दो बैलों की कथा, Do bailo ki katha लेखक – प्रेमचंद
दो बैलों की कथा,
लेखक – प्रेमचंद
Do bailo ki katha, story
" दो बैलों की कथा " मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी के द्वारा भारतीय किसान किस तरह अपने बैलों को अपने परिवार की तरह मानते हैं, यह दर्शाया गया है साथ ही यह दिखाया गया है कि आजादी के लिए काफी संघर्ष करने की जरूरत होती है। दो बैलों की कथा कक्षा नौवीं में पढ़ी पढ़ाई जाती है। यहां कहानी का सारांश, लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय एवं पाठ का प्रश्न उत्तर सरल भाषा में दिया गया है।
Table of contents
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शब्दार्थ
लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय
दो बैलों की कथा " कहानी का प्रश्न उत्तर NCERT solutions
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दो बैलों की कथा कहानी का सारांश
झूरी कांछी के पास दो बैल थे , नाम था – हीरा और मोती। दोनों पछाई जाति के थे , देखने में सुंदर और सुडौल। मेहनती भी। साथ-साथ रहते थे इसलिए दोनों में गहरी मित्रता हो गई थी। दोनों अपने मालिक से भी खूब प्रेम करते थे।
लेखक ने प्रारम्भ में लिखा है कि गधा सबसे बुद्धिहीन पशु माना जाता है क्योंकि वह सुख दुख, हानि लाभ यानी सभी परिस्थितियों में एक समान रहता है। लेखक ने उसे ऋषि मुनियों की श्रेणी में रखा है। कभी कभी बैल अड़ जाते हैं इसलिए उसे कुछ ऊपर की श्रेणी में रखा गया है।
एक दिन की बात है। झूरी अपने बैलों को अपने साले के साथ ससुराल भेज दिया। बैलों को लगा कि वह उन्हें बेच दिया है। उन्हें जाने का मन नहीं था, परन्तु जैसे तैसे गया उन्हें अपने साथ ले गया। बैलों ने वहां चारे में मुंह तक नहीं डाला। रात में दोनों आपस में बातें कर वहां से भाग निकले और झूरी के पास पहुंच गए। झूरी उन्हें देखकर खुश हुआ लेकिन मालकिन ने उन्हें बहुत भला बुरा कहा और उनके सामने रूखा सूखा चारा डाल दिया। झूरी नौकर को खली चोकर डालने को कहा लेकिन नौकर मालकिन के डर से ऐसा नहीं किया।
अगले दिन गया उन्हें फिर ले लेने आ गया। इस बार उन्हें गाड़ी में जोतकर ले गया। उन्हें मोटी मोटी रस्सियों में बांध कर खूब डंडे बरसाए। बैलों को ऐसा अपमान कभी न हुआ था। उन्हें खूब काम लिया जाता और शाम में रूखा सूखा भूसा डाल दिया जाता। एक छोटी बच्ची को उनपर दया आती थी इसलिए वह उन्हें एक एक रोटी चुपके से खिला देती थी। जब बैलों से यह सब सहन नहीं हुआ तो एक रात वे भागने का प्रयास करने लगे। वह छोटी बच्ची उनके रस्सियों को खोल दी , और अपने बचने के लिए शोर मचाने लगी, फूफा के बैल भाग गए। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। दोनों बैल भाग चुके थे।
भागते भागते दोनों रास्ते भटक गए। रास्ते में मटर का खेत मिला। दोनों भरपेट मटर खाये। पेट भर जाने पर दोनों खूब मस्ती करने लगे। तभी सामने से एक मोटा सांड उनपर आक्रमण कर दिया। पहले तो दोनों घबराए लेकिन मिल कर मुकाबला करने से सांड पराजित होकर भाग गया। जीत से खुश होकर दोनों फिर से एक मटर के खेत में घुस गये लेकिन इस बार दोनों पकड़े गए।खेतवालो ने उन्हें पकड़कर कांजीहौस में डाल दिया।
कांजीहौस में और भी जानवर थे। वे भूखे प्यासे मुर्दे की तरह पड़े थे। रात को हीरा दीवार की मिट्टी चाटने लगा।उसे लगा कि दीवार मिट्टी की है। वह दीवार तोड़ने लगा तभी कांजीहौस का पहरेदार उसे देख लिया और हीरा को मोटी रस्सियों में बांध दिया। मोती ने समझाया कि इस तरह बहुत मार पड़ेगी।, लेकिन हीरा ने समझाया कि ऐसा करने से हमारे कयी साथियों की जान बच जाएगी। फिर क्या था, दोनों ने मिलकर दीवार तोड़ दिया। दीवार टूटते ही सभी जानवर भाग खड़े हुए। हीरा ने मोती से कहा कि तुम भी भाग जाओ। लेकिन मोती अपने मित्र को संकट में अकेले छोड़ कर कैसे भागता। वे दोनों नहीं भागे। सुबह कांजीहौस में खलबली मच गई। दोनों बैलों को मोटी रस्सियों से बांध दिया गया और निलामी होने लगी।
दोनों बैल बहुत कमजोर हो गये थे। उन्हें एक दढीयल क़साई खरीदकर ले जाने लगा। रास्ते में हरे भरे घास का मैदान था। वहां बहुत से जानवर खुशी से झूम रहे थे। वे सोचने लगे, ये सब कैसे स्वार्थी हैं जो अपने दो साथियों को क़साई के हाथों में देखकर भी दुखी नहीं होते।
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क़साई के साथ जाते हुए उन्हें रास्ता जाना पहचाना लगा। यह रास्ता उनके घर पर जाता था। दौड़कर अपने घर चले गए और अपने पुराने थान पर खड़े हो गए। झूरी उन्हें प्यार से गले लगा लिया, तब तक दढीयल क़साई भी वहां जा पहुंचा और बैलों की रस्सियां पकड़ ली । लेकिन मोती ने ऐसा सींग चलाया कि वह उल्टे पांव भाग गया। झूरी ने नाद में भूसा खली डाल दिया और बैलों को पुचकारने लगा। मालकिन ने भी प्यार से बैलों के माथे को चूम लिया। गांव में खुशियों और उत्साह का माहौल था।
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"दो बैलों की कथा " कहानी के लेखक प्रेमचंद का जीवन परिचय
मुंशी प्रेमचंद का जन्म (सन् 1880) उत्तर प्रदेश के लमही नामक गाँव में हुआ था। पूर्व अवस्था खराब होने के कारण जैसे तैसे बी ए। किया है। प्रेमचंद आगे पढ़ना चाहते थे, किंतु घर की स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उन्हें सरकारी स्कूल में नौकरी करनी पड़ी। मृत्यु 1936 में हुई।
प्रमुख रचनाएँ
सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, कायाकल्प, गवन, गोदान। उन्होंने लगभग तीन हजार कहानियाँ लिखी हैं जो मानसरोवर नाम से आठ भागों में संग्रहित है। दो बैलों की कथा, कफ़न, नमक का दारोगा, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी आदि इनकी प्रतिनिधि कथाएँ हैं।
"दो बैलों की कथा " कहानी का प्रश्न उत्तर
Questions answers do bailo ki ktha
1. कांजीहौस में बंद पशुओं की हाजिरी क्यों ली जाती होगी ?
उत्तर - कांजीहौस में लावारिस , आवारा और दूसरे का खेत चरने वाले पशुओं को कैद किया जाता है। उन पशुओं के मालिक कुछ दंड या जुर्माना भरकर उन्हें ले जाते हैं। जिनके मालिक उन्हें लेने नहीं आते उन्हें कुछ समय के बाद नीलाम कर दिया जाता है। कांजीहौस में बंद पशुओं की हाजिरी इसलिए ली जाती है कि कहीं कोई पशु भाग तो नहीं गया है। कौन कितने दिनों से बंद हैं तथा उनपर कितना खर्च हुआ है। उसके मालिक से कितना पैसा वसूल करना है।
2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति क्यों प्रेम उमड़ आया ?
उत्तर -- छोटी बच्ची की सौतेली मां उसके साथ बुरा व्यवहार करती थी। वह हमेशा उसे डाटती और मारती रहती थी। गया के घर में बैलों के साथ भी बुरा व्यवहार होता था। दोनों की परिस्थिति एक जैसी थी। वह बैलों की दयनीय दशा समझ सकती थी। इसलिए उसके मन में बैलों के प्रति प्रेम उमड़ पड़ा।
3.कहानी में बैलों के माध्यम से कौन - कौन से नीति विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं ?
उत्तर - दो बैलों की कथा कहानी में बैलों के माध्यम से निम्नलिखित नीति विषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं --
१. प्रत्येक प्राणी में सरलता और सहिष्णुता होनी चाहिए। लेकिन किसी को उसका ग़लत लाभ नहीं उठाने दिया जाए।
२. पशुओं के प्रति प्रेम भाव होना चाहिए।
३. स्वतंत्रता सर्वोपरि है, इसलिए इनकी रक्षा करनी चाहिए।
४. आपस में सहयोग की भावना होनी चाहिए।
५.हमें नारी का सम्मान करना चाहिए।
६. हमें निहत्थे शत्रु पर वार नहीं करना चाहिए। आदि।
4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभाव गत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ' मूर्ख' का प्रयोग न कर किस नये अर्थ की ओर संकेत किया है ?
उत्तर - प्रेमचंद ने गधे के सीधेपन तथा सहिष्णुता के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ मूर्ख का प्रयोग न कर उसे ऋषियों मुनियों की श्रेणी में रखा है। ऋषि मुनियों में जितने भी गुण हैं , वे सभी उसमें पराकाष्ठा पर पहुंच गए हैं। लेखक के अनुसार ऐसे महान प्राणी को मूर्ख कहना सद्गुणों का अनादर करना है।
5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी मित्रता थी ?
उत्तर - हीरा और मोती में गहरी मित्रता थी। दोनों में एक दूसरे के लिए समर्पण का भाव था। दोनों एक दूसरे को चाटकर आपसी प्रेम भाव प्रकट करते थे। वे एक साथ नाद में मुंह डालते और एक साथ हटाते। कांजीहौस और मटर के खेत में एक दूसरे का साथ दिए। दोनों मिलकर साढ का मुकाबला किए। दोनों की कोशिश होती थी कि उसके कंधे पर अधिक बोझ पड़े।
6. ' लेकिन यह क्यों भूल जाते हो कि औरत जात पर सींग चलाना मना है ' -- हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट करें ।
उत्तर - हमारा समाज पुरुष प्रधान समाज है। पुरुष महिलाओं पर अत्याचार करते रहे हैं। लेखक प्रेमचंद ने समाज को एक संदेश दिया है कि महिलाओं पर अत्याचार बंद हो। हीरा बैल के माध्यम से यह बताया गया है कि सभी को स्त्री जाति का सम्मान करना चाहिए।
7. इस कहानी में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को किस तरह व्यक्त किया गया है ?
उत्तर - किसान के जीवन में पशुओं का बहुत महत्व है। खेती के लिए बैल आधार स्तम्भ है। इसलिए बैलों के प्रति स्नेह भाव होना चाहिए। झूरी कांछी अपने बैलों से प्यार करते थे तो बैल भी उस पर जान न्योछावर करते थे। गया बैलों से अच्छा व्यवहार नहीं करता तो बैल भी उससे विद्रोह कर देते थे। इससे पता चलता है कि पशु भी प्रेम के भूखे होते हैं।
8.' इतना तो हो ही गया कि नौ - दस प्रणियों की जान बच गई । वे सब तो आशीर्वाद देंगे ।' मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषता बताइए।
उत्तर - कभी कभी मोती अन्याय के खिलाफ विद्रोही हो जाता था किन्तु स्वभाव से परोपकारी था। दूसरे की सुख में ही अपना सुख समझता था। कांजीहौस टूटने पर वह स्वयं नहीं भागा लेकिन अन्य पशुओं के भागने से वह खुश हो गया था। वह दयालु, त्यागी और परोपकारी था।
9. दो बैलों की कथा पाठ से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
उत्तर - दो बैलों की कथा पाठ से हमें शिक्षा मिलती है कि स्वतंत्रता मुफ्त में नहीं मिलती , उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है। हमें अपने देश वासियों की भलाई के लिए कुछ जरूर करना चाहिए। एकता में बल है। स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।
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Posted by Dr. Umesh Kumar Singh, Bhuli, Dhanbad Jharkhand
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