Lankadahan ki katha, लंका दहन की कथा


       लंका - दहन की कथा,

           हनुमानजी ने लंका जला दी।

          Lankadahan ki katha


श्रीराम कथा में सुन्दर कांड का स्थान
हनुमानजी का विभीषण से मुलाकात
हनुमानजी जी का सीता माता से आशीर्वाद
रावण - पुत्र अक्षय कुमार का वध
हनुमानजी द्वारा ब्रह्मास्त्र में बंध जाना
हनुमानजी का रावण के दरबार में आना।
हनुमानजी द्वारा लंका दहन


Lanka Dahan , Ramcharitmanas

 श्रीराम कथा प्रसंग में सुन्दर कांड का अपना एक विशिष्ट स्थान है क्योंकि कथा के  इसी सोपान में महाबली हनुमानजी सीता माता की खोज में लंका गये थे और सीता माता का पता लगाने के साथ-साथ लंका दहन कर श्रीराम की शक्ति का पूर्वाभास लंका वासियों को दे दिया था। इतना ही नहीं, भक्त विभीषण को भी यह पूरा विश्वास हो गया था कि उनके आराध्य देव श्रीराम अब लंका पधारेंगे और उनका भी उद्धार करेंगे। तो आइए, आज हम आपको हनुमानजी ने लंका दहन कैसे किया था,इसकी कथा संक्षेप में बता रहा हूं।

लंकापति रावण की अशोक वाटिका बहुत सुंदर और नाना प्रकार के फूलों और फलों से सुसज्जित थी। उस वाटिका की रखवाली में शक्तिशाली राक्षस वीर लगे रहते थे। क्या मजाल कि उसमें कोई अन्य जीव - जन्तु प्रवेश कर जाए। सीता माता ने भी हनुमानजी को यही समझाया। हनुमानजी ने अपना विशाल रूप दिखा कर सीता जी को आश्वस्त कर दिया कि राम दूत हनुमान जी का राक्षस कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इस तरह सीता माता का आशीर्वाद प्राप्त कर हनुमान जी रावण की वाटिका में प्रवेश कर गए और लगे फल खाने। 



देखिए बुद्धि बल निपुण कपि कहेउ जानकी जाहु।
रघुपति चरन हृदयं धरि तात मधुर फल खाहु।।


कुछ खाते कुछ फेंकते जाते। पेड़ पौधे भी उखाड़ फेंकते। रखवालों को जब पता चला कि एक बानर  अशोक वाटिका में घुस आया है और वाटिका को तहस नहस कर रहा है तो उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। वे हनुमानजी को पकड़ने दौड़े, परन्तु  वे तुच्छ दानव भला हनुमानजी के सामने क्या टिकते। उनके हाथों पिटकर  रावण को सूचित किया कि एक विशालकाय बंदर वाटिका को तहस नहस कर रहा है। वह हमारे वश का नहीं है।



नाथ एक आवा कपि भारी। तेहि अशोक वाटिका उजारी।।
खाएसि फल अरु बिटप उपारे। रच्छक मर्दि मर्दि महि डारे।।

रावण अपने पुत्र अक्षय कुमार को भेजा , किन्तु हनुमानजी ने अक्षय कुमार को बात - बात में ही परलोक भेज दिया। यह समाचार सुनकर मेघनाद बहुत क्रोधित हुआ। वह हनुमानजी को वश में करने का दुस्साहस कर वाटिका में पहुंचा। हनुमानजी ने एक विशाल पेड़ उखाड़ कर उसे दे मारा। मेघनाद मूर्छित हो गया। जब होश आया तो वह समझ गया कि यह कोई साधारण बानर नहीं है। उसने ब्रह्मास्त्र का संधान किया। हनुमानजी ने ब्रह्मास्त्र का मान रखने के लिए स्वयं को बंधन में डाल लिया।


रावण के दरबार में हनुमानजी उपस्थित हैं। खूब सोच विचार के बाद निर्णय हुआ कि इनकी पूंछ जला दी जाए। रावण ने कहा - बानर को सबसे प्रिय पूंछ होती है। पूंछ विहीन होकर जब यह जाएगा तो अपने मालिक को भी ले आएगा। 



 कपि के ममता पूंछ पर सबहिं कहऊं समझाई।
तेल बोरि पट बांधिए पुनि पावक देहु लगाई।।

हनुमानजी समझ गये कि सरस्वती जी बुद्धि दे दी, वे मन ही मन मुस्कुरा रहे थे। हनुमानजी पूंछ बढ़ाते जाते और राक्षस गण उसमें घी और कपड़े लपेटते जाते। 


रहा न नगर बसन घृत तेला। बाड़ी पूंछ कीन्ह कपि खेला।।
कौतुक कहं आए पुर बासी। मारहिं चरन करहिं बहुत हांसी।।

राक्षसों ने हनुमानजी जी के पूंछ में घी - कपड़े लपेटकर नगर में घुमाया और फिर पूंछ में आग लगा दी। पूंछ में आग लगा देखकर हनुमानजी छोटा रूप बनाकर बंधन से मुक्त हो गये और सोने की अटारियों पर जा पहुंचे।  भगवान की प्रेरणा से उस समय उन्चास प्रकार की हवाएं चलने लगी । हनुमानजी इस महल से उस महल पर कूद कूद कर लंका नगरी को जलाने लगे। नगर वासी भयभीत हो गए और इधर - उधर भागने लगे। कहने लगे , यह बानर नहीं, जरूर कोई देवता हैं जो बानर का रूप धारण किया है।


हम जो कहा यह कपि नहिं होई। बानर रूप धरे सुर कोई।।

हनुमानजी  ने एक ही क्षण में लंका को जला दिया। विभीषण का घर और जहां सीता जी थीं, वह स्थान केवल बच गया। इस तरह हनुमान जी ने लंका दहन कर समुद्र में पूंछ की आग बुझाई और सीता माता से आशीर्वाद और चूड़ामणि लेकर लंका से वापस आ गए।

FAQ

1. लंका दहन प्रसंग राम चरित मानस के किस कांण्ड में है ?
उत्तर - लंका दहन प्रसंग राम चरित मानस के सुन्दर काण्ड में वर्णित है।

2. विभीषण कौन थे? वे किनके भक्त थे ?
उत्तर - विभीषण रावण के भाई थे। वह श्रीराम के भक्त थे।

3. रावण का कौन सा पुत्र हनुमान जी के हाथों मारा गया ?
उत्तर - रावण का पुत्र अक्षय कुमार हनुमानजी के हाथों मारा गया।

4 हनुमान जी अतुलित बलशाली थे, फिर भी वे बंधन में क्यों आ गये ?
उत्तर - हनुमानजी जी को भला कौन बांध सकता है ? वे तो ब्रह्मास्त्र का मान रखने के लिए बंधन में आ गए।

5. कपि को किस अंग पर अधिक ममता होती है ?
उत्तर - कपि को अपनी पूंछ पर अधिक ममता होती है।

हनुमान पुत्र मकरध्वज

हनुमान पुत्र मकरध्वज की कथा

डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।


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