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नेताजी का चश्मा, कहानी,स्वयं प्रकाश, Netaji ka chashma
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नेताजी का चश्मा
लेखक स्वयं प्रकाश
Netaji ka chashma
CBSE 10th Hindi
विषय सूची
1. नेताजी का चश्मा कहानी का सारांश
2.हालदार साहब का चरित्र चित्रण
3. कैप्टन का चरित्र चित्रण
4. लेखक स्वयं प्रकाश का जीवन परिचय
5. नेताजी का चश्मा कहानी का प्रश्न उत्तर
6.वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर MCQ
Netaji ka chashma story summery
Character of Halddar Saheb
Character of captain
A biography of Sawayam Prakash
Questions answers
MCQ type questions answers
नेताजी का चश्मा पाठ का सारांश
हालदार साहब कंपनी के काम से हर पन्द्रह दिन में कस्बे से गुजरते हैं। उसके कसबे के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति स्थापित है। लेकिन एक काम बाकी है, जो देखने वाले को खटकती है, उनकी मूर्ति पर चश्मा नहीं है। हो सकता है कि मूर्ति बनाने वाले ने चश्मा लगाना भूल गया हो।
चश्मे का अभाव खटकता था। हालदार साहब ने एक दिन देखा कि मूर्ति पर चश्मा लगा है लेकिन संगमरमर का नहीं, असली चश्मा है। उन्हें देखकर खुशी हुई। दूसरी बार जब हालदार साहब वहाँ से गुजरते हैं तब चश्मा बदल जाता है। हर बार वे अलग-अलग चश्मा देखते हैं। पान वाले से जब चश्मे बदलने का कारण पूछते हैं तो पान वाले ने बताया कि चश्मे बदलने का काम कैप्टन चश्मे वाला करना चाहते हैं। वह घूमता हुआ चश्मा बेचता है। किसी ग्राहक को अगर मूर्ति वाला चश्मा पसंद आ गया तो वह उस चश्मे को ग्राहक को दे देता है और मूर्ति पर कोई नया चश्मा लगा देता है।
हालदार साहब ने जब कैप्टन के बारे में पूछा कि क्या उसका संबंध आजाद हिंद फौज से हैं? तो पान वाले ने मजाक उड़ाते हुए कहा कि वह लंगड़ा फौज में क्या करेगा। कैप्टन तो, एक बुढ़ा मरियल सा लंगड़ा आदमी है। गांधी टोपी पहनता था।
एक दिन हालदार साहब उधर से गुजर रहे थे तो मूर्ति पर चश्मा नहीं देखा। पता चला कि कैप्टन मर गया। उन्होंने निश्चय किया कि अब वे चौक पर नहीं रूकेंगे। पन्द्रह दिन बाद वे उधर से गुजर रहे थे तो देखा कि मूर्ति पर सरकंडे से बना चश्मा लगा है। उन्होंने ड्राइवर को गाड़ी रोकने को कहा। पूछने पर पता चला कि छोटे बच्चों ने सरकंडे का चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा दी है।
हालदार साहब की आंखें खुशी से भर आई, क्योंकि उन्हें विश्वास हो गया कि जिस देश के बच्चों में देशभक्ति की भावना है, उस देश की स्वतंत्रता को कोई खतरा नहीं है। आनेवाली पीढ़ी के मन में भी देश और देश के लिए शहीद होने वाले के लिए आदर का भाव है।
स्वयं प्रकाश जी एक प्रसिद्ध कहानीकार है। इनका जन्म मध्य प्रदेश के इंदौर नगर में हुआ था । इन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद एक कंपनी में कार्य किया। सेवानिवृत्ति के पश्चात भोपाल में वसुधा नामक पत्रिका का संपादन करने लगे। इनके साहित्यिक योगदान के लिए पहल सम्मान, वनमाली तथा राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
स्वयं प्रकाश जी एक अच्छे कहानीकार और गद्य कार माने जाते हैं। इन्होंने अपनी कहानियों और उपन्यासों में वर्ग शोषण की समस्या को बड़ी गंभीरता से प्रस्तुत किया है। इन्होंने अपनी रचनाओं में शोसको और पूंजीपति वर्ग के अत्याचारों का वर्णन किया है तथा सर्वहारा वर्ग के प्रति सहानुभूति प्रकट की है। इन्होंने जाति पाती का भी कड़ा विरोध किया है। सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक समस्याओं को केंद्र में रखकर इन्होंने साहित्य रचना की है।
स्वयं प्रकाश की 13 कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुकी हैं । सूरज कब निकलेगा, आएंगे अच्छे दिन भी, आदमी जात का आदमी और संधान इनके प्रमुख कहानी संग्रह हैं । विनय और इंधन उपन्यास की रचना कर इन्होंने काफी लोकप्रियता अर्जित की है।
नेताजी का चश्मा , प्रश्नोत्तर
हालदार साहब का चरित्र चित्रण
हालदार साहब इस कहानी के मुख्य पात्र हैं। यह कहानी नेताजी का चश्मा उन्हीं के इर्द-गिर्द घूमता नजर आता है। हालदार साहब एक पक्के देशभक्त, कर्तव्यनिष्ठ, भावुक और अपने काम के प्रति इमानदार व्यक्ति हैं। इतना ही नहीं वह शौकीन भी है। जब भी चौराहे से गुजरते हैं तो पान खाना नहीं भूलते।
हालदार साहब एक पक्के देशभक्त हैं। देश पर शहीद होने वाले नेताओं के प्रति उनके मन में गहरी श्रद्धा है। इसीलिए वह चौराहे से गुजरते हैं तो कस्बे के चौराहे पर लगे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिम को गौर से देखते हैं और उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते हैं।
हालदार साहब अपने कर्तव्य के प्रति इमानदार है। वे अपने काम से जाते हैं लेकिन इसके साथ ही वह पान खाने के शौकीन भी हैं । हालदार साहब एक भावुक व्यक्ति हैं। उनके हृदय में भावनाएं हिलोरें मारती हैं। जब पान वाले ने कैप्टन के प्रति अच्छे शब्दों का प्रयोग नहीं किया तो उन्हें दुख होता है । जब यह सुनते हैं कि कैप्टन की मृत्यु हो गई तो वह दुखी होते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि हमारे देश के बच्चों में भी देश पर शहीद होने वाले के प्रति अपार श्रद्धा है तो उनकी आंखों में आंसू आ जाते हैं। उन्हें लगता है , हमारे देश के भावी पीढ़ी में अभी देशभक्ति की भावना है।
कैप्टन का चरित्र चित्रण
कैप्टन चश्मा बेचने वाला एक लंगड़ा व्यक्ति है जो घूम घूम कर कस्बे में चश्मा बेचता है। कैप्टन इस कहानी का एक ऐसा पात्र है जिसका चरित्र देश भक्ति से लबालब भरा हुआ है। वह गरीब है, उसके पास बेचने के लिए बहुत अधिक चश्मे नहीं होते फिर भी कस्बे के चौराहे पर लगे नेता जी की मूर्ति पर चश्मा नहीं देखता है तो उसका मन दुखी हो जाता है और अपने पास का एक चश्मा नेता जी की मूर्ति को लगा देता है। वह मजबूरी में भी नेताजी के मूर्ति पर चश्मा लगाने का तरकीब लगा लेता है। जब किसी ग्राहक को मूर्ति पर लगे चश्मा पसंद आ जाता है तो वह चश्मा ग्राहक को देकर नेता जी की मूर्ति पर दूसरा चश्मा लगा देता है। कभी-कभी लोग उसका उपहास भी उड़ाते हैं । उसे मजाक से लोग कैप्टन कहते हैं । उसका संबंध किसी फौज या सेना से नहीं रहा है फिर भी उसकी देशभक्ति बेमिसाल है।
1.सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे ?
उत्तर - लोग चश्मेवाले को कैप्टन चश्मेवाला कहकर पुकारते थे। वह देशभक्त था। उसे नेता जी की मूर्ति बिना चश्मे की अच्छी नहीं लगती थी। इसलिए उसने मूर्ति पर चश्मा लगा दिया था। उसे किसने कैप्टन कहना शुरू किया, यह कोई नहीं जानता था।
प्रश्न २। हालदार साहब क्या सोचते थे?
उत्तर - हालदार साहब सोचते हैं, कि भला उस कौम का क्या होगा जो देश के लिए अपना सबकुछ त्याग देने वालों पर हंसती है। उनका मज़ाक उड़ाती है। ऐसे लोग फिर से गुलाम बन जाएंगे।
प्रश्न ३। मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
उत्तर-- मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा इसकी उम्मीद जगाता है कि लोगों में अभी भी देशभक्ति की भावना जिंदा है। उनमें देश के नेताओं के प्रति अच्छे सम्मान की भावना जीवित है।
4. हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गये थे ?
उत्तर --हालदार साहब को लगा कि कैप्टन की मृत्यु के बाद कस्बे के चौराहे पर लगी नेता जी की मूर्ति की आंखों पर अब चश्मा नहीं होगा । वह मायूस होकर सोचने लगे थे कि कस्बे के लोगों में कैप्टन के अलावे देशभक्ति की भावना नहीं होगी , यह सोच कर उनका मन मायूस हो गया।
उत्तर - नेता जी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा देख कर हालदार साहब भावुक हो गए क्योंकि उन्हें लगा कि भावी पीढ़ी में अभी देश भक्ति और देश प्रेम जीवित है। वह आज भी देश पर मर मिटने वाले शहीदों का सम्मान करना जानते हैं। हमारे बच्चों में भी देशभक्ति की भावना जीवित है। यह सोच कर उनका मन भावुक हो उठा।
6.. आशय स्पष्ट कीजिए---- "बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर गृहस्ती जवानी सब कुछ होम देने वालों पर भी हंसती है और अपने लिए बिकने की मौके ढूढती है।"
उत्तर -- लेखक के इस कथन का यह आशय है कि जिन लोगों ने अपने देश के लिए , अपने देशवासियों के लिए सब कुछ अर्पण कर दिया। उन पर हंसने वाले , उनका मजाक उड़ाने वाले लोगों का क्या होगा जो देश पर प्राण निछावर करने वालों पर हंसते हैं। वे अपने स्वार्थ के लिए बिकने को भी तैयार रहते हैं । ऐसे लोगों से भरे देश का भविष्य क्या होगा । क्या यह देश फिर से गुलाम हो जाएगा यह सोच कर हालदार साहब को बड़ी चिंता होती थी।
7. पान वाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए। अथवा , पानवाले का चरित्र चित्रण करें।
उत्तर -- कस्बे के चौराहे पर पान की एक दुकान थी। पानवाला एक काला मोटा और खुशमिजाज आदमी था। वह खूब पान खाता था। वह अपने मुंह में पान ठूंस रखता था ।उसके दांत कुछ लाल कुछ काले थे। उसके पास कस्बे की पूरी जानकारी होती थी। वह इतना मोटा था की जब हंसता था तो उसकी तोंद थिरकती थी, लेकिन वह भावुक भी था। वह कैप्टन की मजाक तो उड़ाता था लेकिन उसकी मृत्यु से बहुत दुखी था।
8. वह लंगड़ा क्या जाएगा फौज में ! पागल है पागल ! कैप्टन के प्रति पान वाली की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर -- अपना अपना विचार है , लेकिन हमारे विचार से पान वाले को कैप्टन के लिए लंगड़ा और पागल शब्द का प्रयोग करना उचित नहीं है , क्योंकि कैप्टन के हृदय में अपने देश और देशवासियों के प्रति अपार श्रद्धा थी। इसलिए हमें लगता है कि कैप्टन का मजाक उड़ा कर पान वाले ने देशभक्ति की भावना का मजाक उड़ाया है। वह पान वाले यह नहीं समझता था कि कैप्टन नेता जी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर नेता जी की मूर्ति को पूर्णता प्रदान करता था और कस्बे की इज्जत बचाता था।
9. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं
क) हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रूककर नेता जी को निहारते रहते।
उत्तर - हालदार साहब देशभक्त हैं। देश के नेताओं के प्रति उनके मन में आदर सम्मान है।
ख) कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
उत्तर - चौराहे पर बिना चश्मे की नेता जी की मूर्ति देखकर कैप्टन दुखी हो जाता था। वह असली चश्मा मूर्ति पर लगा देता इससे उसकी देश और देश के शहीदों के प्रति आदर की भावना का पता चलता है।
ग) पान वाले उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुंह का पान नीचे थूका और सिर झुका कर अपनी धोती के सिरे से आंखें पोछता हुआ बोला साहब ! कैप्टन मर गया।
उत्तर -- पान वाले के व्यवहार से पता चलता है कि मजाक उड़ाने वाला व्यक्ति भी कैप्टन के प्रति कोमल भाव रखता है। उसकी मृत्यु से वह दुखी होता है।
10. जब हालदार साहब ने कैप्टन को सामने से नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन सा चित्र रहा होगा अपनी कल्पना से लिखिए।
उत्तर - जब हालदार साहब ने कैप्टन को नहीं देखा था वह यही सोचते होंगे कि कैप्टन कोई भूतपूर्व सैनिक होगा या नेताजी की आजाद हिंद फौज का कोई सदस्य होगा। तब ही उसके मन में नेताजी के प्रति इतना सम्मान है कि वह उनकी मूर्ति को बिना चश्मे के नहीं देख सकता।
11. कस्बा , शहरों, महानगरों के चौराहे पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है।
क) इस तरह की मूर्ति लगाने की क्या उद्देश्य हो सकते हैं ?
उत्तर - कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का यह उद्देश होता है कि लोग उनके जीवन से प्रेरणा लें । नई पीढ़ी को उनके योगदान से परिचित करवाया जाए । लोग उनके व्यक्तित्व से शिक्षा लें।
ख) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर -हम अपने चौराहे पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व हम सबके लिए प्रेरणादाई होगा तब हमें उनके विषय में और अधिक जानने की इच्छा होगी और हम उनके विषय में पूरी जानकारी प्राप्त करके देश के विकास के लिए काम करेंगे।
ग) उस मूर्ति के प्रति आपके और दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए ?
उत्तर - चौराहे पर स्थापित मूर्ति के प्रति हमारे कई उत्तरदायित्व होंगे। उसकी उचित देखभाल करनी होगी । समय-समय पर वहां कार्यक्रम। करना होगा जिससे उनके विषय में लोगों को पूरी जानकारी मिल सके। मूर्ति की साफ-सफाई का ध्यान रखना होगा और मूर्ति के प्रति श्रद्धा भाव रखनी होगी।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर , MCQ type questions answers, Netaji ka chashma
1. नेताजी की मूर्ति कहां लगी थी ?
क. कस्बे के गली में
ख. कस्बे के चौराहे पर
ग. बीच सड़क पर
घ. पान वाले के दुकान पर
उत्तर - ख. कस्बे के चौराहे पर
2. नेताजी का चश्मा कहानी के लेखक कौन है ?
क. वीरेंद्र सहवाग
ख. नाना धुंधूपंत
ग. शिवपूजन सहाय
घ. स्वयं प्रकाश
उत्तर - घ. स्वयं प्रकाश
3. कहानी में कैप्टन कौन था ?
क. स्कूल का हेडमास्टर
ख. सेना का जवान
ग. गरीब फेरीवाले
घ. पान बेचने वाले
उत्तर - ग. गरीब फेरीवाले
4. हालदार साहब कस्बे के चौराहे पर क्यों रूकते थे ?
क. कुछ देखने के लिए
ख. पान खाने के लिए
ग. कलम खरीदने के लिए
घ. इनमें से कोई नहीं
उत्तर - ख. पान खाने के लिए
5. " वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में ! पागल है ! पागल !" यह किसका कथन है ?
बड़े घर की बेटी , कहानी Bade Ghar ki Beti, story, premchand "बड़े घर की बेटी" प्रेमचंद द्वारा रचित एक आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानी है। यह कहानी सर्वप्रथम 1910 ई में जमाना नामक पत्रिका में प्रकाशित हुई थी । परन्तु इस कहानी की प्रासंगिकता आज और बढ़ गई है, क्योंकि संयुक्त परिवार का विघटन दिन पर दिन बढता जा रहा है। इस कहानी में प्रेमचंद ने उच्च वर्ग की पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक स्थितियों और मूल्यों का यथार्थ चित्रण प्रस्तुत किया है। लेखक ने आनंदी का चरित्र प्रस्तुत कर यह बताने का प्रयास किया है कि बड़े घर की बेटियां तभी बड़े घर की बेटी कहलाने की हकदार हैं जब उनमें ससुराल के प्रति ममता, सहिष्णुता और संयुक्त परिवार के प्रति मोह हो। यहां हमने बड़े घर की बेटी कहानी का सारांश, कहानी का उद्देश्य, प्रमुख पात्रों का चरित्र चित्रण, शीर्षक की सार्थकता और प्रमुख प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत करने का प्रयास किया है, जिससे पाठकों को कहानी समझने में मदद मिलेगी। Table of contents प्रेमचंद का जीवन परिचय, a biography of premchand, बड़े घर बड़े घर की बेटी कहानी का सारांश, summary of story Bade G
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