बाल की खाल उतारना , मुहावरा, Bal ki khal utarna
बाल की खाल उतारना ( मुहावरे का अर्थ और वाक्य में प्रयोग )
Bal ki khal utarna
Muhabra
बाल की खाल उतारना - ( व्यर्थ आलोचना करना )
1. अब बाल की खाल उतारने से क्या लाभ, जो होना था सो हो गया।
2. अब बस भी करो, बाल की खाल उतारने से कुछ नहीं होगा।
3. बाल की खाल उतारने से किसी का भला नहीं होता, अब चुपचाप अपने कमरे में जाकर पढ़ो । मोहन खुद जिम्मेवार लड़का है।
आम के आम और गुठलियों के दाम मुहावरे का अर्थ, कहानी
बाल की खाल निकालने मुहावरे की प्रचलित कथा
किसी गांव में चार मित्र रहते थे। वे सभी किसान थे। उन मित्रों में रघु थोड़ा पढ़ा - लिखा था। जब भी चारों मित्र एकत्रित होते, आपस में तरह तरह की बातें करते। एक साथ बाजार जाते , एक साथ खाद बीज लाते। कुछ भी काम हो वे साथ साथ करते।
रघु का स्वभाव उन सबसे थोड़ा भिन्न था। किसी बात में वह बहुत किच किच करता था। हर बात में मीन - मेंख निकालता जिससे कभी कभी उसके अन्य तीनों मित्र बहुत परेशान हो जाते।
एक बार वे चारों मित्र गौरैय्या स्थान मेला बैल खरीदने गये। कार्तिक का महीना था । खेतों की जुताई - बुआई का समय आ गया था। उनका एक - एक दिन बड़ा ही कीमती था । बाकी तीनों मित्र इस बात को अच्छी तरह समझते थे , लेकिन रामू के स्वभाव के कारण वे सात दिनों तक मेले में घूमते रहे लेकिन बैल नहीं खरीद पाये। उन्हें बिना बैल खरीदे वापस आना पड़ा क्योंकि रामू हरेक बैल में कोई न कोई कमी अवश्य ढूंढ लेता था।
गांव आने पर उन चारों मित्रों की बड़ी फजीहत हुई। सबके खेतों में काम हो रहे थे परन्तु इन चारों मित्रों के खेत खाली थे। गांव वालों ने अन्य तीनों मित्रों को समझया - रामू के रहते तुमसे बैल नहीं खरीदा पाएगा क्योंकि वह यूं ही बाल का खाल निकालने में माहिर हैं। वह सब कुछ में कुछ न कुछ दोष निकाल ही लेता है।
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अंधों में काना राजा मुहावरे का अर्थ एवं वाक्य में प्रयोग
" अंधों में काना राजा" मुहावरे का अर्थ है - मूर्खों में कम पढ़ा लिखा।
वाक्य में प्रयोग - दूर दराज के गांवों में आज भी कम पढ़ा लिखा अंधों में काना राजा बना फिरता है।
अनपढ़ों के बीच सातवीं कक्षा पास सुदेश कैसा भाषण दे रहा है । इसे कहते हैं, अंधों में काना राजा।
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