किसबी, किसान, कवितावली tenth Hindi
कवितावली, किसबी, किसान ---, NCERT solutions
श्रीराम की कृपा का महत्व tenth Hindi
किसबी, किसान - कुल, बनिक, भिखारी, भाट,
चाकर, चपल नट, चोर, चार, चेटकी।
पेट को पढत, गुन गढत, चढत गिरि,
अटत गहन - गन अहन अखेटकी।।
ऊंचे - नीचे करम, धरम - अधरम करि,
पेट ही को पचत, बेचत बेटा - बेटकी।
'तुलसी' बुझाइ एक राम घनस्याम ही ते,
आखिर बड़वागितें बड़ी है आगि पेटकी।।
शब्दों के अर्थ
किसबी - धंधा चलाने वाले। श्रमजीवी, मेहनत करने वाले। कुल - परिवार । बनिक - व्यापारी। भाट - चारण। चाकर - नौकर। चपल नट - बहुत तेजी से उछल कूद करने वाले कलाकार। चार - दूत। चेंटी - बाजीगर । गुन गढत - विभिन्न कलाएं और विद्याएं सीखना। गिरि - पहाड़। अटत -घूमता। गहन गन - घना जंगल। अमन - दिन । अखेटकी - शिकारी। अधरम - पाप। पचत - मरत। बुझाई - शांत करता है। घनस्याम - काला बादल। बड़वागितें - जंगल की आग से। आगि पेटकी - भूख।
सप्रसंग व्याख्या
प्रस्तुत पद पंक्तियां गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित कवितावली के उत्तर कांड से ली गई है । इन पंक्तियों में श्री राम की कृपा का वर्णन किया गया है।
तुलसी दास जी कहते हैं - मेहनत करने वाले मजदूर, किसान, व्यापारी, भिखारी, भाट , नौकर - चाकर सब पेट की आग शांत करने में लीन हैं। विद्यार्थी भी पेट के लिए ही पढ़ाई कर रहे हैं। कोई पेट के लिए ही विभिन्न कलाएं सीख रहा है तो कोई जंगल जंगल मारा फिर रहा है । लोग पेट के कारण ही धर्म अथवा अधर्म का काम कर रहे हैं। कोई शिकार कर रहा है तो कोई मछली पालन कर रहा है। यहां तक कि कोई पेट पालने के लिए अपने बेटे - बेटियों को भी बेचने को तैयार है। सचमुच पेट की आग समुद्र की आग से भी अधिक खतरनाक है। लेकिन जिस पर श्री राम की कृपा हो, उसकी भूख आसानी से मिट जाती है। अर्थात जो श्रीराम की शरण में हो उसके सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं।
प्रश्न - उत्तर
1. किस - किस वर्ग के लोग पेट की आग मिटाने के लिए मारे - मारे फिर रहे हैं ?
उत्तर - मेहनत करने वाले मजदूर, किसान, व्यापारी, भिखारी, भाट , नौकर - चाकर सब पेट की आग मिटाने के लिए मारे मारे फिर रहे हैं।
2. भूख और गरीबी का सबसे मार्मिक दृश्य कौन सा है ?
उत्तर - लोग अपनी क्षुधा शांत करने के लिए अपने बेटे - बेटियों को भी बेच दे रहे हैं। यह सबसे मार्मिक दृश्य है।
3. कवि की भूख कैसे शांत हुई ?
उत्तर - श्रीराम की भक्ति में लीन होने से ही कवि तुलसीदास की भूख शांत हुई।
4. तुलसी दास जी के युग और आज के युग में भूख के मामले में कोई अंतर हुआ है ?
उत्तर - तुलसीदास जी के समय में भूख मिटाने के लिए लोग बेटे - बेटी को बेच देते थे और आज भी भूख मिटाने के लिए लोग नाना प्रकार के कर्म - कुकर्म करते हैं। इसलिए दोनों समय में कोई अंतर नहीं है।
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