Chacha - bhatija ka prem, चाचा - भतीजे का प्रेम


चाचा और भतीजे का प्रेम, ChaCha -  bhatija ka prem


चाचा और भतीजे का प्रेम


चाचा और भतीजे का प्रेम कैसा होता है, चाचा को चाहिए भतिजा, चाचा और भतीजे के प्रेम में दरार कैसे होता है, फिल्मों में चाचा और भतीजे का प्रेम।


चाचा और भतीजे का प्रेम संसार में बहुत प्रसिद्ध है। चाचा को हमेशा भतीजे की चाह होती है। वह अपने भतीजे को उंगली पकड़कर चारों ओर घूमाता है और संसार से उसका परिचय करवाता है। उसे चलना सिखाया है । परंतु कुछ स्वार्थ वश ऐसी परिस्थियां उत्पन्न हो जाती है कि चाचा और भतीजे के प्रेम में दरार उत्पन्न हो जाता है। इस लेख में इन्हीं विंदुओं पर चर्चा करते हैं।


चाचा और भतीजे का प्रेम


चाचा और भतीजे का प्रेम जगत में प्रसिद्ध है। जब बड़े भैया का विवाह सम्पन्न हो जाता है तब छोटे भाई की यही कामना होती है कि मुझे जल्दी से जल्दी एक भतीजे की प्राप्ति हो जिससे मेरा बचपन मुझे दोबारा मिल जाए। वह इसके लिए अपनी भाभी का उपकार मानता है। 



फिल्म ' नदियां के पार ' में एक गीत है। छोटा भाई चंदन अपनी भाभी के आने पर बहुत खुश हैं क्योंकि भाभी के आने से सारा घर का हुलिया ही बदल गया है। तब वह गीत गाते हुए निवेदन करता है, " देई द भतिजा फूलवा सरिखा मानेंगे हम उपकार भौजी। " इसका क्यूं अर्थ निकलता है ? इसका मतलब है कि चाचा को भतिजा बहुत ही प्रिय है।  ' चाचा - भतीजा ' नामक एक फिल्म ही है जिसमें चाचा और भतीजे के संबंध को बखूबी दर्शाया गया है।


परन्तु यह सब संयुक्त परिवार की बात है। अब तो व्यक्ति गत परिवार का बोलबाला है। इसमें चाचा , भतिजा, भाभी देवर जैसे शब्द कहां ? टूटते - बिखडते परिवार में चाचा और भतीजे का प्रेम भी बिखड़ गया है। स्वार्थ ने सबको नष्ट कर डाला। लेकिन यह ठीक नहीं है। चाचा को भतीजे की चाह और प्रेम हमेशा अपनी ओर आकर्षित करता है।


  

टिप्पणियाँ

Recommended Post

Bade Ghar ki Beti , story, बड़े घर की बेटी, कहानी , प्रेमचंद

फूल और कांटा (Phul aur Kanta) poem

1.संपादन ( sampadan) 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

चेतक ( कविता ) Chetak horse

बच्चे काम पर जा रहे हैं , कविता, कवि राजेश जोशी, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर, राजेश जोशी का जीवन परिचय, Bachche kam pr ja rhe hai poem, 9th class hindi