विज्ञापन कला, art of advertising

                विज्ञापन कला, art of advertising


विज्ञापन क्या है। विज्ञापन का महत्व।
विज्ञापन क्यों दिया जाता है।
विज्ञापन के प्रकार
आज़ का युग विज्ञापन का युग।

 विज्ञापन ऐसी कला है जिसके द्वारा कोई उत्पादक या आयोजक अपनी वस्तुओं और सेवाओं को लोगों तक पहुंचाने में मदद करता है। विज्ञापन एक ऐसी कड़ी है जो वस्तुओं को निर्माताओं से, नौकरी को बेरोजगारों से और, कन्या को वर से मिलाती है। विज्ञापन के प्रमुख प्रकार हैं - व्यवसायिक विज्ञापन, वैवाहिक विज्ञापन, विचार विज्ञापन, व्यक्तिगत विज्ञापन, सेवा विज्ञापन आदि। विभिन्न राजनीतिक समूह, साहित्यिक, धार्मिक संस्थाएं विज्ञापन के महत्व को अच्छी तरह से समझती हैं। इसलिए विज्ञापन में अपना जी जान लगा देता है।                
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आज के अर्थ प्रधान युग में पैसा ही जीवन का परम लक्ष्य है। सब की यही लालसा रहती है कि आर्थिक समृद्धि बनी रहे। गरीब से अमीर तक सभी का यही प्रयास रहता है कि किस प्रकार जल्दी से जल्दी पैसा कमाया जाए और सुख समृद्धि के साधन एकत्र किए जाएं। इसके लिए लोग अपनी प्रतिभा दिखलाना चाहते हैं। नौकरी चाहने वाला अपनी प्रतिभा नौकरी देने वाले को दिखलाना चाहता है। वस्तुओं और सेवाओं का प्रचार बल बढ़ा चढ़ाकर पेश करता है। इसी तरह खेलकूद, सिनेमा, जुलुस, स्कूल, आदि सभी विज्ञापन में पीछे नहीं रहते हैं। आप जहां जाएंगे, प्रचार करें अलग नहीं रहेगा। प्रचार को ही व्यवसायिक शब्दावली में विज्ञापन कहा जाता है, जिसका अर्थ है जानकारी, परिचय, सूचना।



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के कारण घटिया से घटिया सामग्री भी लोकप्रिय हो जाती है और ठीक से बढ़िया सामग्री भी विज्ञापन के अभाव में असफल हो जाती है।
इसलिए विज्ञापन व्यापार का अनिवार्य हिस्सा है और आज इसे कला के रूप में विकसित किया जा रहा है। 

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विज्ञापन के प्रकार

व्यवसायिक विज्ञापन, व्यापारिक विज्ञापन, वैवाहिक विज्ञापन, विचार विज्ञापन, व्यक्त विज्ञापन आदि। 

तरह तरह के उत्पादन और भौतिक व्यवसायिक विज्ञापन के अंतर्गत आते हैं। उत्पादक कंपनियां विज्ञापन एजेंसियों के साथ संपर्क द्वारा अपने उत्पादों के गुणों का वर्णन करते हैं। ये एजेंसियां ​​विज्ञापन को एक कला के रूप में विकसित करके उत्पादों का प्रचार करने में मदद करती हैं।
इन एजेंसियों के पास अपनी रिकॉर्डिंग रूम की छत, मेक मैन, मॉडल स्टूडियो, कैमरा होते हैं और बाहर शूटिंग की व्यवस्था होती है। यह एजेंसी कुछ सेकंड या कुछ मिनट का फिल्म बनाकर उत्पादक को दे देती है और उत्पादक अपनी गुणवत्ता टेलीविजन में, सिनेमा में, रेडियो में, समाचार पत्रों आदि में विज्ञापन करते हैं। विज्ञापन जितना अच्छा होगा उत्पादन उतना ही अधिक लोकप्रिय होगा। यही कारण है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां विज्ञापन के लिए अपने बजट में अच्छी खासा प्रावधान रखती हैं और अच्छी विज्ञापन एजेंसियों से सहायता लेती हैं।


कुछ कंपनियों फिल्मी अभिनेता - अभिनेत्रियों के द्वारा कपड़ों का प्रचार करवाते हैं। कुछ अभिनेत्रियां यह कहती हैं कि हमारी सुंदरता का राज अमुक वस्तु में छिपी हुई है। कुछ के सुंदर और मोतियों जैसे दांत किसी विशेष दंत मंजन के कारण दिखाई देते हैं। कुछ कंपनियों के आकर्षक इनाम के द्वारा अपनी वस्तुओं का विज्ञापन करते हैं। यह सब इतनी चतुराई से होता है कि दर्शक झांसे में आ जाते हैं।

     अब जरा नौकरी से संबंधित विज्ञापन की बात कर रहे हैं। विभिन्न संस्थानों ने अपनी गतिविधियों के बारे में मनोवैज्ञानिकों को संकेत किया है। व्यापारिक संस्थानों जैसे तरह से प्रलोभन देकर व्यापार के हित में प्रतिभाओं को आकर्षित करती हैं।

  बड़ी-बड़ी कंपनियों ने तो अलग से विज्ञापन विभाग ही खोल रखा है। यह बाज़ार से बिक्री बढ़ाने तक विज्ञापन कला का उपयोग करता है।
 विज्ञापन का महत्व केवल व्यापारिक संस्थानों ही नहीं, बल्कि राजनीतिक, धार्मिक, साहित्यिक आदि संगठन भी अपने विचारधारा के प्रचार प्रसार में विज्ञापन का महत्व देते हैं।

 आज हर समाचार पत्र, टीवी, मोबाइल, पत्र पत्रिकाओं के संस्करणों पर विज्ञापन का भरमार देखने को मिलता है। साधु संतों से लेकर समाज सेवी विचारक तक अपना सचित्र विज्ञापन दिखलाते हैं। ये आत्म विज्ञापन के उदाहरण है।

अब इतना स्पष्ट है कि आज के युग में   विज्ञापन कला बड़े काम की चीज़ है और इसके बदौलत वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहते हैं। कुछ लोग गलत चीजों और विचारों का प्रचार करना चाहते हैं यह ठीक नहीं है। प्रचार हो लेकिन अच्छी बात का। इसके लिए हमें सतत् सावधान रहने की जरूरत है।


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लेखक परिचय=

डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।

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