जीवन का रहस्य ,secret of life
जीवन क्या है ? यह क्यों है ? और किसलिए है ? इस प्रश्न के लिए उत्तर की खोज से पूर्व हम एक कहानी पढ़ते हैं। शायद इसी कहानी में कुछ ऐसी बात दिख जाए जो जीवन के रहस्य को सुलझाने में मदद करे।
पुराने जमाने में लोग दूर-दूर तक पैदल ही यात्रा करते थे। यदि अधिक सक्षम हुए तो पालकी या फिर बैलगाड़ी। हर हाल में किसी पेड़ या प्याऊ के पास दोपहर में थोड़ी देर के लिए आराम करना ही पड़ता था। इस तरह न चाहते हुए भी दस पांच लोग दोपहरी में एक साथ हो लेते थे।
एक बार की बात है। दोपहर की गर्मी में यात्रा की थकान मिटाने के लिए कुछ लोग बूढ़े बरगद की छांव में बैठे थे।
उसी बूढ़े बरगद के पेड़ पर कुछ पक्षी बैठे कलरव कर रहे थे। एक पक्षी कुछ तेज स्वर में अलग ही आवाज में कुछ बोल रहा था। पेड़ की छांव में बैठे हुए एक आदमी ने साधू से पूछा कि यह पक्षी क्या बोल रहा है । साधु ने अपने भाव के अनुसार अर्थ लगाया कि यह " सीता राम दशरथ " बोल रहा है।
साधु की बात सुनकर एक बनिए ने कहा " नहीं , यह पक्षी धनिया मिर्च अदरक बोल रहा है।
बनिए की बात एक पहलवान सुन रहा था। उसने सभी की बातें काटते हुए कहा कि यह पक्षी दंड कुश्ती कसरत बोल रहा है।
भाई , अब आप समझ गए होंगे कि जिसे जो मिला, वह उसी का हो गया। जाकिर रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी। जिन्दगी में जिसे जो मिला , उसे जिन्दगी भी वैसी ही लगने लगी। सुख तो जिन्दगी अच्छी, दुख तो जिन्दगी ख़राब।
यही है जीवन का रहस्य !
लेखक परिचय
डॉ उमेश कुमार सिंह
एम ए पी एच डी,
educational and motivational expert.
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