Sursa ki kahani, सुरसा की कहानी

 

     सुरसा की कहानी, Sursa ki kahani

सुरसा नाम अहिन्ह कै माता

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सुरसा की कहानी

Sursa Kaun thi, सुरसा की कहानी

रामचरितमानस में सुन्दर कांड की कथा को अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है, क्योंकि राम कथा के इसी सोपान में   पवनपुत्र हनुमान जी  सीता माता की खोज में रावण की स्वर्ण नगरी लंका जा रहे हैं। लंका में बड़े - बड़े महाभट बलशाली राक्षसों का निवास था। वे राक्षस बड़े मायावी भी थे। नर - बानर तो उनके सामने तिनकों की तरह थे। इसलिए जब हनुमानजी अकेले ही लंका की ओर चले तो देवताओं को बड़ी चिंता हुई। उन्होंने नागों की माता सुरसा को हनुमान जी की बल - बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए भेज दिया। पूरी कथा इस प्रकार है --


हनुमान जी रीझ राज जामवंत जी की प्रेरणा से आकाश मार्ग से लंका की ओर उड़ चले। जैसे ही कुछ दूर गये कि नागों की माता सुरसा उनके सामने बड़ा - मुंह बाए सामने आ गई। कहा - आज देवताओं की कृपा से मुझे अच्छा भोजन मिल गया है। मैं तुम्हें खाकर अपनी भूख मिटाउगीं। हनुमान जी ने बड़ी विनम्रता से कहा -  माता ! मैं श्रीराम के कार्य से लंका की ओर जा रहा हूं। किसी ने उनकी पत्नी माता सीता का हरण कर लिया है। मुझे जाने दो। मेरा मार्ग मत रोको। मैं अपने स्वामी श्रीराम का काम करके , अर्थात सीता माता का समाचार श्रीराम को सुनाकर तुम्हारे पास आ जाऊंगा, फिर तुम मुझे खा लेना।


लेकिन सुरसा उनकी बातें नहीं मानी। उसने बड़ा - मुंह खोल कर हनुमान जी के सामने खड़ी हो गई। हनुमानजी ने उसके मुंह से बड़ा अपना आकार बना लिया। अब सुरसा ने सोलह योजन के बराबर अपना मुंह का आकार बना कर हनुमान जी की ओर दौड़ी। हनुमानजी ने अपना आकार बतीस योजन का बना लिया। जैसे - जैसे सुरसा अपने मुंह का आकार बढ़ाती, महाबली हनुमान जी वैसे - वैसे अपने शरीर का आकार बढ़ाते जाते। हनुमानजी के सामने अब सुरसा असहाय होने लगी


अब सुरसा ने अपने मुंह का आकार घटाकर सात योजन ( दूरी का मापक ) कर लिया। हनुमानजी तुरंत अत्यंत छोटा रूप बनाकर उसके मुंह में जाकर पुनः बाहर निकल आए , और सुरसा से विदा लेकर आगे बढ़ चले। सुरसा हनुमान जी के बल और बुद्धि की परीक्षा ले चुकी थी। उसने हनुमानजी को आशीष देते हुए उनके मार्ग से हट गयी। सुरसा ने कहा - देवताओं ने मुझे जो काम दिया था , वह मैंने कर दिया। हे हनुमान जी आप बल - बुद्धि के भंडार हैं। आप जाइए और अपने स्वामी श्रीराम का कार्य सफलतापूर्वक संपन्न कीजिए।

दोस्तों ! यह है नागों की माता सुरसा की कथा। 


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