीकर, मशीनों, मोटर गाड़ियों की कर्कश ध्वनियों को कम कर ध्वनि- प्रदूषण से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके लिए लोगों को जागरूक करना बहुत जरूरी है। टीवी, रेडियो, समाचार पत्रों में प्रदूषण से होने वाली परेशानियों का प्रचार प्रसार करना चाहिए। सरकार को भी प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कानून बनाना चाहिए। खुले में शौचालय नहीं करना चाहिए और कूड़ा-कचरा भी नहीं फेंकना चाहिए। इन उपायों के द्वारा हम पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।
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