ऊंची दुकान फीका पकवान' मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, निबंध, oochi dukan phika pakwan muhaware , meaning, uses in sentences, story, essay on oonchi dukan phika pakwan.

 

ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे



ऊंची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ, कहानी और वाक्य में प्रयोग, निबंध, oochi dukan phika pakwan muhaware , meaning, uses in sentences, story, essay on oonchi dukan phika pakwan.


ऊंची दुकान फीका पकवान मुहावरे का अर्थ है - दिखावा बहुत होना लेकिन वास्तविकता उसके अनुरूप नहीं होना।  ऊपर - ऊपर खूब डील डौल और भीतर में कुछ नहीं।

ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे का वाक्य में प्रयोग

* हम तो महावीर साव की दुकान का नाम पढ़कर यहां चले आए थे, लेकिन यहां तो ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे वाली बात है। देखते नहीं जलेबियां बासी हैं।

* इतनी बड़ी दुकान में खट्टी और बासी मिठाइयां बिक रही हैं, यह तो ऊंची दुकान और फीका पकवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

* चार मील पैदल चलकर हमलोग बिंदु माल जिंस खरीदने गये थे। परन्तु वहां तो बुधनी हटिया से भी खराब कपड़े मिल रहे हैं। सचमुच बिंदु माल ऊंची दुकान और फीका पकवान जैसी हो गई है।

* मदन मोहन का जन्म दिन था। दोस्तों ने कहा - इस बार प्रकाश होटल का केक खाएंगे। प्रकाश होटल वहां का नामी गिरामी होटल था। अब क्या, मदन अपने दोस्तों को जन्म दिन मनाने वही लै गया। लेकिन केक खाते ही लड़के थू थू करने लगे। कहने लगे ऊंची दुकान और फीका पकवान। इससे तो सुनील भैया का दुकान ही अच्छा है।


ऊंची दुकान और फीका पकवान मुहावरे की कहानी 

अब आप सोच रहे होंगे कि ऊंची दुकान और फीका पकवान की मुहावरे बनी कैसे ? इसके पीछे की कहानी क्या रही होगी । 
बहुत पहले की बात है। रामेश्वर यादव और सुमन जायसवाल दोनों गहरे मित्र थे। साथ साथ खेतों में काम करते। काम करते करते जब वे तक जाते तो भुट्टो चाय और लिट्टी दुकान में जाकर कुछ खा पी लेते। फुट्टो दुकान की चाय लिट्टी से उन्हें बड़ी संतुष्टि मिलती। वहां उन्हें किफायती दर पर नास्ते चाय मिल जाते।


कुछ दिन बाद अजीत नामक एक व्यक्ति उन्हें मिला। वह भी उनकी मित्र मंडली में सामिल हो गया। अजीत बड़ा बातूनी था। उसने बताया कि रामपुर चौंक पर बहुत स्वादिष्ट और लाजवाब समोसे और चाय मिलती है। मैं वहां बराबर जाता हूं। यह सुनकर रामेश्वरम और सुमन का जी भी मचल उठा। एक दिन वे भी वहां जा पहुंचे। उन्होंने देखा, रामपुर चौंक पर दुकान तो खूब सजी है। अंदर जाकर फाइवर की चमचमाती कुर्सियां देखी तो उनका मन बड़ा खुश हुआ।  झटपट उन्होंने दो दो समोसे और चाय का आर्डर दे दिया। लेकिन यह क्या ? समोसे तो ठंडे थे। चाय भी फीकी थी। उन दोनों दोस्तों का मन उतर गया। वे बाहर आकर बोले - ऊंची दुकान और फीका पकवान।

तभी से यह कहावत मुहावरा बन गया।

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