हे भूख! मत मचल, अक्का देवी, 11वीं कविता, He bhukh mat machal, Akka devi, कर्नाटक की मीरा, भावार्थ, प्रश्न उत्तर

हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

इस पाठ में 11th class hindi में पढ़ाई जाने वाली कविता हे भूख! मत मचल का विस्तार से वर्णन किया गया है। छात्रों के उपयोग के लिए प्रश्न उत्तर भी दिए गए हैं।


हे भूख ! मत मचल। कविता, अक्का देवी, भावार्थ एवं व्याख्या, प्रश्न उत्तर। कर्नाटक की मीरा कहीं जाने वाली कवयित्री अक्का देवी। He bhukh mat machal , NCERT solutions, poem.11th हिन्दी।


भगवान शिव एवं मां पार्वती

 

हे भूख! मत मचल

प्यास, तड़प मत

हे नींद! मत सता

क्रोध, मचा मत उथल-पुथल

हे मोह ! पाश अपने ढील

लोभ, मत ललचा

हे मद! मत कर मदहोश

ईर्ष्या , जला मत

ओ चराचर! मत चूके अवसर

आई हूं संदेश लेकर चन्नमल्लिकार्जुन का।


शब्दार्थ

मचल- पाने की जिद करना। पाश - बंधन।मद - नशा। मदहोश - नशे में पागल। चराचर - जड़ और चेतन संसार। चूक - भूल। चन्नमल्लिकार्जुन - भगवान शिव।

व्याख्या

प्रस्तुत पंक्तियां कर्नाटक की प्रसिद्ध कवयित्री अक्का देवी द्वारा लिखित है। अक्का देवी को कर्नाटक की मीरा कहा जाता है। ये भगवान शिव की अराधिका है। वह सांसारिकता त्याग कर शिव जी की आराधना में लीन होने का संदेश देती हैं।

कवयित्री अक्का देवी कहती हैं, से भूख ! हे सांसारिक वस्तुओं की चाह ! तू कुछ पाने के लिए मत तड़प। हे प्यास ! तू सांसारिक वस्तुओं को पाने की प्यास मत जगा। हे नींद ! तू सोने के लिए मजबूर न कर से क्रोध तू मन में हलचल मत मचा। हे लोभ ! तू और मत ललचा। हे मद ! तू और अधिक पागल मत बना। हे ईर्ष्या ! तू और लोगों की उन्नति से मत जल। 

कवयित्री अक्का देवी कहती हैं, से जड़ चेतन संसार ! तुम्हारे लिए यह सुनहरा अवसर है। तू काम , क्रोध , लोभ, मंद, मोह जैसी मनोवृत्तियों का त्याग कर । मैं सबके लिए प्रभु शिव की भक्ति का संदेश लेकर आई हूं। तू शिव जी की भक्ति में लीन हो जाओ।


हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर

           हेे भूूूूख मत मचल, वीडियो

प्रश्न उत्तर

1. लक्ष्य प्राप्ति में इन्द्रियां बाधक होती है । कैसे ?

उत्तर - इन्द्रियां मनुष्य के सच्चे मार्ग में बाधक बनतीं है। उनका काम है स्वयं को तृप्त करना। जब मनुष्य अपने लक्ष्य मार्ग में आगे बढ़ता है तब इन्द्रियां उन्हें अपने सुख में उलझा देती हैं। 


2.ओ चराचर मत चूक। इस पंक्ति का क्या आशय है ?

उत्तर - इस पंक्ति में कवयित्री अक्का देवी कहती है कि मनुष्य जीवन बहुत भाग्य से मिलता है। इसका लाभ लेना चाहिए। यह जीवन शिव आराधना के लिए है। अतः इस जीवन का लाभ लेना चाहिए।

3. कवयित्री भूख प्यास, क्रोध - मोह आदि से क्या कहती है ?

उत्तर - कवयित्री काम , क्रोध , लोभ ,मोह आदि विकारों से प्रार्थना करती है कि वे उन्हें सांसारिक विषयों में न उलझाएं। उन्हें दैहिक विकारों में न उलझाएं।

4. कवयित्री किसके प्रति समर्पित है ?

उत्तर - कवयित्री भगवान शिव के प्रति समर्पित है। 


5. अक्का देवी किस आंदोलन से जुड़ी हैं ?

उत्तर - अक्का देवी शैव आंदोलन से जुड़ी हैं।

6. अक्का देवी को कर्नाटक की मीरा क्यों कहा जाता है ?

उत्तर - जो भाव राजस्थान की मीरा के मन में श्रीकृष्ण के लिए है, वही भाव और तड़प भगवान शिव के लिए अक्का देवी के मन में है। अक्का देवी कर्नाटक की हैं । इसलिए दोनों में भक्ति भाव की समानता के कारण उन्हें कर्नाटक की मीरा कहा जाता है।


हे मेरे जूही के फूल जैसे ईश्वर


नेताजी का चश्मा "कहानी भी पढ़ें

सच्चा हितैषी निबन्ध । क्लिक करें और पढ़ें।

pradushan essay      (क्लिक करें और पढ़ें)

शरद पूर्णिमा" पर्व के बारे में भी जाना)Sharad 

दो बैलों की कथा      (क्लिक करें और पढ़ें)

डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।

टिप्पणियाँ

Recommended Post

Bade Ghar ki Beti , story, बड़े घर की बेटी, कहानी , प्रेमचंद

फूल और कांटा (Phul aur Kanta) poem

1.संपादन ( sampadan) 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

चेतक ( कविता ) Chetak horse

बच्चे काम पर जा रहे हैं , कविता, कवि राजेश जोशी, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर, राजेश जोशी का जीवन परिचय, Bachche kam pr ja rhe hai poem, 9th class hindi