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लाक्षागृह का षड्यंत्र, लाक्षागृह क्या था, लाक्षागृह किसने बनवाया, Lakshagrih ka shadyantra,what was Lakshagrih, महाभारत की कथाएं
लाक्षागृह क्या था। लाक्षाग्रह किसने बनवाया ? पुरोचन कौन था ? ययाति कौन थे ? भीष्म के बचपन का नाम बताएं। राजा शांतनु ने किसका हाथ मांगा ?
प्राचीन काल की बात है। भारत में ययाति नाम के राजा थे। उनकी दो रानियां थीं - देवयानी और शर्मिष्ठा। खांडवप्रस्थ उनकी राजधानी थी जो आगे चलकर इंद्रप्रस्थ कहलाया। पांडवों ने इसे बसाया था। शर्मिष्ठा के तीन पुत्र हुए। पुरू सबसे छोटे थे। ययाति ने पुरू को ही राजा बनाया। पुरू के नाम पर यह वंश ' पुरू वंश ' कहलाया।
इसी पुरूवंश में राजा दुष्यंत हुए जो बहुत प्रतापी और प्रजा पालक थे। उनका विवाह शकुंतला नामक कन्या से हुआ। इन्हीं के पुत्र भरत के नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा। आगे चलकर इसी वंश में हस्तिन नामक राजा हुए जिन्होंने हस्तिनापुर नामक राजधानी बसाई। कुरू के नाम पर यह वंश आगे चलकर कौरव कहलाए। इस तरह हम देखते हैं कि महाभारत की कथा कयी पीढ़ियों की कथाएं आपस में समेटे हुए है।
कौरव राज वंश में ही महाराज शांतनु हुए थे। उनका विवाह साक्षात गंगा जी महारानी से हुई थी। इनके आठ पुत्र हुए। सात पुत्रों को तो गंगा ने जन्म लेते ही जल में प्रवाहित कर दिया लेकिन आठवें पुत्र को राजा शांतनु ने रोक लिया। वह देवव्रत था। यही देवव्रत विवाह न करने की भीषण प्रतिज्ञा के कारण भीष्म पितामह कहलाए। इसकी भी बड़ी रोचक कहानी है।
एक बार राजा शांतनु गंगा तट पर टहल रहे थे। गंगा के चले जाने से बड़े
उदास रहते थे। तभी उनकी दृष्टि एक अत्यंत रूपवती कन्या पर पड़ी। वह निषाद कन्या थी। जब राजा शांतनु ने उस निषाद से उसकी पुत्री का हाथ मांगा तो उसने शर्त रख दी कि जब उसकी पुत्री का बेटा ही भविष्य में हस्तिनापुर का राजा बनेगा तभी वह अपनी पुत्री का विवाह उनसे कर सकता है। राजा शांतनु असमंजस में पड़ गये, क्योंकि देवव्रत उनका पुत्र था और वही उनका भावी उत्तराधिकारी था। यह बात जब देवव्रत को पता चला तो उसने आजीवन अविवाहित रहने का भीषण संकल्प लें लिया। इस तरह राजा शांतनु और निषाद कन्या सत्यवती का विवाह हो गया।
सत्यवती के दो पुत्र हुए - चित्रागंद और विचित्रवीर्य । चित्रांगद की मृत्यु अल्पकाल में ही एक युद्ध में हो गई तब विचित्र वीर्य राजगद्दी पर बैठे। भीष्म पितामह काशी नरेश की तीन पुत्रियों को जिसका नाम , अंबा, अंबिका और अंबालिका था, का बलपूर्वक हरण कर लाए। विचित्रवीर्य का विवाह अंबिका और अंबालिका से हुआ।
अंबिका से धृतराष्ट्र और अंबालिका से पांडू नामक पुत्र उत्पन्न हुए। धृतराष्ट्र पाण्डु से बड़े थे, लेकिन जन्म से ही अंधे थे, इसलिए पांडु राजा बने।
जिस समय धृतराष्ट्र और पांडु का जन्म हुआ उसी समय एक दासी ने विदुर नामक पुत्र को जन्म दिया। भीष्म पितामह ने उसका लालन-पालन भी राजकुमारों की तरह ही किया। आगे चलकर विदुर धर्म और नीति के महान ज्ञानी बने।
धृतराष्ट्र का विवाह गंधार नरेश की पुत्री गंधारी से हुई। उसने सौ पुत्रों को जन्म दिया। दुर्योधन उन सबमें बड़ा था। पांडु की दो रानियां थीं - कुंती और माद्री। कुंती के तीन पुत्र - युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन और माद्री के दो पुत्र - नकुल और सहदेव। ये पांडव कहलाए।
पांडव अपनी शिष्टता के कारण प्रजा में बड़े लोकप्रिय थे। इससे कौरव बहुत जलते थे। दुर्योधन चहता था कि किसी तरह पांडवों को रास्ते से हटा दिया जाए जिससे वे हस्तिनापुर पर निष्कंटक राज्य कर सकें। इसी सोच में वे लगे रहते थे।
युधिष्ठिर कौरव पांडव में सबसे बड़े थे। इसलिए वे सिंहासन के उत्तराधिकारी समझे जाते थे। इस बात से दुर्योधन बहुत जलता था। शकुनि, कर्ण और दुशासन उसे इस काम में बढ़ावा देते थे। धृतराष्ट्र भी पुत्र मोह में पड़कर धृतराष्ट्र के पक्ष में थे।
दुर्योधन के कहने पर धृतराष्ट्र ने पांडवों को माता कुंती के साथ वारणावत भेजने की योजना बना डाली। वास्तव में वे षड्यंत्र के तहत उन्हें मार डालना चाहते थे। वारणावत जाने से पूर्व विदुर ने पांडवों को सावधान रहने की सलाह दी थी।
दुर्योधन ने पुरोचन नामक मंत्री को एक ऐसे लाख का महल बनाने का आदेश दिया जिससे आग लगने पर वह क्षण भर में जल कर भस्म हो जाए। पुरोचन ने वैसा ही किया। इसी लग महल में पांडवों को माता कुंती के साथ रहने की व्यवस्था की गई।
जब पांडव लाख के महल में ठहरने गये तभी विदुर ने एक दूत पांडवों के पास भेजा और दुर्योधन के सारे चाल की जानकारी दी। दूत एक अच्छा कारीगर था जो सुरंग बनाने में माहिर था। उसने लाक्षागृह से निकलने का गुप्त मार्ग बना दिया। पांडव महल में रहने पर भी सुरंग में सोते कि समय आने पर शीघ्र निकल कर भाग सकें।
कृष्ण चतुर्दशी का दिन आया। युधिष्ठिर को आभास हो गया कि आज कुछ गड़बड़ी होने वाली है। उसने अपने भाइयों को सचेत कर दिया। उस दिन उन्होंने यज्ञ कराके नगरवासियों को भोजन भी करवाया। एक भीलनी भी अपने पांच पुत्रों के साथ भोजन करने आई थी। भोजन करने के बाद वह वहीं सो गयी थी। पुरोचन भी महल के बाहरी कमरे में जाकर सो गया था। भीम ने आधी रात को उस कमरे में आग लगा दी जिसमें पुरोचन सो रहा था। पांडव माता कुंती के साथ तुरंत सुरंग के रास्ते महल से दूर निकल गये। लाक्षागृह जलकर राख हो गया। पुरोचन, भीलनी और उसके पांचों पुत्र भी जलकर राख हो गए।
सवेरे होते ही महल के जलने का समाचार चारों ओर फैली गया। हस्तिनापुर खबर पहुंची तो दुर्योधन और धृतराष्ट्र मन ही मन प्रसन्न हो गए। विदुर को पूर्ण विश्वास था कि पांडव अभी जीवित हैं।
लाक्षागृह से निकल कर पांडव जंगल में पहुंच गए। वहां गंगा नदी पार कर वनप्रदेश की ओर चल दिए।
लाक्षागृह का षड्यंत्र पाठ का प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. ययाति कैसे राजा थे ? उनकी राजधानी कहां थी ?
उत्तर - ययाति बहुत प्रतापी राजा थे। खांडवप्रस्थ उनकी राजधानी थी।
प्रश्न 2. दुष्यंत कौन थे ? उनका इतिहास से क्या संबंध है ?
उत्तर - पुरुवंश में एक बहुत प्रतापी राजा दुष्यंत हुए। शकुंतला उनकी पत्नी थी। इनके बेटे का नाम भरत था। इन्हीं भरत के नाम पर अपने देश का नाम भारत पड़ा। भरत बड़े वीर और प्रतापी राजा थे।वे प्रजा में बड़े लोकप्रिय थे।
3. भीष्म के बचपन का क्या नाम था ? वे किसके पुत्र थे ?
उत्तर - भीष्म के बचपन का नाम देवव्रत था। वे गंगा और महाराज शांतनु के पुत्र थे।
4. भीष्म काशी नरेश की कन्याओं का हरण कर क्यों लाए थे। उन कन्याओं का नाम बताएं।
उत्तर - भीष्म विचित्र वीर्य के विवाह के लिए काशी नरेश की तीनों कन्याओं का हरण कर लाए थे। उनका नाम था - अंबा, अंबिका और अंबालिका।
5. विदुर कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर - विदुर हस्तिनापुर के दासी के पुत्र थे। भीष्म ने उनका पालन पोषण भी राजकुमारों की तरह किया था। आगे चलकर वे धर्म और राजनीति के महान ज्ञाता बने। वे पांडवों के हितैषी थे।
6. पांडव कितने थे ? उनके नाम लिखे ?
उत्तर - पांडव कुल पांच थे। उनके नाम हैं -- युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल और सहदेव।
7.प्रशन - कौरव और पांडव में क्या अन्तर था ?
उत्तर - कौरव बड़े दुष्ट थे। वे पांडवों से जलते थे। प्रजा भी उनसे घृणा करती थी। पांडव का व्यवहार बड़ा ही शिष्ट था । वे विनम्र और प्रजा हितकारी थे। प्रजा भी उन्हें बहुत चाहती थी।
8. दुर्योधन का स्वभाव कैसा था ? वह क्या चहता था ? उसकी इस प्रवृत्ति को कौन कौन बढ़ावा दे रहे थे ?
उत्तर - दुर्योधन बड़ा दुष्ट था। वह पांडवों को किसी प्रकार मार देना चाहता था। उसकी इस प्रवृत्ति को मामा शकुनि, कर्ण और दुशासन बढ़ावा देते थे।
9. वारणावत में पांडवों को किसने भिजवाया ? वहां क्या षड्यंत्र रचा गया ?
उत्तर - दुर्योधन ने पांडवों को अपने पिता धृतराष्ट्र से कहकर वारणावत भेजवाया। वहां लाक्षागृह में पांडवों को जलाकर भस्म कर देने का षड्यंत्र रचा गया। यह सब दुर्योधन ने अपने मंत्री पुरोचन के साथ मिलकर किया।
10 युधिष्ठिर को किस व्यक्ति का सहयोग मिला ?
उत्तर - युधिष्ठिर को विदुर का सहयोग मिला जिससे वह लाक्षागृह के षड्यंत्र से अपने भाइयों और माता कुंती के साथ बच निकले।
11. पांडव किस प्रकार लाक्षागृह से सुरक्षित निकाल गये ?
उत्तर - विदुर ने एक दूत भेजकर पांडवों को लाक्षागृह के षड्यंत्र के बारे में आगाह कर दिया था। वह दूत सुरंग बनाने का अच्छा कारीगर था। उसने एक सुरंग तैयार कर दिया जिसके रास्ते पांडव निकल गये।
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