Samachar Lekhan, 11th & 12th समाचार लेखन

 

समाचार लेखन


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किसी भी ऐसी ताजी घटना , विचार या समस्या की रिपोर्ट , जिसमें अधिक से अधिक लोगों की रूचि हो और उस घटना का अधिक से अधिक लोगों पर प्रभाव पड़ता है, उसे समाचार कहते हैं। समाचार ऐसी घटनाएं या समस्याओं को कहते हैं, जो ताजी हो, जिसमें अधिक लोगों की रूचि हो और उस घटना अथवा समस्या का संबंध अधिक लोगों से हो‌। उसके प्रभाव में बहुत लोग आते हों।

समाचार के प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं


1. नवीनता -- समाचार नया हो, न्यू होना समाचार की पहली और सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। प्रायः हर समाचार पत्र में पिछले 24 घंटे में घटी घटना ही समाचार बनती है। 24 घंटे से अधिक होने पर समाचार बासी हो जाती है। इसलिए 24 घंटे की अवधि को समाचार की डेड लाइन कहते हैं। 

लेकिन इसके अतिरिक्त यदि किसी पुरानी घटना के बारे में कोई नयी जानकारी सामने आती हैं,  तो वह भी समाचार कहलाती है। कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिसके परिणाम आने में वर्षों लग जाते हैं, ऐसी जानकारियां भी समाचार बनती हैं।

2. निकटता --  समाचार के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने पाठकों के निकट हो। कोई समाचार किसी पाठक के स्थान, गली, मोहल्ला, जाति, धर्म, व्यवसाय के जितने करीब होगा , उतना ही उसका महत्व बढ जाएगा। पटना के लोगों को जितनी रुचि पटना के समाचार में होगी , उतनी रुचि लखनऊ के समाचार में नहीं होगी। इंग्लैंड में घटनेवाली कोई घटना का संबंध रांची वासियों से होगी तो वह घटना रांची वासियों के लिए समाचार बन जाएगी।

3. प्रभाव क्षेत्र -- किसी घटना को समाचार बनने के लिए आवश्यक है कि वह समाज के बड़े वर्ग को प्रभावित करे। केवल दस - बीस लोगों को प्रभावित करने वाली बातें समाचार नहीं बनती।  पूरे समाज को प्रभावित करने वाली घटनाओं को समाचार पत्र में मुख्य पृष्ठ पर स्थान मिलता है।

4. जनरुचि -- समाचार पत्र के लोग जनरुचि के पारखी होते हैं। इसलिए समाचार पत्र में खेल, सिनेमा, राजनीति , हिंसा आदि के अलग-अलग पृष्ठ होते हैं। समाचार पत्र पाठकों की रुचि के अनुसार ही समाचारों का स्थान निर्धारित करते हैं। हर समाचार पत्र का एक पाठक वर्ग भी होता है और उसके अनुसार ही वह समाचार का निर्धारण करते हैं।

5. टकराव या संघर्ष -  लोगों को युद्ध, खेल, राजनीति, चुनाव संघर्ष की खबरें ज्यादा अच्छी लगती हैं। इसलिए लोग ऐसे समाचार को बहुत पसंद करते हैं।  समाचार पत्र इन्हें छापने में बहुत रूचि रखते हैं।

6. महत्वपूर्ण लोग -- बहुत से लोग अपने समय के जाने-माने लोगों के विषय में जानकारी प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं। नेता, अभिनेत्री, अभिनेता, खिलाड़ी को सर- दर्द , जुकाम भी हो जाए तो यह समाचार बन जाता है।

7. उपयोगी जानकारियां -- कुछ विशेष विषय ऐसे होते हैं जिनके विषय में जानने की उत्सुकता अधिक होती है। जैसे बिजली का आना-जाना, स्कूल का बंद होना - खुलना आदि जल्दी समाचार बन जाते हैं। 

8. अनोखापन -  अनोखापन नये और अद्भुत समाचारों को जन्म देता है। जैसे किसी विचित्र बच्चे का जन्म लेना अथवा गणेश जी का दूध पीना। ऐसी घटनाएं जल्दी समाचार बन जाते हैं।

9. पाठक वर्ग -  हर सामाचार पत्र का एक विशेष पाठक वर्ग होता है। उस समाचार में उसी पाठक वर्ग से संबंधित समाचार छापे जाते हैं। 

10. नीतिगत ढांचा -- आजकल लगभग हर समाचार पत्र किसी न किसी संगठन द्वारा चलाए जाते हैं। वे अपनी संपादन नीतियों के अनुसार ही समाचारों का चयन करते हैं। जो समाचार उनकी नीतियों के अनुकूल होती है , उन्हें वे प्रमुखता से छापते हैं। बाकी को पीछे रखतें हैं। 
 
प्रश्न - समाचार पत्र में छः ककार क्या है और समाचार में इनका क्या महत्व है ?

उत्तर - समाचार में छः ककार है - क्या, कब, कहां , कौन, कैसे , क्यों। 
किसी भी समाचार में पूरी संतुष्टि के लिए इन छः ककारो का उत्तर दिया जाता है।

प्रश्न - समाचार पत्र की उल्टा पिरामिड शैली क्या है ?

उत्तर - समाचार पत्र में समाचार लिखने की शैली उल्टा पिरामिड शैली कहलाता है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात पहले लिखी जाती है, तथा कम महत्व की बातें बाद में लिखी जाती हैं।


प्रश्न - समाचार में मुखड़ा या इंट्रो से क्या समझते हैं ?

उत्तर - किसी भी समाचार का पहला अनुच्छेद या दो तीन पंक्तियों को मुखड़ा या इंट्रो कहा जाता है। इसके अंतर्गत सामान्यतया कब, कहां और कौन, की सूचनाएं होती हैं। इसका संबंध तथ्यात्मक जानकारी से होता है, विवरण से नहीं।

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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।


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