हम करेंगे आज भारत देश का जयगान, HM karenge aaj bharat


 जयगान

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान।

द्वेध दुख का अंत होगा,

अब न त्रास दुरंत होगा, 

अब फहरेगा हमारा

एक विजय निशान!

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान !

यश का गान !


रजत श्रंग तुषार शेखर,

तुंग यह हिमवान गिरिवर,

हम यहां निर्दवंद्व होकर,

बनेंगे गतिवान !

हम करेंगे आज भारत भूमि का जयगान !

यश का गान !


पोत – दल शत शत तरेंगे,

पश्चिमी सागर भरेंगे,

गर्जना में ध्वनित होगा,

देश गौरव मान !

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान !

यश का गान!


बने विद्या भवन शोभन,

देव मंदिर से सुपावन

हम करेंगे देश भारत,

ज्ञान वृद्ध महान !

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान !

यश का गान !

कवि सुब्रमण्यम भारती।



शब्दार्थ

द्वेध – दो प्रकार के ‌। अंत – समाप्त । 

त्रास – दुख । दुरंत – प्रबल, प्रचंड ।

गिरि – पर्वत । गति – चाल ।

तुषार शेखर – बर्फ का घर , हिमालय।

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यश – प्रसिद्धि। पोत दल – नौकादल ।

शत – सौ । ध्वनित – गुंजायमान।

सुपावन – पवित्र । रजत श्रृंग – चांदी जैसी चमकीली चोटियां।

निर्द्वन्द्व – जिसका कोई विरोधी न हो।

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कविता का भावार्थ


कवि सुब्रमण्यम भारती एक राष्ट्र वादी कवि हैं। वे कहते हैं, हम अपने देश भारत का गुणगान करेंगे। इसके यश और प्रतिष्ठा का वर्णन करेंगे जिससे हम भारत वासियों का सभी कष्ट दूर हो। हमारे देश भारत के उत्तर में हिम से आच्छादित पर्वतराज हिमालय विराजमान है जहां हम निर्द्वंद्व होकर विचरण करते हैं। पश्चिम, दक्षिण और पूर्वी सागर पर हमारे समुद्री जहाज स्वच्छता पूर्वक विचरण करते हैं।

हमारा देश सदियों से विश्व गुरु रहा है। यहां के विद्यालय मंदिर हैं जहां से पढ़कर हमारे बच्चे ज्ञान वान और महान बनते हैं।


प्रश्न उत्तर

1. जयगान कविता के रचयिता कौन हैं ?

उत्तर - जयगान कविता के रचयिता सुब्रमण्यम भारती हैं।

2. देश का जयगान करता हुआ कवि क्या क्या होने और करने की कल्पना करता है ?

उत्तर - देश का जयगान करता हुआ कवि यह कल्पना करता है कि इससे हमारे सारे कष्ट दूर हो जाएंग। हिमालय की बर्फीली चोटियों से लेकर समुद्र की गहराई तक हम निर्भय होकर विचरण करेंगे। हमारा भारत फिर से विश्व गुरु का ताज पहनेगा।


3. भारत की पर्वत की चोटियां किस प्रकार की हैं ?

उत्तर - भारत की पर्वत की चोटियां चांदी जैसी सफेद बर्फ की है।


4.कवि विद्यालयों को किसके समान बताया है ?

उत्तर - कवि विद्यालयों को मंदिरों के समान बताया है।


5. पोतदल से कवि का क्या मतलब है ?

उत्तर -- पोत दल से कवि का आशय है - तरह तरह के बड़े छोटे नांव जहाज। ये पोतदल समुद्र में हामारी विजय गाथा गाएंगे।

सुब्रमण्यम भारती का परिचय


इस कविता के कवि सुब्रमण्यम भारती राष्ट्रीय विचारधारा के तमिल कवि हैं। इनकी कविताओं में देशभक्ति और आजादी की प्रेरणा है।ये कविताएं स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान लिखीं गई है जिनका हिंदी में अनुवाद किया गया है। स्वतंत्रता और क्रांतिकारी भावना जगाने वाले राष्ट्रीय विचारधारा के कवियों में इनकी गणना होती है।

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सप्रसंग व्याख्या करें

बने विद्या भवन शोभन,

देव मंदिर से सुपावन

हम करेंगे देश भारत,

ज्ञान वृद्ध महान !

हम करेंगे आज भारत देश का जयगान !

यश का गान

उत्तर --

प्रस्तुत पंक्तियां हमारी पाठ्य पुस्तक ' सुरभि भाषा संपदा भाग 8 के 'जयगान ' कविता से ली गई है। इस कविता के रचयिता कवि सुब्रमण्यम भारती हैं। कवि अपने देश भारत वर्ष का गुणगान और जयगान कर रहे हैं।

कवि का कहना है कि किसी भी राष्ट्र का भविष्य उसके बच्चे होते हैं और बच्चों का भविष्य उस देश के विद्यालयों में गढ़ा जाता है। हमारे विद्यालय मंदिरों की तरह सुंदर और पवित्र होना चाहिए। तभी हमारे देश में बच्चे ज्ञानवान और महान बन सकते हैं। आइए, हम सब मिलकर यह सुंदर कार्य सम्पन्न करते हुए देश का जयगान करें।

विलोम शब्द लिखें

दुख : सुख, जय : पराजय, यश : अपयश, पावन : अपावन।

निम्नलिखित पंक्तियों में प्रयुक्त अनुप्रास अलंकार बताइए

 क . द्वेश दुख का अंत होगा।

उत्तर - द्वेध दुःख। द वर्ण की आवृत्ति है।

ख. हम करेंगे आज भारत भूमि का जयगान।

उत्तर -- भारत भूमि में अनुप्रास अलंकार है। भ वर्ण की आवृत्ति है।

ग. तट तमाल तरुवर वहु छाए।

उत्तर -- तट तमाल तरुवर में अनुप्रास अलंकार है। त वर्ण के आवृत्ति है।


घ. कालिंदी कूल कदंब के डायन।

उत्तर -- क वर्ण की आवृत्ति है इसलिए यहां अनुप्रास अलंकार है।


प्रश्न -- पावन शब्द में सु उपसर्ग लगने से सुपावन शब्द बना है। इसी तरह सु उपसर्ग लगाकर कुछ और शब्द बनाइए।


  उत्तर -- सुयश, सुयोग्य, सुनैना, सुभाष, सुभद्रा, सुशील, सुशासन।

 

पर्यायवाची शब्द लिखें


सागर -- समुद्र, जलधि, रत्नाकर, उदधि, नदीश,जलनिधि।

जल -- पानी, नीर, अंबू, वारि, 

यश -- गुण, बड़ाई, कीर्ति।

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Posted by Dr.Umesh Kumar Singh,
Bhuli, Dhanbad Jharkhand

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