Jaliyawala bag me Basant, poem, जालियांवाला बाग में बसंत

जालियांवाला बाग में बसंत

 जालियांवाला बाग, jaliyawala bag me hatyakand 

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जालियांवाला बाग में बसंत कविता, Jaliyawala bag me Basant poem


यहां कोकिला नहीं, काक है शोर मचाते।
काले - काले कीट, भ्रमर का भ्रम उपजाते।
कलियां भी अधखिली, मिली हैं कंटक - कुल से।
वे पौधे, वे पुष्प , शुष्क हैं अथवा झुलसे।।

परिमल - हीन पराग दाग -सा बना पड़ा है।
हां ! यह प्यारा बाग खून से सना पड़ा है।
आओ, प्रिय ऋतुराज ! किंतु धीरे से आना।
यह है शोक - स्थान यहां मत शोर मचाना।।

वायु चले, पर मंद चाल से उसे चलाना।
दुख की आहें संग उड़ाकर मत ले जाना।
कोकिल गावे, किंतु राग रोने का गावे।
भ्रमर करे गुंजार , कष्ट की कथा सुनावै।।

लाना संग में पुष्प , न हों वे अधिक सजीले।
हो सुगंध भी मंद , ओस से कुछ - कुछ गीले।
किंतु न तुम उपहार भाव आकर दरसाना।
स्मृति में पूजा - हेतु यहां थोड़े बिखराना।।

कोमल बालक मरे यहां गोली खा - खाकर।
कलियां उनके लिए गिराना थोड़ी लाकर।
आशाओं से भरे हृदय भी छिन्न हुए हैं।
अपने प्रिय परिवार - देश से भिन्न हुए हैं।

कुछ कलियां अधखिली यहां इसलिए चढ़ाना।
करके उनकी याद अश्रु की ओस बहाना।
तड़प - तड़प कर वृद्ध मरे हैं गोली खाकर।
शुष्क पुष्प कुछ वहां गिरा देना तुम जाकर।।

यह सब करना , किंतु ,
बहुत धीरे से आना।
यह है शोक - स्थान
यहां मत शोर मचाना।।

जालियांवाला बाग में बसंत कविता का भावार्थ, summary of the poem Jaliyawala bag me Basant


जालियांवाला बाग में बसंत

Jaliyawala bag hatyakand

जालियांवाला बाग हत्याकांड 

जालियांवाला बाग पंजाब के अमृतसर में स्थित एक ऐसा स्थान है जहां 13 अप्रैल 1919 को अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने निहत्थे लोगों को गोलियों से भून देने का आदेश दिया था।  इस हत्याकांड में हजारों स्त्री पुरुष, बालक - वृद्ध मारे गए थे।  इसी स्थान का वर्णन सुप्रसिद्ध कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान ने बड़ी मार्मिकता से किया है।

समय परिवर्तन शील होता है। जो कल था वह आज नहीं, जो आज है वह कल नहीं रहेगा। कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान कहती हैं, जालियांवाला बाग में भीषण नर संहार हुआ था। हजारों निहत्थे नर - नारी, बच्चे - बूढ़े बेमौत मारे गए थे। इसलिए हे बसंत ऋतु यहां जरा सम्भल कर आना। यहां का वातावरण आज भी गमगीन है। यहां तुम्हारे अगवानी में कोकिला नहीं, बल्कि काक का बेरहम शोर सुनाई देता है। काले - काले कीट भ्रमर का भ्रम फैलाते हैं। फूल तो हैं , लेकिन अधखिले और मुरझाए। जैसे फूल नहीं कांटे हों। आज भी यहां का वातावरण नीरस और बेजान है। जैसे शोक और बिरह की आग में झुलसे है।

यहां फूल पराग विहीन और गंध हीन हैं। सुंदर बाग रक्त से बना हुआ है इसलिए हे बसंत ! यहां आना लेकिन धीरे-धीरे आना। यहां हवा चले लेकिन धीरे-धीरे चले। कोयल गाए लेकिन दुःख का गीत गाए। भ्रमर दुख भरी दास्तान सुनावे।

फूल लाना लेकिन अधिक सजीले फूल मत लाना। उपहार भाव से फूल मत लाना। स्मृति और पूजा भाव से फूल लाना। यहां छोटे छोटे बच्चों की की हत्या हुई है। उनके लिए कुछ कलियां बिखरे देना। यहां लोग अपने परिवार से बिछड़ गए हैं। इसलिए उनको श्रद्धांजलि अर्पित कर देना। उनकी याद में थोड़े आंसू जरूर बहाना।

हे बसंत ,  तुम यहां यही सब करना। यह शोक - स्थान है, यहां शोर मत मचाना।

सुभाद्रा कुमारी चौहान की जीवनी


सुभद्रा कुमारी चौहान राष्ट्रीय विचारधारा की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। उनका जन्म 1904 ई में प्रयाग में हुआ था। राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी इसलिए वे कई बार जेल भी गई थी। झांसी की रानी उनकी प्रसिद्ध रचना है। 1948 में उनका देहांत हो गया।

जालियांवाला बाग

जालियांवाला बाग में बसंत कविता का प्रश्न उत्तर


1. जालियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश किसने दिया ?

उत्तर - जालियांवाला बाग में गोली चलाने का आदेश जनरल डायर ने दिया था।

2. जालियांवाला बाग हत्या काण्ड का बदला किसने लिया ?

उत्तर - सरदार ऊधम सिंह ने जनरल डायर को मारकर जालियांवाला बाग हत्या काण्ड का बदला लिया।

3. जालियांवाला बाग कहां है ?

उत्तर - जालियांवाला बाग पंजाब के अमृतसर में स्थित है।


4. जालियांवाला बाग में बसंत कविता के रचयिता कौन हैं ?

उत्तर - जालियांवाला बाग में बसंत कविता के रचयिता प्रसिद्ध कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान हैं।

5. कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान ने जालियांवाला बाग का दृश्य किस प्रकार का बताया है ?

उत्तर - कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान ने जालियांवाला बाग का दृश्य बताया है कि वहां का वातावरण दुखदाई है। वहां कोयल की मीठी राग के बदले कौंवे की कर्कश आवाज सुनाई देती है। वहां फूल मुरझाए हुए हैं। भौंरे की जगह काले कीट दौड़ते हैं।

6. कवयित्री सुभाद्रा कुमारी चौहान ने जालियांवाला बाग में बसंत को धीरे से आने और मौन रहने को क्यों कहा है ?

उत्तर - जालियांवाला बाग में हजारों निहत्थे लोगों की हत्या हुई है। वहां का वातावरण नीरस और गमगीन है। इसलिए बसंत को धीरे आने और मौन रहने को कहा है।

7. समस्त कविता में कौन सा भाव है ?

उत्तर - पूरी कविता में दुख और करुणा का भाव है।

कोयल और भौरों को क्या करने को कहा गया है ?

उत्तर - यहां कोयल और भौरों को दुख भरे राग गाने को कहा गया है। यह एक शोक स्थान है।

भाषा अध्ययन


उपमा अलंकार


इसमें किसी एक व्यक्ति और वस्तु की तुलना किसी दूसरी प्रसिद्ध व्यक्ति और वस्तु से की जाती है। वाचक शब्द के रूप में ही, सा, सरिस, सम , जैसे आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण

परिमल - हीन पराग दाग - बन पड़ा है।

इसमें ' पराग के दंग के समान ' बताया गया है। अतः उपमा अलंकार है। 

इसी प्रकार कुछ और उदाहरण दीजिए।

चांद सा मुखड़ा
हाथी सा टीला
अरविंद से शिशुवृंद
ज्वाला सी चमक
ताड़ सा लम्बा मनुष्य।


अनुप्रास अलंकार का प्रयोग देखिए।

काले काले कीट 
कुछ कलियां

कष्ट की कथा सुनावे।

जालियांवाला बाग में बसंत कविता में किस रस का प्रयोग किया गया है ?
उत्तर  --जालियांवाला बाग में बसंत कविता में करुण रस है।
करुण रस की अन्य कविता का उदाहरण निराला जी की भिक्षुक कविता है --

वह आता 
दो टूक कलेजे को करता
पछताता , पथ पर आता।

नीचे दिए शब्दों को वाक्य में प्रयोग करें


पुष्प -- पुष्प खिल गये।
अश्रु -- अश्रु बह चले।
स्मृति -- पुरानी स्मृतियां भूल रहा हूं।
वृद्ध -- वृद्धों को परेशान मत करो।
कष्ट - तुम कष्ट मत करो।


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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।




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