Mata ka Anchal, माता का आंचल, शिवपूजन सहाय

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माता का आंचल


माता का आंचल कहानी का सारांश, summary of story Mata ka Anchal, written by Shivpujan Sahay



लेखक के पिता सवेरे सवेरे उठकर दैनिक कार्यों से निपट कर पूजा पाठ करने बैठ जाते थे। लेखक मां से केवल दूध पीने भर का नाता रखता था। शेष काम पिता करते थे। पिता उसे भोला नाथ कहते थे। वे राम नाम हजार बार लिख कर पाठ करते थे और फिर गंगा में आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाते थे। कभी-कभी वह बच्चों के साथ कुश्ती भी लड़ते थे। घर पर मां अपने हाथ से एक कटोरे में गोरस और भात मिलाकर खिलाती। वह है पिताजी को डांटते की उन्हें बच्चों को ठीक से खिलाना भी नहीं आता। मां हमें जबरदस्ती पकड़कर हमारे सिर में चुल्लू भर कड़वा तेल डाल देती थी। फिर काजल की बिंदी लगाकर , चोटी गूंथकर, रंगीन कुर्ता टोपी पहनाकर क' कन्हैया ' बना देती थी। फिर हमें बच्चों का झुंड मिल जाता था। वहां हम तरह तरह के खेल खेलते। कभी रंगमंच बनाते कभी मिठाई की दुकान सजाते। हम मिट्टी की चीजों से ही सब सामान तैयार कर लेते थे। नकली दावत का प्रोग्राम होता था। कभी-कभी बारात का जुलूस भी निकालते थे। खटोली की पालकी पर दुल्हन को चढ़ा लिया जाता था। कभी कभी खेती करने की योजना बनाई जाती। फसल को एक जगह रख कर पैरों से रोदा जाता था। आम की फसल आने पर चुन-चुन कर आम चबाते थे। 

एक दिन की बात है। बड़ी जबरदस्त वर्षा हुई। वर्षा बंद होते ही बिच्छू नजर आए। हम लोग डरकर भागे। हमारा साथी बैजू बड़ा ढीठ था।  बीच में मूसन तिवारी मिल गये। उन्हें दिखाई कम देता था। बैजू ने उनको खूब चिढ़ाया ' बुढ़वा बेइमान मांगे करैला के चोखा '। मूसन तिवारी ने बच्चों को खूब खदेड़ा। फिर वे शिकायत करने पाठशाला चले गए। वहां गुरु जी के सिपाही हम पर टूट पड़े। गुरु जी ने हमारी खूब खबर ली। बाबूजी ने सारा हाल सुना तो दौड़े दौड़े पाठशाला गये और गुरु जी की खूब चिरौरी करके हमें घर ले आए।

अब हम-सब रोना धोना छोड़कर लड़कों की मंडली के साथ नाचने गाने लगे -- ' राम जी की चिरई , राम जी के खेत, खा ले चिरई भर भर पेट।' फिर हम टीले पर जाकर चूहों के बिल में पानी उड़ेलने लगे। तभी गणेश जी के चूहों की रक्षा के लिए शिव जी का सांप निकल आया। रोते चिल्लाते हम सभी बच्चे भागे। किसी के दांत टूटे, किसी का सिर फूटा, पैरों के तलवे कांछे से छलनी हो गये। घर जाकर मां के आंचल में दुबक गए। मां ने हमारे अंगों को आंचल से पोंछा और हल्दी पीसकर घावों पर लगाईं। इसी बीच बाबू दौड़े हुए आए। उन्होंने हमें मां की गोद से लेने का प्रयास तो किया पर हमने मां के आंचल की छांव न छोड़ी।

शैली -- आत्मकथात्मक,  यह एक आत्मकथात्मक उपन्यास देहाती दुनिया का अंश है।।


शिवपूजन सहाय का जीवन परिचय, biography of shiwpujan Sahay


शिव पूजन सहाय का जन्म कब हुआ -- 1893 ई

शिव पूजन सहाय का जन्म कहां हुआ -- उनवास गांव, जिला भोजपुर, बिहार।

शिव पूजन सहाय का देहांत कब हुआ -- 1963 ई।


 शिव पूजन सहाय के बचपन का नाम -- भोलानाथ


इन्होंने दसवीं की परीक्षा पास कर बनारस की अदालत में नकलनवीस की नौकरी कर ली। बाद में अध्यापक बन गये। असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर उन्होंने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।

शिव पूजन सहाय अपने लेखन से हिन्दी साहित्य में बहुत सम्मानित और प्रभावी , और लोकप्रिय थे।

इन्होंने जागरण, हिमालय, माधुरी, बालक आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया। प्रतिष्ठित पत्रिका मतवाला के संपादक मंडल में भी शिव पूजन सहाय का स्थान था। 

शिव पूजन सहाय मुख्यतया गद्य लेखक थे। देहाती दुनिया, ग्राम सुधार, वे दिन वे लोग, स्मृति शेष जैसी रचनाएं उन्होंने हिन्दी साहित्य को प्रदान किया है। शिव पूजन रचनावली के नाम से चार खंडों में उनकी रचनाएं प्रकाशित हुई हैं।

माता का आंचल पाठ का प्रश्न उत्तर NCERT solutions


1. माता का आंचल  पाठ के आधार पर कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था फिर विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर मां की शरण लेता था। आपकी समझ में इसकी क्या वजह हो सकती है ?

उत्तर -- स्वाभाविक रूप से बच्चों का मां के प्रति लगाव होता है। मां बच्चे की भावनाओं को अच्छी तरह समझती है। विपदा के समय मां की गोद में अधिक सुरक्षित महसूस करता है। पिता भी बच्चे को उतना ही प्यार करता है परंतु फिर भी बच्चा मां के आंचल में छुपता है। इस स्वाभाविक प्रेम के कारण ही बच्चा पिता के पास न जाकर मां की आंचल में शरण लेता है।

2. आपके विचार में भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है ?

उत्तर - भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना भूल जाता है , क्योंकि उसे अपने साथियों की संगति अच्छी लगती है। बच्चे अपनी संगति में सब दुख भूल जाते हैं।

3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब तक खेलते खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलो आदि ने जुडी तुकबंदी याद हो तो लिखिए।

उत्तर -- हम सब भी बचपन में बहुत खेल खेलते थे। कुछ कुछ तुकबंदी भी कर देते थे । जैसे-
क. काले मेघा पानी दे, पानी दे गुडधानी दे।
ख. चंदा मामा दुर के, पुए पकाएं गुड़ के।


4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर -- भोलानाथ और उसके साथियों के खेल एवं खेलने की सामग्री हमारे खेलो और खेल सामग्री से बिल्कुल भिन्न है। भोलानाथ और उसके साथी घर बनाना, खेती करना, दुकान लगाना आदि खेल खेलते थे जिसमें सरकंडे मिट्टी के बर्तन , टूटे घड़े के टुकड़े , रस्सी आदि खेल सामग्री होती थी । हमारे खेल उनसे अलग है । हम क्रिकेट फुटबॉल साइकिल चलाना मोबाइल गेम आदि खेलते हैं । हमारे खेल के साधन बैट बॉल , फुटबॉल, मोबाइल कंप्यूटर आदि हैं।

5. माता का आंचल कहानी में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आप के दिल को छू गया हो।

उत्तर --  माता का आंचल कहानी में कई ऐसे प्रसंग आए हैं जो हमारे दिलों को छू गए हैं
क. मां का बच्चे को खाना खिलाना है । हर कौर खिलाने से पहले यह कहना कि जल्दी खा ले नहीं तो उड़ जाएगा।
ख. बच्चों द्वारा चूहे के बिल में पानी डालने पर सांप निकल आना और बच्चों का डर के मारे भाग कर मां के आंचल में छुप जाना।
ग. बच्चों की आवाज सुनकर पिता का दौड़कर आना और बच्चों का मां का आंचल ना छोड़ना।

6. इस उपन्यास अंश में तीस के दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं ?

उत्तर -- माता का आंचल पाठ शिवपूजन सहाय के उपन्यास देहाती दुनिया से लिया गया है। इस उपन्यास में तीस के दशक की ग्राम संस्कृति का चित्रण है। उस समय  बच्चे बेकार पड़ी चीजों से खेलते थे । उस समय में स्त्रियों एवं बुजुर्गों की दशा के विषय में वर्णन मिलता है।
आज के ग्रामीण जीवन में बहुत परिवर्तन हो चुका है। अब गांव में आधुनिक सुविधाएं पहुंच गए हैं। आज गांव में भी शिक्षा पर  जोड़ दिया जाता है। बच्चे फालतू चीजों से खेलने के स्थान पर नए नए उपकरणों से खेलते हैं। गांव में भी शहरी प्रभाव दिखाई दे रहा है।

7. पाठ पढ़ते पढ़ते आपको भी अपने माता-पिता का लाड प्यार याद आ रहा होगा। अपनी इन भावनाओं को लिखिए।

उत्तर --  हां, हमें भी अपने माता-पिता के लाड़ प्यार की बड़ी याद आती है। बचपन में मां बड़े प्यार से सुबह जगाती थीं। पिता जी उंगली पकड़कर घुमाने ले जाते थे। मां कैसे कैसे बहाने बनाकर खाना खिलाती, श्रृंगार करती, बीमार पड़ने पर रात रात भर जगती। पिता जी तरह तरह की चीजें लाकर देते। कैसे सुन्दर दिन था वह।

8. यहां माता पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर --  इस पाठ में मां पिता जी दोनों के प्यार का चित्रण किया गया है। माता के मन में बच्चों के प्रति प्यार उमरता रहता है। पेट भरा होने पर पक्षियों के नाम लेकर खाना खिलाती है। बुरी नजर से बचाने के लिए काजल की बिंदी लगाती है। बालों की चोटी गूंथती है और फुलजार लट्टू बाधकर कन्हैया बनाती है।  चोट लगने पर हल्दी लगाती है। स्वयं भी रोती है । बच्चा भी मां के आंचल में प्रेम और शांति पाता है।
 माता के प्रेम के समान पिता भी भावुक है। पिता उसे भोलानाथ कह कर पुकारते हैं। साथ सुलाना, सुबह उठकर नहलाना, खेतों में ले जाना, बच्चों के खेल में रुचि लेना उनके प्रेम का परिचायक है। वे कभी भोलानाथ को नहीं डांटते। जब भोलानाथ सांप से डर कर भागते हुए घर में घुसे तो पिता दौड़ कर उसके पास आ गए।

9. माता का आंचल शीर्षक की सार्थकता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाव दीजिए।

उत्तर -- माता का आंचल शीर्षक बिल्कुल उपयुक्त शीर्षक है। हम देखते हैं कि भोलानाथ का अधिकतर समय अपने पिता के साथ बीतता था  परंतु मां के आंचल में उन्हें प्रेम और शांति का एहसास होता था। किसी प्रकार का भय अथवा चोट लगने पर वह मां को पुकारते हुए घर में आता था। पिता के प्रयत्न करने पर भी भोलानाथ उनके पास नहीं जाता मां के आंचल में छिप जाता। इस पाठ का अन्य शीर्षक रखना चाहे तो मां का प्रेम अथवा बच्चे का मां से लगाव रख सकते हैं।

10. बच्चे माता पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?

उत्तर -- बच्चे अपने माता पिता के साथ अधिक समय व्यतीत करते हैं। पिता के कंधों पर चढ़कर उनकी मूछे खींचकर उनकी गोद में बैठ कर मां के हाथ से खाना खाने की जिद करके वे अपना प्रेम अभिव्यक्त करते हैं।

सूरदास के पद, जीवन परिचय पढ़ें

11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह अलग है? 

उत्तर -- इस पाठ में बच्चों के ग्रामीण परिवेश का वर्णन है जिसमें प्रेम माता पिता का वात्सल्य निहित है लेकिन आजकल हम शहरी जीवन के अभ्यस्त हो गए हैं। माता पिता बच्चों को पढ़ाई कंप्यूटर वीडियो मोबाइल जैसे उपकरण दे रहे हैं। आज के बच्चे बाहरी दुनिया से अनभिज्ञ रहते हैं।

12. भोलानाथ के पिताजी का रामनामी गोलियां मछलियों को खिलाना क्या केवल धार्मिक अनुष्ठान है या जीवो पर दया करने का मूल्य भी निहित है। पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर - भोलानाथ के पिताजी बहीं पर हजार बार राम नाम लिखकर उन्हें आटे की गोलियों में लपेट कर मछलियों को खिलाते थे। यह उनका धार्मिक अनुष्ठान भी था और जीवो के प्रति दया का भाव। आटे की गोलियों से मछलियों का पेट भरता और राम नाम लिखने से धार्मिक अनुष्ठान पूरा होता है।

MCQ type questions answers, वस्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर


1. ' माता का आंचल ' पाठ के लेखक कौन हैं ?

क. प्रेम प्रकाश
ख . प्रेमचंद
ग. शिवपूजन सहाय
घ. फणीश्वरनाथ रेणु

उत्तर - ग. शिवपूजन सहाय

2. बुरी नजर से बचाने के लिए मां बच्चे को क्या करती है ?
क . खाना खिलाती है।
ख. गाय का दूध पिलाती है।
ग. घर में छुपा लेती है।
घ. काला टीका लगाती है।

उत्तर - घ . काला टीका लगाती है।

3. माता का आंचल पाठ किस उपन्यास से लिया गया है ?
क. देहाती दुनिया
ख. देहाती बच्चे
ग. देहाती औरत
घ. गोदान

उत्तर - क. देहाती दुनिया

माता का आंचल कहानी का विश्लेषण आप को कैसा लगा, हिन्दी विषय में कुछ और सहयोग की आवश्यकता है तो कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें। धन्यवाद।


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