Bagulo ke Pankh , Umashankar Joshi
बगुलों के पंख, कविता, 12वीं कक्षा हिंदी , कवि उमाशंकर जोशी
Bagulo ke Pankh , poem, Umashankar Joshi
बगुलों के पंख कविता, कवि उमाशंकर जोशी
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Bagulo ke Pankh (बगुलों के पंख ) सुप्रसिद्ध कवि उमाशंकर जोशी की सौन्दर्य परख कविता है। काले - काले बादलों से भरे आकाश में कवि सफेद पंखों वाले बगुलों को उड़ते देखकर मोहित हो जाता है। वे सफेद पंखों वाले बगुले काले कजरारे बादलों के बीच उड़ते हुए सांझ की सफेद काया की तरह प्रतीत होते हैं। बगुलों के पंख कविता गुजराती से हिन्दी में रूपांतरित किया गया है।
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नभ में पांती बांधे बगुलों के पंख,
चुराए लिए जातीं वे मेरी आंखें।
कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,
तैरती सांझ की सतेज श्वेत काया।
हौले - हौले जाती मुझे बांध निज माया से।
उसे कोई तनिक रोक रक्खो।
वह तो चुराए लिए जाती मेरी आंखें
नभ में पांती - बंधी बगुलों की पांखें ।
बगुलों के पंख कविता का भाव सौंदर्य और काव्य सौंदर्य (शिल्प सौंदर्य )
कवि कहता है कि आकाश में बगूले अपने पंख फैलाए हुए पंक्ति बद्ध होकर बिहार कर रहे हैं। उनमें इतना आकर्षण है कि वे मेरी आंखों को चुरा कर ले जा रहे हैं। कहने का आशय है कि मैं टकटकी लगाकर उन्हें निहार रहा हूं। आकाश में काले काले बादलों की छाया छाई हुई है। उसे देख कर यूं लगता है मानो सांझ की श्वेत क्रांति मय काया विहार कर रही है और मुझे अपने जादू में बांध रही है। कवि को भय है कि यह रमणीय दृश्य कहीं ओझल न हो जाए। इसलिए वह कहता है कि कोई तो उसे रोक कर रखो। मैं इस दृश्य को और अधिक देखना चाहता हूं। इस सुरम्य वातावरण के बीच पंख फैला कर उड़ते बगुलों की पंक्तियां मेरी आंखें चुरा लेंगी। इन्हें रोको। मैं इनके सौंदर्य में डूबा जा रहा हूं।
इन पंक्तियों की भाषा कोमल और मधुर है। हौले - हौले में पुनरूक्ति प्रकाश अलंकार है और कहीं कहीं अनुप्रास अलंकार है। आंखें चुराना मुहावरे का सुन्दर प्रयोग किया गया है। यहां मानवीकरण अलंकार है।
बगुलों के पंख कविता का प्रश्न उत्तर
1. कवि किसे रोककर रखना चाहता है और क्यों ?
उत्तर - कवि सांझ के समय कजरारे बादलों के बीच आकाश में उड़ते बगुलों की पंक्तियां रोकने को कहा है। इस दृश्य को देखकर उसका मन अभी नहीं भरा है। वह इस दृश्य को और देखना चाहता है। इसलिए उनको रोक कर रखने को कहता है।
2. इस कविता में किस समय का वर्णन किया गया है ?
उत्तर - इस कविता में सांझ का वर्णन किया गया है।
3. बगुलों का पंख किस प्रकार की कविता है ?
उत्तर - बगुलों का पंख सौंदर्य परक कविता है जिसमें सांझ के समय कजरारे बादलों के बीच सफेद पंखों वाले बगुलों का वर्णन किया गया है।
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