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मां, कह एक कहानी, कविता, मैथिली शरण गुप्त, ma kah ek kahani

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                      By Dr. Umesh Kumar Singh  मां , कह एक कहानी, कविता, मैथिली शरण गुप्त मां ,कह एक कहानी , कविता राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त द्वारा विरचित ' यशोधरा ' नामक ग्रंथ से ली गई है। यहां कवि ने महात्मा बुद्ध के बचपन की प्रवृतियों का बहुत सुंदर वर्णन किया है। महात्मा बुद्ध बचपन से ही दयालु और अहिंसा के समर्थक थे। यहां उनकी पत्नी यशोधरा अपने पुत्र राहुल को यह बातें बता रही हैं।  मां, कह एक कहानी, Maa , kah ek kahani, Maithli Sharan Gupt मां कह एक कहानी कविता, कवि मैथलीशरण गुप्त, मां कह एक कहानी कविता कविता भावार्थ, प्रश्न उत्तर, मां कह एक कहानी, यह कथन किसका है ? यह कथन राहुल का है। मां कह एक कहानी,बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी। Kavita, poem, कविता  "मां , कह एक कहानी !" " बेटा समझ लिया क्या तूने मुझको अपनी नानी ?" " कहती है मुझसे यह चेंटी, तू मेरी नानी की बेटी। कह मां, कह लेटी ही लेटी, राजा था या रानी ? मां, कह एक कहानी।" " सुन उपवन में बड़े सवेरे, तात भ्रमण करते थे तेरे। जहां सुरभि मनमानी।"  " जहां सुरभि मनमानी! 

Samachar Lekhan, 11th & 12th समाचार लेखन

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  समाचार - लेखन, Samachar Lekhan , समाचार के छः ककार, 11th & 12th class, NCERT and other states board exam.  समाचार लेखन, samachar lekhan, समाचार के आवश्यक तत्व, नवीनता, निकटता, प्रभाव क्षेत्र, जनरूचि, टकराव या संघर्ष, महत्वपूर्ण लोग, उपयोगी जानकारी, अनोखापन, पाठक वर्ग, नीतिगत ढांचा। समाचार की उल्टा पिडामीड शैली। समाचार में मुखड़ा या इंट्रो। समाचार में छः ककार क्या है ? किसी भी ऐसी ताजी घटना , विचार या समस्या की रिपोर्ट , जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और उस घटना का अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है, उसे समाचार कहते हैं। समाचार ऐसी घटनाएं या समस्याओं को कहते हैं, जो ताजी हो, जिसमें अधिक लोगों की रूचि हो और उस घटना अथवा समस्या का संबंध अधिक लोगों से हो‌। उसके प्रभाव में बहुत लोग आते हों। समाचार के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं 1. नवीनता -- समाचार नया हो, न्यू होना समाचार की पहली और सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। प्रायः हर समाचार पत्र में पिछले 24 घंटे में घटी घटना ही समाचार बनती है। 24 घंटे से अधिक होने पर समाचार बासी हो जाती है। इसलिए 24 घंटे की अवधि को समाचार की डेड लाइन कहते हैं

बाल की खाल उतारना , मुहावरा, Bal ki khal utarna

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  बाल की खाल उतारना ( मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग ) Bal ki khal utarna Muhabra बाल की खाल उतारना -   ( व्यर्थ आलोचना करना )  1. अब बाल की खाल उतारने से क्या लाभ, जो होना था सो हो गया। 2. अब बस भी करो, बाल की खाल उतारने से कुछ नहीं होगा। 3. बाल की खाल उतारने से किसी का भला नहीं होता, अब चुपचाप अपने कमरे में जाकर पढ़ो । मोहन खुद जिम्मेवार लड़का है। आम के आम और गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ, कहानी   बाल की खाल निकालने मुहावरे की प्रचलित कथा किसी गांव में चार मित्र रहते थे। वे सभी किसान थे। उन मित्रों में रघु थोड़ा पढ़ा - लिखा था। जब भी चारों मित्र एकत्रित होते, आपस में तरह तरह की बातें करते। एक साथ बाजार जाते , एक साथ खाद बीज लाते। कुछ भी काम हो वे साथ साथ करते। रघु का स्वभाव उन सबसे थोड़ा भिन्न था। किसी बात में वह बहुत किच किच करता था।  हर बात में मीन - मेंख निकालता जिससे कभी कभी उसके अन्य तीनों मित्र बहुत परेशान हो जाते। एक बार वे चारों मित्र गौरैय्या स्थान मेला बैल खरीदने गये। कार्तिक का महीना था । खेतों की जुताई - बुआई का समय आ गया था। उनका एक - एक दिन बड़ा ही कीमती था । बाक

रहीम कवि के दस दोहे, रहीम की जीवनी, Rahim ke 10 dohe, Rahim ki jiwani

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रहीम के दोहे, रहीम की जीवनी रहीम के दोहे , रहीम के दोहे का अर्थ, रहीम के दोहे की शिक्षा, संदेश, रहीम का जीवन परिचय, Rahim ke dohe, Saransh, Rahim ke dohe ki shiksha   रहीम कवि की जीवनी, biography of Rahim रहीम कवि कि पूरा नाम अब्दुल रहीम खाने खाना था ‌ । वे मुगल सम्राट अकबर के दरबारी नवरत्नों में एक थे। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से भारत वासियों को नीति और ज्ञान का सबक सिखाया है। रहीम एक अच्छे कलाप्रेमी और साहित्यकार थे। उनके दोहे में नीति, भक्ति, रीति, प्रेम, श्रृंगार की गंगा बहती है ‌उन्होने रामायण, महाभारत, गीता, पुराण की कथाओं से दृष्टांत लिए हैं।  पूरा नाम - अब्दुल रहीम खाने खाना पिता जी - मरहूम बैरम खाने खाना जन्म तिथि - 1556 लाहौर मृत्यु - 1627 प्रमुख रचनाएं - रहीम दोहावली, रहीम सतसई, मदनाश्टक, रहीम रत्नावली। जो रहीम उत्तम प्रकृति, का करि सकत कुसंग। चंदन विष व्यापत नहीं लिपटे रहत भुजंग।। अर्थ -- रहीम कवि कहते हैं - यदि आपका चरित्र उत्तम और निश्चय दृढ़ हो तो कुसंति भी आपका कुछ नही बिगाड़ सकता। अर्थात बुरी संगति  का प्रभाव भी उस पर नहीं पड़ता। जैसे चन्दन के पेड़ पर तरह तरह के व

हिन्दी कहानी, परिभाषा, तत्व, उद्भव और विकास, Hindi story, definition,

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हिन्दी कहानी : परिभाषा, तत्व, उद्भव और विकास, कहानी के भेद, कहानी और उपन्यास में अंतर। विषय सूची कहानी की परिभाषा एवं लक्षण कहानी के तत्व, कहानी और उपन्यास में अंतर कहानी के भेद कहानी का उद्भव और विकास हिन्दी कहानी की परिभाषा एवं लक्षण वैसे तो कहानी का सामान्य अर्थ ' कहना ' होता है, लेकिन आज हिन्दी साहित्य में कहानी शब्द एक साहित्य के विधा के लिए प्रयोग किया जाता है। कहानी की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने इस प्रकार दी है -- पाश्चात्य साहित्यिक विद्वान एडगर एलन ने  कहानी को रसोद्रेक करने वाला एक ऐसा आख्यान माना है जो एक ही बैठक में पढा जा सके। एच. जी. वेल्स ने कहानी के संबंध में कहा है कि - कहानी तो बस वही है जिसे लगभग बीस मिनट में साहस और कल्पना के साथ पढ़ी जाय। कहानी के स्वरूप को स्पष्ट करते हुए हिन्दी साहित्य के महान कथाकार मुंशी प्रेमचंद लिखते हैं -- " कहानी एक रचना है, जिसमें जीवन के लिए एक अंग या किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य रहता है। ---  उपन्यास की भांति उसमें मानव जीवन का संपूर्ण तथा वृहद रूप दिखाने का प्रयास नहीं किया जाता। न उसमें उपन्यास की

Din jaldi jaldi dhalta hai, 12th poem, दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता

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दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ! कविता,           कवि - हरिवंश राय बच्चन Din jaldi - jaldi dhalta hai poem, poet - Harivansh Rai Bachchan 1. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता,  2. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता का भावार्थ, 3. दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता का कवि हरिवंश राय बच्चन का जीवन परिचय, 4. कक्षा बारहवीं हिन्दी कविता प्रश्न उत्तर, MCQ कविता दिन जल्दी-जल्दी ढलता है। हो जाय न पथ में रात कहीं मंजिल भी तो है दूर नहीं - यह सोच थका दिन का पंथी जल्दी जल्दी चलता है! दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ! बच्चे प्रत्याशा में होंगे, नीड़ो से झांक रहे होंगे - यह ध्यान परो में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है !  दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ! मुझसे मिलने को कौन विकल ? मैं होऊं किसके हित चंचल ? यह प्रश्न शिथिल करता पद को,भरता मन में विह्वलता है ! दिन जल्दी-जल्दी ढलता है ! दिन जल्दी-जल्दी ढलता है कविता का भावार्थ एवं व्याख्या कवि कहता है - दिन भर चलकर अपनी मंजिल पर पहुंचने वाला यात्री देखता है कि अब मंजिल पास ही है। वह अपने प्रिय के पास पहुंचने वाला ही है।  उसे डर लगता है कि कहीं चलते - चलते रात न हो जाए। इसलिए वह और तेज च

Chacha - bhatija ka prem, चाचा - भतीजे का प्रेम

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चाचा और भतीजे का प्रेम, ChaCha -  bhatija ka prem चाचा और भतीजे का प्रेम कैसा होता है, चाचा को चाहिए भतिजा, चाचा और भतीजे के प्रेम में दरार कैसे होता है, फिल्मों में चाचा और भतीजे का प्रेम। चाचा और भतीजे का प्रेम संसार में बहुत प्रसिद्ध है। चाचा को हमेशा भतीजे की चाह होती है। वह अपने भतीजे को उंगली पकड़कर चारों ओर घूमाता है और संसार से उसका परिचय करवाता है। उसे चलना सिखाया है । परंतु कुछ स्वार्थ वश ऐसी परिस्थियां उत्पन्न हो जाती है कि चाचा और भतीजे के प्रेम में दरार उत्पन्न हो जाता है। इस लेख में इन्हीं विंदुओं पर चर्चा करते हैं। चाचा और भतीजे का प्रेम चाचा और भतीजे का प्रेम जगत में प्रसिद्ध है। जब बड़े भैया का विवाह सम्पन्न हो जाता है तब छोटे भाई की यही कामना होती है कि मुझे जल्दी से जल्दी एक भतीजे की प्राप्ति हो जिससे मेरा बचपन मुझे दोबारा मिल जाए। वह इसके लिए अपनी भाभी का उपकार मानता है।  फिल्म ' नदियां के पार ' में एक गीत है। छोटा भाई चंदन अपनी भाभी के आने पर बहुत खुश हैं क्योंकि भाभी के आने से सारा घर का हुलिया ही बदल गया है। तब वह गीत गाते हुए निवेदन करता है, " देई द

Balgobin Bhagat class tenth MCQ , बालगोबिन भगत , सारांश, प्रश्न उत्तर

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बालगोबिन भगत , कक्षा दसवीं, हिंदी, सारांश, प्रश्न उत्तर, बोर्ड परीक्षा के लिए, Balgobin Bhagat , class tenth, Hindi, summary, questions answers, MCQ, for board exam.  ' बालगोबिन भगत  ' सुप्रसिद्ध साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी द्वारा रचित एक रेखाचित्र है जिसके माध्यम से लेखक ने एक ऐसे चरित्र का उद्घाटन किया है जो मनुष्यता, लोक संस्कृति, और सामूहिक चेतना का प्रतीक है। केवल बाह्य वेशभूषा या वाह्याडंवर से कोई संत नहीं हो जाता बल्कि संत का चरित्र ही सबसे बड़ी पहचान है। बालगोबिन भगत में यही देखने को मिलता है। वे सचमुच संन्यासी दिखते हैं। यह पाठ वर्ण व्यवस्था और सामाजिक रूढ़ियों पर करारा प्रहार है। लेखक ने बालगोबिन भगत के माध्यम से ग्रामीण जीवन की झांकी प्रस्तुत किया है। यहां कक्षा दसवीं में पढाएं जाने वाले पाठ बालगोबिन भगत का सारांश , प्रश्न उत्तर और बहुवैकल्पिक प्रश्न उत्तर MCQ  board exam  को ध्यान में रखकर दिए गए हैं जो छात्र - छात्राओं को लाभान्वित करेगा। विषय - सूची बालगोबिन भगत पाठ का सारांश, बाल गोबिंद भगत पाठ के लेखक का परिचय बालगोबिन भगत पाठ का प्रश्न उत्तर बालगोबिन भगत पाठ क

Yamraj ki disha poem, Chandra Kant dewtaleयमराज की दिशा , कविता, चन्द्र कांत देवताले

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  यमराज की दिशा, कविता, कवि        चंद्रकांत देवताले,  Yamraj ki disha, poem,  poet Chandra Kant         Dewtale नौवीं कक्षा हिंदी, ninth class hindi, मां ने बचपन में क्या बतलाया, कवि को दक्षिण दिशा पहचान करने में भूल क्यों नहीं होती है, यमराज का घर कहां होता है, यमराज किसके देवता हैं, यमराज रूष्ट क्यों हो जाते हैं, आजकल यमराज सभी दिशाओं में रहते हैं का क्या अर्थ है ? यमराज की दिशा कविता का भावार्थ, यमराज की दिशा कविता के कवि कौन है ? कवि चन्द्र कांत देवताले का जीवन परिचय, यमराज की दिशा कविता का प्रश्न उत्तर, summary of poem Yamraj ki disha, biography of poet Chandra Kant dewtale, NCERT solutions, class ninth hindi.  ' यमराज की दिशा ' कविता कवि चंद्रकांत देवताले की लिखी प्रसिद्ध कविता है जिसमें कवि ने यह बताया है कि जीवन विरोधी शक्तियां आज हरेक दिशाओं में बिराजमान है। उन नाकारात्मक शक्तियों का मुकाबला एक जूट होकर करने की आवश्यकता है। कक्षा नौवीं के कोर्स में यह कविता दी गई है जिसके भावार्थ और प्रश्न उत्तर प्रत्येक परीक्षाओं में पूछे जाते हैं। कविता मुक्त छंद में लिखी गई है, परं

दिल का बचाव कैसे करें, How we save our heart

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 दिल कैसे बचाएं How we save our heart             in hindi,  हम अपने दिल का बचाव कैसे करें ? सही खान-पान, जीवन-शैली तथा नियमित व्यायाम शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग दिल (heart ) है। इसी दिल के माध्यम से रक्तवाहिकाओं के माध्यम से रक्त हमारे संपूर्ण शरीर में प्रवाहित होता है। यदि यह रूक जाए तो जीवन रूक जाता है। आज लगभग 29 प्रतिशत मौत का कारण हृदय की बीमारियां और हृदयाघात है। गलत जीवन शैली, उचित खान-पान का अभाव, व्यायाम और खेल कूद की कमी और बढ़ते प्रदूषण ने कम उम्र में ही लोगों को दिल का रोगी बना रहा है।  ऐसे में यह जरूरी है कि दिल से संबंधित समस्याओं और उनके बचाव के उपायों की हमें पूरी जानकारी हों। देखा जाए तो आज़ हृदय के बचाव की ओर बहुत कम लोग ध्यान देते हैं। जबकि इस भाग - दौर भरी जिंदगी में दिल के बचाव पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। भागदौड़ भरी जिंदगी, प्रदूषण और ख़ान पान की अनियमितता ने शहरों के साथ-साथ गांव में भी हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा कर दिया है। थोड़ी जानकारी, सही समय पर इलाज, सही खान-पान और हल्की - फुल्की कसरत के द्वारा हम अपने दिल को सेहतमंद बनाए रख सकते हैं। आज देखा

प्रायश्चित कहानी , लेखक भगवती चरण वर्मा, Prayshchit story, Bhagwati charan verma

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प्रायश्चित कहानी, लेखक भगवती चरण वर्मा, Prayshchit story by Bhagwati charan verma ' प्रायश्चित' कहानी भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखित एक ऐसी कहानी है जिसमें मध्यकालीन समाज में व्याप्त ढोंग और अंधविश्वास का बखूबी बखिया उधेड़ने का प्रयास किया गया है। यह तो अच्छा हुआ कि कबरी बिल्ली मरी नहीं थी , बर्ना रामू की बहू की खैर न होती और पंडित परमसुख के तो पौ बारह ही थे। तो आइए , प्रायश्चित कहानी का अध्ययन कर उसके प्रश्न उत्तर पर भी गंभीरता से विचार किया जाए। रामू की शादी हुए बहुत दिन नहीं बीते थे।  चौदह वर्ष की बालिका जब पहली बार बहू बनकर ससुराल आई तो उसकी सास ने पूरे घर की मालकिन उसे  ही बना दिया। किसी को कुछ देना - लेना हो या बाजार से कुछ मंगाना हो, सबकी चिंता वही करती। लेकिन दुर्भाग्यवश एक कबरी नाम की बिल्ली उस घर में ऐसी परीक गई थी कि नाम मत पूछो। बहू उससे बहुत परेशान रहती। बहू कमसिन थी, उसमें अनुभव का अभाव था। कभी भंडार घर खुला रह जाता तो कभी भंडार घर में बैठे बैठे ही सो जाती। ऐसे में कबरी बिल्ली को मौका मिल जाता, दूध, घी सब चट कर जाती। बाजार से मलाई आया , बहू जब तक पान लगाती, तब तक मल