हम पंछी उन्मुक्त गगन के,ham panchhi unmukta Gagan ke

हम पंछी उन्मुक्त गगन के

  हम पंछी उन्मुक्त गगन के

Ham panchhi unmukta Gagan ke, poem

कवि   शिव मंगल सिंह सुमन



हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव, भावार्थ, व्याख्या, शब्दार्थ, प्रश्न उत्तर। मुख्य संदेश।
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के, कविता


हम पंछी उन्मुक्त गगन के

पिंजर बद्ध न गा पाएंगे,

कनक तिलियो से टकराकर

पुलकित पंख टूट जाएंगे।


                हम बहता जल पीने वाले

                मर जाएंगे भूखे प्यासे

               कहीं भली है कटुक निबोरी

              कनक कटोरी की  से।


स्वर्ण श्रृंखला के बंधन में. 

 अपनी गति उड़ान सब भूले,

बस सपनों में देख रहे हैं 

तरु की फूनगी पर के झूले।


               ऐसे थे अरमान की उड़ते

              नील गगन की सीमा पाने,

              लाल किरण सी चोच खोल 

               चुगते तारक अनार के दाने।।


होती सीमाहीन क्षितिज से

 इन पंखों की होड़ी होड़ी,

 या तो क्षितिज मिलन बन जाता

 या तनती सांसों की डोरी।


                नीड़ न दो चाहे टहनी का

               आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो,

                लेकिन पंख दिए हैं तो 

               आकुल उड़ान में विघ्न न डालो।।


शब्दार्थ

पंछी - चिड़िया, उन्मुक्त - आजाद,खुला। गगन - आकाश । बद्ध - बंधकर। कनक - सोना। पुलकित - अच्छा। कटुक  निबोरी  - तीखे फल, नीम का फल। नीड़ - घोंसला। आश्रय - ढिकाना। स्वर्ण - सोना। तरू - पेड़। क्षितिज - आकाश।

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 हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता की व्याख्या

प्रस्तुत कविता की सारगर्भित पंक्तियों में कविवर शिव मंगल सिंह सुमन ने पंछी के माध्यम से देशवासियों को   स्वतंत्रता   का महत्व समझाने का प्रयास किया है। पंछियों को विधाता पंख दिए हैं, असीम आसमान में उड़ने के लिए। यदि कोई उसे अपने स्वार्थ के लिए पिंजरे में कैद कर लेता है तो यह अन्याय और अधर्म है। पंछी हो या मनुष्य सभी के लिए स्वतंत्रता जन्म सिद्ध अधिकार है। इसके लिए हमें हर संभव प्रयास करना चाहिए

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पंछी कहता है, हम पंछी गण उन्मुक्त गगन में विचरण करने वाले प्राणी है। हम पिंजरे में कैद होकर खुश नहीं रह सकते। पिंजरे में हम घुटन महसूस करते हैं, वहां हमारे सुन्दर पंख भी टूट जाएंगे। चाहे हमें सोने की कटोरी में अच्छा खाना और मीठा जल देंगे, फिर भी पिंजरे में हम खुश नहीं रह सकते। हम तो नदी का बहता पानी पीने वाले प्राणी है, गुलामी की मीठी रोटी से आजादी की निबोरी ही अच्छी लगती है।

पंछी आगे कहता है, इस सोने के पिंजरे में बंधकर हम अपनी तेज गति और उड़ने की कला भूल गए।जब हम आजाद थे तो कितना आनन्द से पेड़ की सबसे ऊंची टहनी पर बैठ कर झूला झूलने का आनंद लेते थे। लेकिन अब तो ये बातें सपना बनकर ही रह गया है।

हमारे मन में कैसे कैसे अरमान थे। हम इस नीले आकाश की सीमा पाना चाहते थे। मेरी इच्छा थी कि अनार के दाने जैसे तारों को अपने मुंह में ले लूं। लेकिन क्या करूं, अब तो पिंजरे में कैद हूं।

कभी कभी इस असीम आसमान से मेरी ठन जाती। बाजी लगा लेते हम। आसमान की सीमा पार करने की। इस होड़ में हम बहुत दूर निकल जाते। हमारी सांसें फूल जाती। 

अंत में पक्षी कहता है, मुझे पेड़ की टहनियों पर घोंसला मत बनाने दो। मेरा आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन भगवान जब पंख दिए हैं तो मुझे उडने से मत रोको। मेरी स्वतंत्रता मुझसे मत छिनों।


हम पंछी उन्मुक्त गगन के


स्वतंत्रता दिवस निबंध 


 हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का मूल भाव


'हम पंछी उन्मुक्त गगन के' कविता स्वतंत्रता के महत्व को बताने वाली प्रसिद्ध कविता है। यह  मनुष्य केे साथ-साथ अन्य जीव जंतुओं को भी अत्यंत प्रिय है। आजादी के कड़वे फल गुुुुुलामी के  की मीठी रोटी से अधिक स्वादिष्ट  होता है। इसलिए हमें अपनी स्वतंत्रता      केे लिए जी जान लगाकर काम करने की कोशिश करते रहना चाहिए। इतना ही नहीं, हमें किसी भी जीव जंतुओं पर अत्याचार नहीं करना चाहिए। अपने   शौक के लिए चिड़ियों को पिंजरे में कैद नहीं  करना चाहिए। 

हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता प्रश्न उत्तर, questions answers


1.सभी सुख सुविधाओं के बावजूद पंछी पिंजरे में कैद रहना पसंद क्यों नहीं करता है ?

उत्तर - जो आनंद खुले आकाश में बिचरण करने में है, जो आनंद तरू की सबसे ऊंची टहनी पर बैठ कर झूला झूलने में है , जो आनंद नील गगन में उड़कर अपने साथियों से प्रतिस्पर्धा लगाने में है,वह आनंद पिंजरे में कैद होकर भला कैसे मिल सकता है। आजादी के आनंद का मुकाबला कुछ नहीं कर सकता। इसलिए पिंजरे में सारी सुख-सुविधाएं प्राप्त रहने पर भी पंछी उदास है। उसे पिंजरे में कैद होकर रहना पसंद नहीं है।

2. पंछी उन्मुक्त रहकर अपनी कौन सी इच्छाएं पूर्ण करना चाहता है ?

उत्तर - कविता में पंछी उन्मुक्त रहकर अपनी निम्नलिखित इच्छाओं को पूरा करना चाहता है -

पंछी अनंत आकाश में उड़ कर नील गगन की सीमा पाने की इच्छा पूरी करना चाहता है। वह चाहता है कि आकाश में जो तारें अनार के दाने जैसे दिखाई दे रहे हैं, उन्हें अपनी चोंच में बंद कर लूं। अपने साथियों के साथ आसमान में बाज़ी लगा कर प्रतियोगिता करूं।

3. हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का क्या संदेश है ?

कवि शिव मंगल सिंह सुमन इस कविता के माध्यम से यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें आजादी चाहिए। आजादी से अच्छा कुछ भी नहीं है। आजादी ही जिन्दगी है, और गुलामी मौत है। अतः हमें न गुलाम रहना चाहिए और न गुलाम रखना चाहिए। पंछी को भी पिंजरे में कैद नहीं करना चाहिए।

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