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सोन चिरैया अपनी खुबसूरती के लिए विख्यात है , तभी तो उत्तर भारत के गांव - गिरान में दादी - नानी अपनी पोती - नातिन को प्रेम और लाड़ प्यार से सोन चिरैया कहकर पुकारती हैं। इस पंछी को कभी राष्ट्रीय पंछी बनने का सम्मान मिलने वाला था , लेकिन किसी कारण से उसे यह सम्मान नहीं मिल पाया। आज हमारा राष्ट्रीय पंछी मोर है।
सोन चिरैया भारत के कई राज्यों में पायी जाती थी। लेकिन अब यह भारत के कुल पांच राज्यों तक ही सीमित है। INCUके अनुसार सन् 1969 में सोन चिरैया की कुल संख्या 1260 थी जो घटकर 150 के आसपास रह गई है। निश्चय ही यह स्थिति चिंताजनक है। इस संकटकालीन स्थिति को देखते हुए राजस्थान सरकार ने सोन चिरैया को राज्य पंछी घोषित कर दिया है और इसके संरक्षण के बहुत प्रयास किए जा रहे हैं। जैसलमेर में सोन चिरैया के आवास, भोजन, प्रजनन आदि की सुविधाएं बनाई गई है।
सोन चिरैया को गोंडवाना, द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड, हुकना, शर्मीली
पंछी, सर्वाहारी पंछी आदि नामों से भी जाना जाता है। विश्व के अनेक बड़े पंछियों में इसका भी नाम शामिल हैं। इसकी ऊंचाई 1 मीटर तथा वजन 10 से 15 किलो के आसपास होता है। आकार में बड़ा और शरीर फैला होने के बावजूद यह उड़ सकती है।
सोन चिरैया शुतुरमुर्ग जैसी होती है। इसकी नजरें सीधी होती है। इनमें फूर्ति की कमी रहती है ,यही कारण है कि बिजली की तारें सामने आने पर वह बच नहीं पाती। देखने की क्षमता भी कम होती है इनकी। इनकी संख्या घटने का एक और कारण है। इनके घोंसले ज़मीन पर घास में होते हैं। इसलिए उन अंडों को कुत्ते आदि जंगली पशु आसानी से शिकार बना लेते हैं। राजस्थान में तो इनके शिकार पर रोक लगा दी गई है क्योंकि 2013 ई में ही पर्यावरण दिवस के अवसर पर ग्रेट इंडियन बस्टर्ड नामक परियोजना चलाई गई है, जिसमें इनके संरक्षण की योजना है, परन्तु पड़ोसी पाकिस्तान में इनका शिकार धड़ल्ले से चल रहा है।
पैसेफिक गोल्डन प्लोवर, सोन बटन चिड़िया
सुनहरे रंग की पैसेफिक गोल्डन प्लोवर नामक चिड़िया उत्तरी ध्रुव पर पाई जाती है। बंगाल में इसे सोन बटन कहा जाता है। यह साइबेरिया तथा अलस्का में भी पाई जाती है। अत्यधिक ठंड पड़ने पर यह कम ठंड वाले प्रदेश में आ जाती है। ऐसे ही एक चिड़िया का जोड़ा 4500 किलोमीटर की दूरी तय करके झारखण्ड के तिलैया डैम में आई है। यह माइग्रेटरी बर्ड है, इसके आने का अर्थ है कि जलवायु में परिवर्तन हो रहा है। इसका आना संपूर्ण भारत वर्ष के लिए गौरव की बात है।
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