पर्यावरण, प्रदूषण और हमारा स्वास्थ्य (Pryawaran, pradushan and our health

पर्यावरण, प्रदूषण और हमारा स्वास्थ्य

 Polution, polution and our health

पर्यावरण , प्रदूषण और हमारा स्वास्थ्य

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मनुष्य के अनावश्यक हस्तक्षेप से ही प्रकृति में गंदगी और प्रदूषण फैलता है। आज़ विश्व भर में जिस तरह औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है वह निश्चित रूप से पृथ्वी के विनाश का कारण बन सकता है। पर्यावरण का प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य को भी बहुत आघात पहुंचा रहा है। मोटर वाहन, कल - कारखाने और विभिन्न प्रकार के संयंत्र पर्यावरण प्रदूषण के सबसे बड़े कारक हैं। आइए, इस लेख में प्रदूषण के कारण, उसका हमारे स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव और प्रदूषण से बचने के उपायों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।

प्रदूषण के कारण

औद्योगिकीकरण के कारण प्रदूषण तीव्र गति से बढ़ता जा रहा है। अत्यधिक ऊर्जा और उष्णता उत्पन्न करने वाले संयंत्र, मोटर वाहन, कल - कारखानों से निकलने वाले धुंए से हमारा वातावरण प्रदूषित, विषैला और गंदा होता जा रहा है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत घातक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले तीस वर्षों में हमारा जीव मंडल  समाप्त हो जाएगा और जीव जंतु तथा वनस्पतियों का अस्तित्व मिट जाएगा। सारी दुनिया की जलवायु बदल जाएगी । इसलिए हमें प्रकृति संरक्षण में सहयोग करना चाहिए।


प्रकृति में सभी जीव जंतुओं का अपना अपना विशिष्ट कार्य है। यह ब्रह्मा भी है, विष्णु जी भी है और महेश भी है। अर्थात , निर्माण भी, पोषण भी और संहार भी प्रकृति ही करती है। जब मनुष्य प्रकृति के कार्य में हस्तक्षेप करता है तब प्रकृति का संतुलन बिगड़ जाता है। इससे मनुष्य क्या, सारी सृष्टि का स्वास्थ्य ही बिगड़ जाता है।

औद्योगिक विकास ने वायु प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा दिया है। मोटर गाड़ियों और कल कारखानों में जो ईंधन उपयोग होता है वह पूरी तरह जल नहीं पाता है। इसके परिणामस्वरूप धुएं में कार्बन मोनोऑक्साइड बहुत अधिक मात्रा में रहती है। एक बात और जान लेना चाहिए। 960 किलोमीटर की यात्रा में एक मोटर वाहन उतना आक्सीजन का उपयोग करता है जितना कि एक व्यक्ति एक वर्ष में। स्थिति सामने है। विश्व में मोटर गाड़ियों की बढ़ती संख्या वायु प्रदूषण के लिए बहुत उत्तरदाई हैं।

प्रदूषण का प्रसार

प्रदूषण जहां पैदा होता है, वहीं तक सीमित नहीं रहता है, वह हवा के झोंको के साथ दूर - दूर तक फैल जाता है। सन् 1968 में ब्रिटेन में लाल धूल फैलने लगी। वह सहारा रेगिस्तान से उड़कर आई थी। जब उत्तरी अफ्रीका में टैंकों का युद्ध चल रहा था तब वहां से धूल उड़कर कैरीबियन समुद्र तक पहुंच गई थी।

स्वीटजरलैंड में डेविस नाम का एक गांव है जहां फेफड़ों की बीमारियों से ग्रसित लोग स्वास्थ्य लाभ के लिए जाते हैं। सन् 1900 से 1935 के बीच वहां के वातावरण में धूल की मात्रा 80 प्रतिशत बढ़ गई। 1947 से 1967 तक हवाई टापू के वातावरण में धूल की मात्रा में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई। हवाई टापू औद्योगिकीकरण के क्षेत्रों से दूर है। वहां पर यह धूल हजारों किलोमीटर दूर से उड़कर आई होगी। 1930 में शिकागो में साल में बीस दिन ऐसे होते थे जब धुआं ऊपर उठने के बदले नीचे बैठ जाता था।   1948 में ऐसे दिनों की संख्या बढ़कर 320 हो गई।


प्रदूषण का दुष्प्रभाव

आजकल लोग घरों, कारखानों, मोटर गाड़ियों और विमानों के माध्यम से हवा, मिट्टी, पानी में अंधाधुंध कचरा बहा रहे हैं।  शहरों की घनी आबादी में कार्बन मोनोऑक्साइड की वजह से रक्त संचार में 5-10 प्रतिशत आक्सीजन कम हो जाती है। आक्सीजन की तुलना में कार्बन मोनोऑक्साइड लाल रूधिर कोशिकाओं के साथ ज्यादा जल्दी मिल जाती है। इसका दुष्परिणाम यह होता है कि ये कोशिकाएं आक्सीजन को अपनी पूरी मात्रा में संभालने में असमर्थ हो जाती हैं। मोटर कारों के धुंए में टेट्राएथिल के अतिरिक्त सीसा भी होता है, अधिक मात्रा में होने पर यह प्राण घातक विष बन जाता है। कम मात्रा में भी यह नुकसान दायक है। बच्चे के मानसिक विकास के लिए यह बहुत हानिकारक है। इससे रक्तचाप की बीमारी भी होती है।

जापान में प्रदूषण

जापान की राजधानी टोक्यो संपूर्ण विश्व का सबसे प्रदूषित शहर माना जाता है। वहां सड़कों पर जगह-जगह आक्सीजन के सिलेंडर लगे हुए हैं। यदि आक्सीजन की वजह से कोई परेशानी होती है तो आक्सीजन लेकर राहत पा सकते हैं। इसके लिए उन्हें येन खर्च करने पड़ते हैं। वहां 20 प्रतिशत विद्यार्थियों को आंख, नाक और गले के रोग लगे रहते हैं। इंग्लैंड और अमेरिका की स्थिति भी इस मामले में अच्छी नहीं है।

भारत में प्रदूषण की स्थिति

भारत की बात करें तो यहां भी स्थिति चिंताजनक है। पूरा देश प्रदूषण की गिरफ्त में आता दीख रहा है। महानगरों की स्थिति और ख़राब है। देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि सांस लेने के लिए स्वच्छ वायु मिलना कठिन होता जा रहा है। सांस संबंधी रोग भी बढ़ रहे हैं। दिल्ली का नाम भी संसार के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में काफी ऊपर है।


प्रदूषण से बचने के उपाय

इस विकट स्थिति से निपटने के लिए अधिक से अधिक संख्या में पेड़ लगाने की आवश्यकता है। पेड़ पौधे ही हमें आक्सीजन देंगे। किसी भी परिस्थिति में पेड़ों को काटना नहीं चाहिए। प्रकृति वंदना करें। हर शुभ अवसर पर पेड़ लगाए। मोटर गाड़ियों का कम उपयोग करें। अपने आसपास गंदगी न फैलाएं। स्वच्छ विश्व स्वस्थ विश्व का नारा सार्थक बनाएं।


FAQ

1.प्रकृति कब तक स्वच्छ रहती है ?

उत्तर - जब तक मनुष्य का हस्तक्षेप प्रकृति में नहीं होता तब तक प्रकृति स्वच्छ बनी रहती है।

2. वातावरण प्रदूषित और विषैला क्यों होता जा रहा है ?

उत्तर - ऊर्जा और उष्मा उत्पन्न करने वाले संयंत्र, मोटर गाड़ियों, रेलों तथा कल कारखानों से निकलने वाले धुंए से हमारा वातावरण प्रदूषित और विषैला होता जा रहा है।

3. प्रकृति के साथ सहयोग करना हमारे हित में कैसे हैं ?

उत्तर -  प्रकृति पर ही हमारा जीवन निर्भर करता है। यदि प्रकृति का संतुलन बिगड़ा तो पृथ्वी पर जीवन समाप्त हो जाएगा। इसलिए प्रकृति का सहयोग करना हमारे हित में है।

4 प्रकृति में समतोल किस प्रकार बना रहता है ?

उत्तर - प्रकृति में मनुष्य, जीव जंतु, वनस्पति जगत सब आपस में मिलकर समतोल में रहते हैं और एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा करते हैं।

5. औद्योगिकीकरण का क्या दुष्परिणाम हो रहा है ?

औद्योगिकीकरण से वातावरण प्रदूषित हो रहा है। इससे निकलने वाले धुंए और कचड़े हवा, मिट्टी और जल को दूषित कर रहे हैं।

6. प्रदूषण किस प्रकार फैलता है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - प्रदूषण जहां पैदा होता है वहीं पर स्थिर नहीं रहता है। हवा के बहाव के द्वारा वह सारे वातावरण में फैल जाता है। उदाहरण के लिए सन्नी 608 में ब्रिटेन में लाल धूल गिरने लगी वह सहारा रेगिस्तान से उड़ कर आई थी। एक और उदाहरण जब उत्तरी अफ्रीका में टैंकों  के द्वारा युद्ध चल रहा था तब वहां से धूल उड़ कर कैरीबियन समुद्र तक पहुंच गई।

7. वायु प्रदूषण कौन-कौन से रोग उत्पन्न करता है?

 वायु प्रदूषण से सांस की बीमारी अधिक होती है।

8 प्रश्न - कार्बन मोनोऑक्साइड की क्या विशेषता है ? यह हमारे रक्त संचार पर क्या प्रभाव डालती है ?

उत्तर - कार्बन मोनोऑक्साइड जहरीली गैस है। यह आक्सीजन की तुलना में जल्दी हमारे रक्त कणिकाओं में मिल जाती है। इससे रक्त कणिकाओं में आक्सीजन सम्हालने की क्षमता घट जाती है।

9. टोक्यो को सर्वाधिक प्रदूषित नगर क्यों माना जाता है ?

उत्तर - टोक्यो के 20 प्रतिशत विद्यार्थी आंख, नाक, गले के लोग से प्रभावित है। वहां हवा में आक्सीजन की कमी है। यह सब कर कारखाने और मोटर गाड़ियों के कारण हुआ है।

10. दिल्ली की स्थिति प्रदूषण की दृष्टि से कैसी है ?

उत्तर - - दिल्ली में प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है। यह विश्व के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल हैं।

11. प्रदूषण से कैसे बचा जा सकता है ?

उत्तर - अत्यधिक मात्रा में पेड़ - पौधे लगाकर प्रदूषण से बचा जा सकता है। 

12. प्रकृति में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का काम किस प्रकार चलता रहता है ?

उत्तर -- प्रकृति में ब्रह्मा विष्णु और महेश का काम स्वत: चलता रहता है। प्रकृति सभी जीव जंतु मिल कर समतोल रहते हैं।  प्रत्येक का अपना विशिष्ट कार्य है। सड़ने वाले पदार्थ तेजी से सड़कर पेड़ पौधों और जीव जंतु का खुराक़ बनते हैं। अर्थात एक कार्य किसी को नुक्सान पहुंचाती है तो किसी को लाभ भी पहुंचाती है।

अपने मित्र को एक पत्र लिखिए जिसमें पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्या पर ध्यान आकृष्ट किया गया हो।

दिल्ली
दिनांक - 15 नवंबर, 2022
प्रिय मित्र अशोक, 
सप्रेम नमस्कार।

मित्र ! मैं यहां सकुशल हूं और आशा है तुम भी बंगलौर में खुशी खुशी अपना जीवन यापन कर रहे होंगे।









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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।



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