रामचरितमानस की प्रबंध काव्य कल्पना पर विचार कीजिए, प्रबंध काव्य क्या है। Ramcharitmanas prabandh kavay

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 रामचरितमानस की प्रबंध काव्य कल्पना पर विचार कीजिए, प्रबंध काव्य क्या है।

Ramcharitmanas  prabandh kavay


रामचरितमानस की प्रबंध कल्पना



इस लेख में हमने निम्नलिखित बातों पर चर्चा की है


रामचरितमानस हिंदी की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधात्मक महाकाव्य

प्रबंध काव्य की विशेषता और रामचरितमानस

प्रबंध काव्य के संबंध में रामचंद्र शुक्ल का मत

रामचरितमानस की भाषा, छंद

रामचरितमानस का भावुक प्रसंग

रामचरितमानस की लोकप्रियता

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रामचरितमानस तुलसीदास की सर्वश्रेष्ठ प्रबंधात्मक रचना है। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने प्रबंध रचना के स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा है कि प्रबंध काव्य में मानव जीवन का एक पूर्ण दृश्य होता है। उसमें घटनाओं की संबंध श्रृंखला और स्वाभाविक क्रम से ठीक-ठीक निर्वाह के साथ-सथ हृदय को स्पर्श करने वाले तथा उसमें नाना भावों का रसात्मक अनुभव कराने वाले प्रसंगों का समावेश होना चाहिए। इतिवृत्त के निर्वाह से रसानुभव नहीं कराया जा सकता । उसके लिए घटना चक्र के अंतर्गत ऐसी व्यापार और वस्तुओं का प्रतिबिंबित चित्रण होना चाहिए जो श्रोता के हृदय में रसात्मक तरंगे उठाने में समर्थ हों। अतः कवि को कहीं तो घटना का संकोच करना पड़ता है और कहीं विस्तार।

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आचार्य शुक्ल के कथन के आधार पर रामचरितमानस एक प्रबंधात्मक कृति है , क्योंकि इसमें लोकनायक राम के संपूर्ण जीवन की कथा का समावेश हुआ है। समस्त घटनाएं श्रृंखलाबद्ध हैं जो मानव हृदय को स्पर्श कराने वाली तथा उसे अनेक भावों का रसात्मक अनुभव कराने वाली है। कुछ आलोचक इसमें सात सर्ग होने के कारण इसे महाकाव्य की श्रेणी में नहीं रखते किंतु उनका यह मत निराधार है , क्योंकि मात्र निश्चित सर्ग संख्या से ही कोई रचना महाकाव्य का पद प्राप्त नहीं कर सकती। किसी भी रचना को महाकाव्य की श्रेणी में रखने के लिए उसमें विश्व को महान संदेश देने की अपूर्व क्षमता का होना आवश्यक है। डॉ सुरेंद्र चंद्र गुप्ता के अनुसार विश्व वांग्मय में रामचरितमानस सर्वश्रेष्ठ है।

 यह प्रबंधात्मक कृति है। इसमें सात कांड है। इसमें राम कथा के माध्यम से संपूर्ण हिंदू जनता के सामने एक आदर्श रखा गया है। इसमें सभी रसों का सरस प्रवाह मिलता है। तत्कालीन समाज और संस्कृति इसमें मूर्त कर दी गई है। तुलसी ने इसकी रचना' स्वांत: सुखाय' की थी लेकिन लोक पक्ष का निर्वाह इसमें पूर्णत: हुआ है। इसमें भक्ति, ज्ञान और दर्शन की अद्भुत त्रिवेणी प्रवाहित है। इसकी रचना दोहा, चौपाई, छंदों में की गई है। बीच-बीच में रोला, सोरठा, कवित्त आदि छंदों का प्रयोग भी मिलता है। इसकी भाषा तत्सम शब्दावली प्रधान साहित्यिक अवधी है। यह ग्रंथ  अपनी उदात्ता के कारण हिंदू समाज के लिए नित्य पारायण और पूजा की वस्तु बना हुआ है।

रामचरितमानस संसार का सर्वश्रेष्ठ धार्मिक ग्रंथ है। हिंदी भाषा का सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्य रामचरितमानस है क्योंकि महाकाव्य होने के सभी गुण इसमें उपस्थित है। कुछ लोगों ने इसे महाकाव्य ना मानने का दुराग्रह भी करते हैं लेकिन उनका यह दुराग्रह उचित नहीं है रामचरितमानस में महाकाव्य के सभी लक्षणों की प्रतिष्ठा के साथ-साथ मानव धर्म की बुभुक्षा को तृप्त करने का सफल प्रयास किया गया है।

दो बैलों की कथा      (क्लिक करें और पढ़ें)


आचार्य रामचंद्र शुक्ल के अनुसार प्रबंधकार कवि की भावुकता का सबसे अधिक पता यह देखने से चल सकता है कि वह किसी आख्यान से अधिक मर्मस्पर्शी स्थलों को पहचान सका है या नहीं। रामचरितमानस पढ़ने पर पता चलता है कि ऐसे मर्मस्पर्शी स्थल कई है। जैसे राम का अयोध्या त्याग और पथिक के रूप में वन वन भटकना, चित्रकूट में राम भरत मिलन, शबरी का आतिथ्य, लक्ष्मण के शक्ति बाण लगने पर राम विलाप, भरत की प्रतीक्षा,।

इन स्थलों को गोस्वामी जी ने अच्छी तरह पहचाना है और विस्तृत वर्णन किया है। कवि वहीं भावुक है जो प्रत्येक मानव स्थिति में अपने को डाल कर उसके अनुरूप भाव का अनुभव करे। तो इस कसौटी पर रामचरितमानस से बढ़कर दूसरा ग्रंथ कहां मिलेगा।

जो केवल दांपत्य रति में अपनी भावुकता प्रकट कर सके या वीर उत्साह का अच्छा चित्रण कर सके वह पूर्ण भावुक कवि नहीं होते। पूर्ण भावुक कवि वह है जो जीवन की प्रत्येक स्थिति के मर्मस्पर्शी अंश का अनुभव करे। हिंदी के कवियों में संपूर्ण भावुकता हमारे तुलसी कृत रामचरितमानस में ही है। यही कारण है कि रामचरितमानस भारत की संपूर्ण जनता के गले का हार है। ऐसा प्रबंध काव्य अन्यत्र दुर्लभ है।


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