अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, Apani khichri alag pakana muhaware ka arth, story, wakaya me pryog, make sentences with idioms and phrases ' apani khichri alag pakana.अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे कैसे बने।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, Apani khichri alag pakana muhaware ka arth, story, wakaya me pryog, make sentences with idioms and phrases ' apani khichri alag pakana.अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे कैसे बने।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे का अर्थ है सबसे अलग रहना।साथ न चलना।
1. अपनी खिचड़ी अलग पकाने वाले जीवन में सफल नहीं हो सकते।
2. यदि तुम मेरे साथ नहीं चल सकते तो जाओ अपनी खिचड़ी अलग पकाओ।
3. मुखिया जी ने दोनों भाइयों को कहा, देखो भाई, रोज - रोज लड़ने झगड़ने से अच्छा है कि अपनी खिचड़ी अलग पकाओ।
4. झंझट क्यों पाल रखे हो, अपनी खिचड़ी अलग पकाओ, लाभ में रहोगे।
5. रामपाल की बहुएं रोज आपस में लगती - झगड़ती रहतीं थीं। जिस दिन से अपनी खिचड़ी अलग पकाने लगी , उनका झगड़ना ही समाप्त हो गया।
अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरे की कहानी, अपनी खिचड़ी अलग पकाना मुहावरा कैसे बना।
रायगढ़ के एक गांव में चनारमल नाम का एक किसान रहता था। उसकी दो बेटियां थीं। दोनों का ब्याह अवतार नगर के सुजान मल के बेटे महनार से हुआ था। महनार अपनी दोनों पत्नियों को जान से भी ज्यादा प्यार करता था। उनके लिए वह जी तोड़ मेहनत करता। दोनों बहनें भी आपस में मेल मोहब्बत से रहतीं। इसी बीच प्लेग की महामारी आई और महनार को अपने साथ ले गयी। कुछ दिन तो दोनों बहनें अपने पति की मृत्यु से बहुत दुखी रहीं, लेकिन साल लगते लगते बात - बात पर लड़ने झगड़ने लगीं। उनके झगड़े से टोले मुहल्ले वाले भी परेशान रहते। बात उनके मायके तक पहुंच गई। चनारमल आकर उन्हें बहुत समझाते कि मिलजुल कर शांति पूर्वक बाकी के जीवन व्यतीत कर लो। लेकिन वे उनकी बातें कहां सुनने वालीं थी। अंत में उन्होंने अपनी बेटियों को कहा - जाओ! अपनी खिचड़ी अलग पकाओ। इसी में हम सब की भलाई है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें