A biography of Sister Nivedita, भगिनी निवेदिता का जीवन परिचय

 A biography of Sister Nivedita, भगिनी निवेदिता का जीवन परिचय । भारत में योगदान। स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता


भगिनी निवेदिता एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर मन में एक ऐसी दया, करुणा और मानवता की प्रतिमूर्ति अंकित हो जाती है जिसके आगे हमारा मस्तक श्रद्धा से झुक जाता है। उन्होंने विदेश में जन्म लेने के बाद भी भारत की गरीबी और इसके गुलामी को बखूबी समझते हुए इन समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया। स्वामी विवेकानन्द जी की शिष्या भगिनी निवेदिता गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रेरणा स्रोत थी। सुरेन्द्र नाथ बनर्जी, गोपाल कृष्ण गोखले, विपिन चन्द्र पाल, अरविंद घोष जैसे प्रमुख नेता उनके मित्र थे, बाल गंगाधर तिलक, महात्मा गांधी भी उनके प्रति श्रद्धा भाव रखते थे।

विषय सूची


भगिनी निवेदिता का जन्मदिन
भगिनी निवेदिता का असली नाम
भगिनी निवेदिता के माता-पिता
भगिनी निवेदिता का स्वामी विवेकानंद जी से भेंट।
भगिनी निवेदिता का भारत आगमन
भगिनी निवेदिता द्वारा विद्यालय की स्थापना
भगिनी निवेदिता द्वारा प्लेग पीड़ितों की सेवा
भगिनी निवेदिता का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान
भगिनी निवेदिता का महाप्रयाण

सिस्टर निवेदिता का असली नाम मारग्रेट था। 28 अक्टूबर 1867 को इनका जन्म एक आयरिश दम्पत्ति के यहां हुआ था। इनके पिता सैम्युएल और माता मेरी हेमिल्टन थी। इनमें मानवता और सहृदयता के गुण कूट-कूट कर भरे थे। इन्होंने अपनी लाडली पुत्री को दया, करुणा, दीनसेवा जैसे अच्छे संस्कार जन्म से ही दिए थे। मारग्रेट को दादा जी से अतुलनीय साहस और असीमित देशभक्ति की प्रेरणा मिली थी। अपने पूर्वजों से मिले सदगुरु मारग्रेट के जीवन के अभिन्न अंग बन गए।

एक समय की बात है, एक पादरी , जो मारग्रेट के पिता जी के मित्र भी थे, मारग्रेट के घर आए। वे उनके धर्म गुरु थे। उन्होंने मारग्रेट को देखकर कहा, मैं भारत जैसे महान देश का भ्रमण किया हूं, हो सकता है कि उस देश को तुम्हारी सेवाओं की भी जरूरत पड़ जाए। पादरी की बातें मारग्रेट के बाद मन को झकझोर कर रख दिया। उसकी आंखों में चमक आ गई।

समय बीतता गया। मारग्रेट अब सत्रह साल की नवयुवती बन गई। उसकी शिक्षा पूरी हो गई।वह शिक्षिका बनना चाहती थीं। उसे एक विद्यालय में शिक्षिका बनाने का अवसर मिला। वह खूब मन लगाकर काम करने लगीं।

1895 का वर्ष मारग्रेट के जीवन में एक नया मोड़ लाया ‌उसकी सहेली इजावेल ने मारग्रेट का परिचय स्वामी विवेकानंद जी से करवा दिया। उन दिनों स्वामी विवेकानंद जी सर्व धर्म सम्मेलन में शामिल होने शिकागो गये थे ‌। स्वामी विवेकानन्द जी के पांडित्य पूर्ण वचनों को सुनकर अनेक विदेशी उनके शिष्य बन गए। 1896 में वेदान्त प्रचार के बाद जब स्वामी जी स्वदेश लौटने लगे तो अनेक अंग्रज शिष्य उनके साथ भारत आए। मारग्रेट भी उनमें एक थी ‌।

28 जनवरी,1898 को मारग्रेट सदा के लिए अपना देश छोड़कर भारत आ गयी। भारत को ही उन्होंने अपना कर्म भूमि बनाया।25 मार्च 1898 का वह दिन ऐतिहासिक महत्व का दिन था जब स्वामी विवेकानंद जी ने मारग्रेट को एक मठ में ले जाकर उनका नाम निवेदिता रखा। अपने नाम के अनुरूप निवेदिता पाश्चात्य संस्कृति को त्यागकर भारतीय संस्कृति अपना ली। वह ईश्वर और भारत की सेवा में पूरी तरह समर्पित हो गई। निवेदिता का अर्थ भी समर्पित ही होता है।

13 नवंबर 1898 को सिस्टर निवेदिता ने एक छोटी सी कुटिया में पाठशाला आरंभ की। लम्बे सफेद गाउन और गले में रूद्राक्ष धारण करने से उनका व्यक्तित्व और निखर जाता था। वह कलकत्ता में सिस्टर निवेदिता के नाम से प्रसिद्ध हुईं। थोड़े ही दिनों में उनका विद्यालय काफी लोकप्रिय हो गया।  

मार्च 1899 में प्लेग नामक महामारी ने कलकत्ता को तबाह कर दिया। सिस्टर निवेदिता पूरी तन्मयता से पीड़ितों की सेवा में लीन हो गयी। उनके इस पुनीत कार्य में कुछ और महिलाएं सामिल हो गई। दिन रात के अथक परिश्रम से वह बीमार हो गयीं। फिर भी उनका सेवा कार्य चलता रहा। इसके लिए उन्होंने एक समिति गठित कर लिया। स्वामी विवेकानन्द जी के स्वर्गवास के बाद भारत की आज़ादी इनके जीवन का लक्ष्य बन गया। इनका विद्यालय राष्ट्रीयता का केन्द्र बना। भारत और भारतवासियों के लिए संघर्ष करते हुए इन्होंने अपना लौकिक शरीर दार्जिलिंग में त्याग दिया। मानवता के लिए इन्होंने जो त्याग और समर्पण किया है वह सदा स्मरणीय रहेगा।

प्रश्न उत्तर  questions answers



1. निवेदिता का जन्म कब हुआ ? उसके बचपन का क्या नाम था ?


उत्तर - निवेदिता का जन्म 28 अक्टूबर, 1867 को हुआ था। उसके बचपन का नाम मारग्रेट था।

2. निवेदिता ने अपने माता-पिता से कौन-सा गुण प्राप्त किया ?


उत्तर - निवेदिता ने अपने माता-पिता से गरीबों के प्रति सहानुभूति और और विनम्रता के गुण प्राप्त किया था।

3. मृत्यु के पूर्व निवेदिता के पिता ने अपनी पत्नी से क्या कहा ?

उत्तर --  मृत्यु के पूर्व निवेदिता के पिता ने अपनी पत्नी से कहा कि जब भारत से निवेदिता को बुलावा आए तो मारग्रेट को जाने देना।

4. निवेदिता की इच्छा क्या बनाने की थी ? क्या उसे इसे पूरा करने के लिए अवसर मिला?

उत्तर - निवेदिता की इच्छा अध्यापन कार्य करने की थी। वह शिक्षिका बनना चाहती थी। और वह शीघ्र ही शिक्षिका बन गई। उसकी इच्छा पूरी हो गई।

5. 1895 का वर्ष मारग्रेट के जीवन में मोड़ लाने वाला कैसे सिद्ध हुआ ?

उत्तर - 1895 ई मारग्रेट के जीवन में मोड़ लाने वाला वर्ष था । इस वर्ष स्वामी विवेकानंद जी से उनका परिचय हुआ।

6. स्वामी विवेकानंद के व्याख्यानों का पाश्चात्य जगत पर क्या प्रभाव पड़ा ?

 उत्तर - स्वामी विवेकानन्द के व्याख्यानों का पाश्चात्य जगत पर बहुत गंभीर प्रभाव पड़ा। उनके पांडित्य पूर्ण बातें सुनकर लोग मंत्रमुग्ध हो गए। उनके अनेकों शिष्य वहां बन गये।

7. कर्म के बारे में स्वामी जी के क्या विचार थे ?

उत्तर - कर्म के बारे में स्वामी विवेकानंद जी ने कहा - कर्म को केवल कर्म समझकर करना चाहिए। उसमें फल अथवा सुख दुख की भावना नहीं रखना चाहिए।

8. एक दिन स्वामी जी ने श्रोताओं को क्या आह्वान किया ?

उत्तर - एक दिन स्वामी जी ने श्रोताओं को आह्वान किया कि आज संसार को ऐसे बीस स्त्री - और पुरुष की आवश्यकता है जो जन सेवा में स्वयं को समर्पित कर दें। वे साहस के साथ यह घोषणा कर दे कि उन्हें ईश्वर के अतिरिक्त किसी और का काम नहीं करना है।

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