Yogyata adharit shiksha, योग्यता आधारित शिक्षा के विषय में जानकारी

 
योग्यता आधारित शिक्षा

        योग्यता आधारित शिक्षा,                     Yogyata Aadharit Shiksha

            ( नई शिक्षा - नीति  2020 )

किसी भी देश का भविष्य वहां के युवा पीढ़ी की योग्यता और क्षमता पर निर्भर करता है और युवा पीढ़ी का भविष्य उस देश की शिक्षा नीति और शिक्षण - पद्धति पर निर्भर करता है। इसलिए किसी देश का भविष्य सुन्दर और सुदृढ़ बनाने के लिए एक अच्छी और दूरदर्शी शिक्षा नीति का होना आवश्यक है। इसी बात को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने नई शिक्षा नीति लाकर देश को सुन्दर, सुदृढ़, स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। तो आइए, नयी शिक्षा नीति के अंतर्गत योग्यता आधारित शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हैं।


Table of contents

योग्यता आधारित शिक्षा क्या होगा है, yogyata adharit shiksha kya hai, योग्यता आधारित शिक्षा की विशेषता, योग्यता आधारित शिक्षा के लाभ, योग्यता आधारित शिक्षण विधियों की विशेषता, yogyata adharit shiksha ki visheshta, योग्यता आधारित शिक्षा में मूल्यांकन, yogyata adharit shiksha me mulyanakan, पारंपरिक शिक्षा और योग्यता आधारित शिक्षा में अंतर।

योग्यता आधारित शिक्षा क्या है ?

योग्यता आधारित शिक्षा ( CBE ) छात्रों को पर्यावरण की परवाह किए बिना अपनी  गति से कौशल या योग्यता में महारत हासिल करने की क्षमता के आधार पर आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है। योग्यता वह क्षमता, कौशल, ज्ञान और दृष्टिकोण है जो किसी व्यक्ति को वास्तविक जीवन में कार्य करने में मदद करता है। वास्तव में कोई व्यक्ति अपने जीवन में कठिन तप से अर्जित ज्ञान और अनुभव के आधार पर ही आगे बढ़ता है। और वही योग्यता और ज्ञान उसे जीवन पर्यन्त सफलता का सोपान प्रदान करता है। इसलिए योग्यता का लोहा सभी मानते हैं। राजा हों या रंक। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी योग्यता विस्तार पर खुलकर ध्यान देना चाहिए। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि योग्यता आधारित शिक्षा सीखने और निर्देशन का एक तरीका है , जो कि विभिन्न सामग्रियों और कौशलों के साथ समझ और योग्यता सुनिश्चित करने के लिए लक्षित होता है। 

योग्यता आधारित शिक्षा की विशेषताएं


योग्यता आधारित शिक्षा की विशेषताएं निम्नलिखित हैं -

(क ) विशेष उद्देश्य
योग्यता आधारित शिक्षा में विशेष उद्देश्य के अंतर्गत निम्नलिखित बिंदुओं को समाहित किया गया है -
* प्रायोगिक -  दैनिक जीवन में काम आने वाली प्रायोगिक तथा व्यवसायिक योग्यताओं का विकास ।
* व्यवहारिक - व्यवहारिक जीवन की योग्यताओं का स्वाभाविक विकास ।* स्वानुभव से जनित ज्ञान -- पुस्तकीय ज्ञान से अलग स्वानुभव के माध्यम से ज्ञान तथा योग्यता का विकास।

( ख ) योग्यता आधारित शिक्षा में विषय - वस्तु की भूमिका

* गौणता - योग्यता आधारित शिक्षा में विषय वस्तु की भूमिका गौण होती है।

* योग्यता आधारित -
 विषय - वस्तु का चयन योग्यता विकास की दृष्टि से किया जाता है।
* विचार विमर्श - प्रभाव शाली बनाने के लिए समय - समय पर विचार विमर्श किया जाता है।

योग्यता आधारित शिक्षण विधियों की विशेषताएं


योग्यता आधारित शिक्षण विधियों पर निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए
* छात्र केन्द्रित * समावेशी * अंत विषय ( शैक्षणिक तथा गैर शैक्षणिक ) * सहयोगात्मक * संवादात्मक शिक्षण * सामूहिक परियोजना कार्य * युग्म तथा सामूहिक शिक्षण * प्राद्योगिकी का अधिक प्रयोग * वैचारिक क्षमता पर बल * अनुभव जनित ज्ञान पर बल * समस्या - समाधान तथा केस स्टडी * प्रस्तुतीकरण।

योग्यता आधारित शिक्षा में मूल्यांकन


१. प्रदर्शन आधारित - चिंतन क्षमता , संवेदी कौशल ( गतिविधि संबंधित)
विश्लेषण क्षमता का आकलन।
२. उद्देश्य आधारित -  निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए किया गया आकलन।
३. निर्धारित मानकों की सुनिश्चितता
४. विद्यार्थियों द्वारा योग्यता का प्रदर्शन।

योग्यता आधारित शिक्षा के लाभ


१. छात्र केन्द्रित शिक्षण - पद्धति
२. छात्रों के लिए लचीली
३. योग्यता और दक्षता पर बल
४. छात्रों के लिए सहयोगी
५. व्यक्तिगत अध्ययन - अध्यापन की व्यवस्था।
६. पारदर्शी ग्रेडिंग प्रणाली।


पारंपरिक शिक्षा और योग्यता आधारित शिक्षा में अंतर


 1. पारंपरिक शिक्षा कौशल आधारित केन्द्रित होता है जबकि योग्यता आधारित शिक्षा संपर्क और समय आधारित केन्द्रित होता है।

2. पारंपरिक शिक्षा प्रशिक्षण आधारित होती है जबकि  योग्यता आधारित शिक्षा निर्देशों पर आधारित होती है।

3. पारंपरिक शिक्षा कहीं भी कभी भी संपन्न हो सकती है। ( आनलाइन ), जबकि योग्यता आधारित शिक्षा में कक्षा कक्ष की वाध्यता होती है।

4. पारंपरिक शिक्षा मितव्ययी  जबकि योग्यता आधारित शिक्षा अपव्ययी होती है।

5. पारंपरिक शिक्षा का सुविधा अनुसार समापन संभव है जबकि योग्यता आधारित शिक्षा  का समापन सत्र के अंत में ही संभव है।

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Dr.Umesh Kumar Singh



Posted by Dr. Umesh Kumar Singh, Bhulinagar, Dhanbad, Jharkhand, India

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