Raja Puru ( Porus ) and Sikandar, राजा पुरू ( पोरस) और सिकन्दर की कहानी

 Raja Puru ( Porus ) and Sikandar, राजा पुरू ( पोरस) और सिकन्दर की कहानी



Table of contents

1.सिकन्दर कौन था ?
2. केकय राज्य और राजा पुरू
3. पुरू के अन्य दरबारी
4. पुरू सिकन्दर युद्ध
5.पुरू सिकन्दर युद्ध के परिणाम
6. पुरु की मृत्यु।

Sikandar kaun tha
Kekay rajya aur raja Puru
Puru ke darbari
Battle of Puru and Sikandar
Results of Puru and Sikandar battle
Death of Puru

 सिकन्दर कौन था

यूनान देश का यवन शासक सिकन्दर बहुत क्रूर और घमंडी था। उसनेे विश्व विजय का दंभ भरते हुए ख़ैबर दर्रा के रास्ते ई पू 326 में भारत पर आक्रमण किया था। उस समय भारत के उत्तर पश्चिमी राज्य छोटे छोटे टुकड़ों में विभाजित थे। गंधार का राजा आंभी सिकन्दर से डरकर उसकी अधीनता स्वीकार कर लिया। उसने सोचा कि सिकन्दर आंधी की तरह आया है और कुछ ही दिनों में वापस चला जाएगा। इसलिए उससे पंगा लेना बुद्धिमानी नहीं है। इसलिए आंभी ने बड़ी आसानी से सिकन्दर की सारी शर्तें मान ली।

केकय राज्य और राजा पुरू

केकय राज्य पंजाब में झेलम नदी और चिनाव नदी के मध्य में झेलम, गुजरात और शाहपुर जिले तक फैला हुआ था। भारत के पश्चिमोत्तर सीमा पर केकय एक विशाल राज्य था जहां के राजा पुरू थे। इन्हें पोरस, पंचनद नरेश नाम से भी जाना जाता है। इनकी वीरता और सैन्य संगठन की चर्चा आज भी होती है।

पुरू के अन्य दरबारी

कोई भी राज्य तभी शक्ति शाली होता है जब वहां के राजा और दरबारी स्वाभिमानी और वीर हों। राजा पुरू के दरबार में आचार्य इन्द्रदत्त और सेनापति व्याघ्रपाद जैसे दूरदर्शी राजनीतिज्ञ दरबारी थे। सिकन्दर भारतीय क्षेत्रों को जीतता हुआ तक्षशिला तक आ पहुंचा। उसने वहीं से राजा पुरू को एक दूत के माध्यम से संदेश भिजवाया कि वह उसके दरबार में हाजिर होकर अधीनता स्वीकार कर लें। राजा पुरू के दरबार में उस समय आचार्य इन्द्रदत्त और सेनापति व्याघ्रपाद उपस्थित थे। उन्होंने सिकन्दर के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। महाराज पुरू ने सिकन्दर को झेलम नदी के किनारे युद्ध की चुनौती दे दी।

पुरू सिकन्दर युद्ध



झेलम नदी को पार किए बिना केकय राज्य में प्रवेश करना असम्भव था। झेलम नदी के पश्चिमी तट पर सिकन्दर की सेना और पूर्वी तट पर पुरू की सेना महीनों तक आमने-सामने खड़ी रहीं। पुरू की सेना देखकर सिकन्दर का साहस डोलने लगा था। सिकन्दर की सेना में पचास हजार पैदल सैनिक, सात हजार घुड़सवार थे। इधर पुरू की सेना में बीस हजार पैदल सैनिक, चार हजार घुड़सवार,चार हजार रथ और एक सौ तीस हाथी थे।

नदी में भरपूर पानी और तेज बहाव। उधर पुरू की सेना डटी हुई थी। नदी पार करना असम्भव सा था। सिकन्दर था बड़ा धूर्त। उसने निर्णय लिया कि रात के अंधेरे में कुछ चुने हुए सैनिकों को लेकर और उत्तर दिशा की ओर जाकर नदी पार करने का कोई आसान रास्ता ढूंढेगा।  उसने ऐसा ही किया। वह अपने ग्यारह हजार चुने हुए सैनिकों के साथ उत्तर दिशा की ओर बढ़कर ऐसा रास्ता खोजने में कामयाब हो गया जहां से झेलम नदी को आसानी से पार कर सके। पुरू को जब इस बारे में भनक लगी तो उसने अपने एक बेटे को सिकन्दर का रास्ता रोकने के लिए भेजा। लेकिन वह सिकन्दर का रास्ता नहीं रोक सका और वीरगति को प्राप्त हुआ।

अब युद्ध के मैदान में राजा पुरू और सिकन्दर आमने-सामने थे। राजा पुरू ने अपने 130 हाथियों को सिकन्दर की सेना के सामने पहाड़ की तरह खड़ा कर दिया। भीषण युद्ध हुआ। हाथियों ने अपने पैरों से हजारों यवनों को रौंद दिया। झेलम नदी लाल हो गई। इसी बीच घनघोर वर्षा होने लगी। कीचड़ में सैनिकों के पांव धंसने लगे। रथों के पहिए धंस गये। हाथियों ने महावतो का कहना मानना छोड़ दिया और अपने ही सैनिकों को रौंदना शुरू कर दिया। 

पुरू सिकन्दर युद्ध के परिणाम

सिकन्दर के सैनिकों को ऐसा भयंकर युद्ध से पहले पाला नहीं पड़ था। सिकन्दर को अपनी हार का अनुमान हो गया। उसने पुरू के पास संधि का प्रस्ताव भेजा। पुरू ने सिकन्दर से सन्धि कर ली क्योंकि उन्हें पता था कि यदि युद्ध और चलता है तो उनकी हार तय है क्योंकि सिकन्दर की सहायता के लिए और सैनिक आ रहे हैं। युद्ध में सिकन्दर की जीत हुई या पुरू की इस विषय में इतिहास में मतभेद है। हां, सिकन्दर के सैनिकों का मनोबल इतना टूट गया था कि वे आगे बढ़ने से इंकार कर दिए। फलस्वरूप सिकन्दर सिकन्दर विश्व विजय का सपना त्याग कर वापस लौट गया।

पुरू की मृत्यु

राजा पुरू की मृत्यु कैसे हुई इस विषय में भी इतिहास कारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि पुरू की मौत विषकन्या के द्वारा हुईं। परंतु यह कथन सही प्रतीत नहीं होता। कुछ लोग कहते हैं कि ई पू 321 ई में पुरू का एक खाश सेनानायक यूदोमोश ने ही उसका क़त्ल कर दिया। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि आचार्य चाणक्य ने उसकी कत्ल करवा दी जिससे चन्द्रगुप्त मौर्य का विरोध न हो। कुछ इतिहासकार पुरू की मौत का जिम्मेदार सेलयुकस, धननंद और आंभी को मानने हैं। इस विषय में अभी भी शोध की आवश्यकता है।

Questions and answers

1. मंत्रणा गृह में कौन-कौन थे और किस विषय पर मंत्रणा कर रहे थे ?
उत्तर - मंत्रणा गृह में राजा पुरू, आचार्य इन्द्रदत्त और सेनापति व्याघ्रपाद उपस्थित थे। भारत पर सिकन्दर का आक्रमण हुआ था। यह एक बड़ी चुनौती थी। इस विषय पर मंत्रणा कर रहे थे।

2. गंधार नरेश कैसा था? उसने क्या ग़लत किया ?
उत्तर - गंधार नरेश आंभी कायर और डरपोक था। उसने यवन शासक सिकन्दर से समझौता कर लिया था। उसकी अधीनता स्वीकार कर ली।

3 गंधार के लोगों को यवनराज की अधीनता में कोई हानि प्रतीत क्यों नहीं हुई ?
उत्तर - गंधार के लोगों ने सोचा कि सिकन्दर आंधी की तरह आया है और आंधी की तरह कुछ दिनों में वापस चला जाएगा। इसलिए उसकी अधीनता स्वीकार कर लेने में कोई दिक्कत नहीं है।

4. यवनराज के बारे में आचार्य के क्या विचार थे ?
उत्तर - यवनराज के बारे में आचार्य ने कहा, भारत जैसे सुंदर देश जीत लेने के बाद यवनराज सिकन्दर वापस नहीं जाएगा। गंधार नरेश की सोच गलत है।

5. दूत किसकी ओर से आया था और क्या संदेश लाया था ?
उत्तर - दूत यवनराज सिकन्दर की ओर से आया था। वह संदेश लेकर आया था कि पुरू भी उसकी अधीनता स्वीकार कर लें।

Posted by Dr.Umesh Kumar Singh, Bhuli Nagar, Dhanbad Jharkhand,
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