Yah danturit muskaan यह दंतुरित मुस्कान

 

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कवि नागार्जुन अपने छोटे बच्चे की मुस्कान देखकर अत्यंत प्रसन्न है। बच्चे के मुंह में छोटे-छोटे दांत हैं। उस मुस्कान को देखकर पत्थर दिल भी पिघल जाता है। बच्चा उसे पहचानता नहीं है। मां माध्यम बनती है। यह कविता वात्सल्य रस का अनूठा उदाहरण है।

यह दंतुरित मुस्कान, कवि नागार्जुन

          यह दंतुरित मुस्कान कविता



तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
मृतक में भी डाल देगी जान
धूलि - धूसर तुम्हारे ये गात---
छोड़कर तालाब मेरी झोपडी में खिल रहे जलजात
 परस पाकर तुम्हारा ही प्राण,
पिघलकर जल बन गया होगा कठिन पाषाण
छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बांस था कि बबूल ?

भावार्थ 
कवि अपने पुत्र के जन्म के बाद उसे पहली बार देख रहा है। कवि कहता है कि बच्चे की मुस्कान मृत शरीर को भी प्राण दे सकती है। उसके धूल मिट्टी से सने शरीर को देखकर कवि को लगता है मानो कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोपड़ी में ही खिल गया है। शायद उस शिशु के स्पर्श से ही कठोर पत्थर पिघल कर पानी हो गया होगा। कवि कहता है कि मैं तो शायद बांस या बबूल था परंतु शिशु को छूते हैं वह शेफालिका का फूल बन गया है।

कविता में वात्सल्य रस है। कविता खड़ी बोली हिन्दी में रचित है ।परस पाकर में अनुप्रास अलंकार है।


तुम मुझे पाए नहीं पहचान ?
देखते ही रहोगे अनिमेष !
थक गए हो ?
आंख लूं मैं फेर ?
क्या हुआ यदि हो सके परिचित न पहली बार ?
यदि तुम्हारी मां न माध्यम बनी होती आज
मैं न सकता देख
मैं न पाता जान
तुम्हारी यह दंतुरित मुस्कान
धन्य तुम , मां भी तुम्हारी धन्य !

भावार्थ

यहां कवि कहता है कि मैं पहली बार तुम्हें मिला हूं। तुम पहचान नहीं रहे हो बस एकटक देख रहे हो क्या तुम थके नहीं हो ? यदि तुम्हारी मां माध्यम न बनीं होती तो मैं तुम्हें पहचान नहीं पाता। न तुम्हें देख पाता। तुम्हारी मां धन्य है और तुम भी धन्य हो।



चिर प्रवासी मैं इतर, मैं अन्य !
इस अतिथि से प्रिय तुम्हारा क्या रहा संपर्क
उंगलियां मां की कराती रही हैं मधुपर्क
देखते तुम इधर कनखी मार
और होती जब भी आंखें चार
तब तुम्हारी दंतुरित मुस्कान
मुझे लगती बड़ी ही छविमान !


भावार्थ

कवि कहता है कि मैं लंबे समय तक बाहर रहा हूं इसलिए मैं तुम्हारे लिए अजनबी व्यक्ति हूं। मुझ अतिथि से तुम्हारा संपर्क कभी नहीं हुआ इसलिए तुम मुझे नहीं जानते। तुम्हारी मां ने तुम्हारा पालन पोषण किया है उसने ही तुम्हें दूध, दही, शहर खिलाया है। जब तुम तिरछी निगाह से मुझे देखते हो और हमारी आंखें जब मिल जाती हैं तब तुम्हारी यह छोटे दांतो वालों मुस्कान मुझे बहुत अच्छी लगती है।

कविता खड़ी बोली हिंदी में लिखी गई है और इसमें वात्सल्य रस का सुंदर प्रयोग किया गया है। मां की कर्तव्य निष्ठा का वर्णन किया गया है।

नागार्जुन का जीवन परिचय


आधुनिक कबीर के नाम से प्रसिद्ध बाबा नागार्जुन का जन्म 1911 ई में बिहार के दरभंगा जिले में हुआ था। नागार्जुन हिंदी साहित्य के प्रगतिशील कवि और लेखक हैं। इनकी प्रारंभिक शिक्षा संस्कृत पाठशाला में हुई बाद में अध्ययन के लिए बनारस और कोलकाता भी गए। सन 1936 में वे श्रीलंका गये और बौद्ध धर्म अपना लिया। 1998 में इनका देहान्त हो गया।
इनकी प्रमुख रचनाएं हैं -- सतरंगे पंखों वाली, प्यासी पथराई आंखें, पका है कटहल, युगधारा,पुरानी जूतियों का कोरम आदि। ये सब नागार्जुन रचित कविताएं हैं। नागार्जुन के उपन्यासों में बलचनमा, रतिनाथ की चाची, कुंभीपाक, उग्रतारा प्रसिद्ध है। नागार्जुन का संपूर्ण साहित्य सात खंडों में प्रकाशित है।
नागार्जुन ने प्रणय, प्रकृति, राजनीति और देशप्रेम से संबंधित कविताएं लिखी हैं। कविताओं में शब्द चयन उनके भावों के अनुसार होती है। तत्सम - तद्भव शब्दों के साथ देशी - विदेशी शब्दों का भी प्रयोग उन्होंने बड़ी सरलता से किया है। अलंकारों के प्रयोग में भी वे दक्ष हैं।

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1. बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?

उत्तर - बच्चे की दंतुरित मुस्कान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह मुस्कान उसके मन की सीमा तक पहुंच कर मन को आनंद से भर देती है। उसके मन में कर्तव्य बोध और रचनात्मक सहज जीवन व्यतीत करने की कामना जगाती हैं। बच्चे की मुस्कान को देखकर कवि के मन में पितृत्व की भावना जाग उठती है।

2. बच्चे की मुस्कान और बड़े व्यक्ति की मुस्कान में क्या अंतर है ?

उत्तर - बच्चे की मुस्कान सहज और निश्चल होती है। उसकी मुस्कान से हृदय आनंद खिल उठता है। उसमें स्वार्थ की भावना नहीं होती लेकिन बड़े व्यक्ति की मुस्कान में सहजता नहीं होती । वह अवसर एवं व्यक्ति को देखकर मुस्कुराता है। उसमें निश्छल ता का भाव नहीं होता।

3. कवि नागार्जुन ने बच्चे की मुस्कान के सौंदर्य को किन-किन बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है ?

उत्तर - कवि नागार्जुन ने बच्चे की मुस्कान को निम्नलिखित बिंबो के माध्यम से व्यक्त किया है --
* बालक की मुस्कान के सौंदर्य में कमल के फूल खिलौने का चाक्षुष बिंब।
* बच्चे के छूने से शेफालिका के फूल खिलने में स्पर्श बिंब।

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1.यह दंतुरित मुस्कान कविता के कवि हैं - 

क. नागार्जुन  ख. रामधारी सिंह दिनकर ग. मीराबाई घ. सोहनलाल द्विवेदी।

उत्तर - क. नागार्जुन

2. कवि के अनुसार दंतुरित मुस्कान किसमें जान डाल देने की क्षमता रखता है ? 

उत्तर - क. मिट्टी के घड़े में , ख.मृतक में , ग. पौधे में , घ. संसार में।

उत्तर - ख. मृतक में।

3. कवि के अनुसार बच्चा अपने पिता को देख रहा है।

क. पहली बार ख. दूसरी बार ग. तीसरी बार घ. सातवीं बार

उत्तर - क. पहली बार

4. पिता का बच्चे के साथ परिचय में माध्यम कौन बनता है ? 

क. दादी ख. नानी ग. मां घ. कोई नहीं

उत्तर - ग . मां

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