Teachers day 2021,

Teachers day 2021

     निबंध, भाषण, ध्येय वाक्य, श्लोक

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किसी भी देश का भविष्य उस देश के छात्र - छात्राओं पर निर्भर करता है और छात्र -  छात्राओं का भविष्य उस देश के सुयोग्य शिक्षकों पर निर्भर करता है। इसलिए हमारे देश में गुरु का स्थान भगवान से भी ऊंचा माना गया है। गुरु वह है जो अपने छात्रों को अज्ञानता के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश में ले जाए। माता - पिता तो बच्चे को जन्म देते हैं परन्तु एक शिक्षक ही अपने कठिन तप से अर्जित ज्ञान के द्वारा बच्चों को सुयोग्य नागरिक बनने में सहायता करते है। इसलिए दुनिया के लगभग सभी देशों में शिक्षकों के सम्मान में  शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा है। भारत में प्रति वर्ष 05 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। आइए, इस लेख में शिक्षक दिवस से संबंधित महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्राप्त करें।


विभिन्न देशों में शिक्षक दिवस कब मनाया जाता है ?

 1.भारत - --------        05 सितंबर
2. बांग्लादेश -------        05 अक्टूबर
3. चीन ----------         10 सितंबर
4. जर्मनी ---------      05 अक्टूबर
5. ग्रीस -     --------     30 जनवरी
6. मलेशिया ------      16 मई
7.आस्ट्रेलिया ------   अक्टूबर के आखिरी शुक्रवार
8. पाकिस्तान -------        05 अक्टूबर
9. श्रीलंका ------           06 अक्टूबर
10. युनाइटेड किंगडम ---- 05 अक्टूबर
11. ईरान -----         02 मई
12. यू एस ए ------  मई के पहले हफ्ते में नेशनल टीचर वीक मनाया जाता है।

भारत में 05 सितंबर को शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है ?

भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने अपने जीवन काल में 40 वर्षों तक शिक्षण कार्य किया। भारत के साथ साथ विदेशों में भी उन्होंने शिक्षा का दीपक जलाकर छात्र छात्राओं को लाभान्वित किया। आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने पहले भारतीय प्रोफेसर बनने का गौरव प्राप्त किया था। एक शिक्षक से भारत के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षकों के लिए आदर्श और गौरव माने जाते हैं। उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाना शिक्षकों के लिए गौरव की बात है। 

शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत कैसे हुई ?

एक दिन की बात है। कुछ छात्र सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिन मनाना चाहते थे। इस बात का प्रस्ताव छात्रों ने उनके पास रखा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा कि उनका जन्म दिन यदि  शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है तो उन्हें बहुत खुशी होगी। तब से प्रत्येक वर्ष 5 दिसम्बर को उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।

शिक्षक दिवस मनाने की शुरुआत कब हुई ?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने कहा कि यदि उनका जन्म दिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है तो उन्हें बहुत खुशी होगी।  यह 1962 ई की बात है जब कुछ छात्रों ने उनका जन्म दिवस मनाने की उनसे अनुमति मांगी थी। इस तरह 1962 में पहली बार शिक्षक दिवस मनाया गया।

शिक्षक दिवस


शिक्षक दिवस कैसे मनाया जाता है ?

शिक्षक दिवस छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण दिवस है। इस दिन का इंतजार छात्र छात्राओं के साथ साथ प्रत्येक शिक्षकों को रहता है। श्रेष्ठ और प्रतिभाशाली कुछ चुनिंदा शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मानित भी करते हैं।

इतना ही नहीं, विद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में साफ सफाई की जाती है और समारोह आयोजित कर छात्र - छात्राएं अपने शिक्षकों को सम्मानित करते हैं और गुरु - शिष्य परम्परा की यादें ताजा करते हैं। 05 सितंबर भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म दिवस है इसलिए उनके चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है और उनके जीवन पर प्रकाश डाला जाता है।

देश के विभिन्न क्षेत्रों में शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राज्य सरकार द्वारा भी उत्कृष्ट योगदान करने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है।

Sarwapalli Radhakrishnan

सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

भारत रत्न, महान शिक्षाविद, पूर्व राष्ट्रपति और एक महान शिक्षक सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरूट्टनी नामक स्थान में 05 सितंबर को  सन् 1888 को हुआ था।  उनके पिता का नाम सर्वेपल्ली वीरास्वामी और माता का नाम सिताम्मा था । वे एक सुयोग्य शिक्षक थे। उन्होंने लगभग 40 वर्षों तक शिक्षण कार्य किया। मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में अध्यापन कार्य करने के बाद मैसूर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर बन गये। तत्पश्चात वे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में कुलपति भी रहे। सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारतीय संस्कृति के संवाहक और आस्थावान हिन्दू विचारक थे।

सर्वपल्ली राधाकृष्णन 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारत के राजदूत रहे। वे 1952 से 1962तक भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति रहे। फिर 1962 से 1967 तक भारत के दूसरे राष्ट्रपति रहे। वे एक महान विद्वान थे। 1954 में सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया  गया।उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखी हैं जिनमें द एथिक्स आफ वेदांत, रिलिजन एंड सोसायटी, इंडियन फिलासफी, माई सर्च फॉर ट्रूथ आदि प्रमुख हैं। 17 अप्रैल 1975 को लम्बी बीमारी के बाद इनका निधन हो गया। अमेरिका सरकार ने मरणोपरांत सर्वपल्ली राधाकृष्णन को टेम्पलटन पुरस्कार से सम्मानित किया।

शिक्षक दिवस पर कुछ प्रमुख सूक्तियां, श्लोक


गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय।

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताए।।

अर्थात, गुरु और गोबिंद अर्थात ईश्वर दोनों एक साथ खड़े मिलें तो पहले गुरु जी को प्रणाम करना चाहिए, क्योंकि गुरु ने ही हमें भगवान से परिचित कराया है। 



गुरु कुम्हार शिष्य कुंभ है, गढि गढि काढै खोट।

अंतर हाथ सहार दे, बाहर मारे चोट ।।


अर्थात जिस तरह एक कुम्हार  गिली मिट्टी से घड़ा बनाता है उसी तरह गुरु जी भी एक सुयोग्य शिष्य का निर्माण करते हैं। कभी ऊपर मन से कठोर बनते हैं लेकिन उनका भाव शिष्य के हित में ही होता है।


गिली मिट्टी अनगढी, हमको गुरु वर जान।

ज्ञान प्रकाशित कीजिए, आप समर्थ बलवान।।

अर्थात, हे गुरु जी, मैं अनगढी गिली मिट्टी हूं, आप समर्थवान और बलवान हैं। मुझमें ज्ञान का प्रकाश भर दीजिए।


शिक्षक दिवस पर भाषण


मित्रो किसी भी अवसर पर दिया जाने वाला भाषण अपने मौलिक विचारों की अभिव्यक्ति होती है। लेकिन आपकी सुविधा के लिए मैं यहां कुछ सुझाव दे रहा हूं जिससे शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाषण देने में आपको आसानी होगी।


सबसे पहले वहां उपस्थित अतिथियों और अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहें, आदरणीय मुख्य अतिथि, अधिकारी गण, एवं हमारे गुरु जन।

फिर आपको गुरु की महिमा में कुछ दोहे, कविताएं कहनी चाहिए। इसके बाद सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में कुछ पंक्तियां बोलें। इसके बाद गुरु - शिष्य परम्परा की कुछ कहानियां सुनाये।  गुरु भक्त आरूणि आदि की कहानियां भी सुना सकते हैं। अंत में पुनः गुरु को अभिवादन करते हुए कुछ भूल हों गई हों तो क्षमा याचना करते हुए भाषण समाप्त करें।


शिक्षक दिवस पर कहे जाने वाले कुछ अनमोल वचन


* निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय।

बिन साबुन पानी बिना निर्मल करे सुभाय।।

आज के प्रतिस्पर्धा युग में आपका विरोधी ही आपका सबसे अच्छा शिक्षक है।

* किसी शिष्य को उसके वास्तविक गुणों - अवगुणों से परिचित करवाना ही शिक्षक का मूल कर्तव्य है।

* बच्चे में जो गुण सुषुप्तावस्था में छिपी रहती है उसे विकसित करना ही शिक्षक का मुख्य कर्तव्य है।

* हम अपने जीवन के लिए माता पिता के ऋणी है लेकिन एक अच्छे नागरिक बनने के लिए अपने शिक्षक के ऋणी हैं।

* यदि कोई देश महान बनता है तो अपने देश के शिक्षकों के बल पर।


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