वन की शोभा, कवि गोपाल सिंह नेपाली wan ki shobha, poem, poet Gopal Singh Nepali
वन की शोभा, कवि गोपाल सिंह नेपाली wan ki shobha, poem, poet Gopal Singh Nepali
उस विशाल विस्तृत कानन में रम्य अनेकों वन थे,
हरे - भरे तरूवर जिनमें उस कानन के धन थे।
रच रच नीड़ बसाकर दुनिया खग आनंद मगन थे,
थे निर्झर , थी सर - सरिताएं , फल थे , सरस सुमन थे।।
इस कानन के मध्य भाग में सुन्दर पल्लव वन था,
कानन भर में यही एक ही पल्लव का उपवन था।
तरह तरह के पल्लव थे, अति कोमल जिनका तन था,
छन छन उड़कर जिनपर जाकर चिपका रहता मन था।।
चारों ओर घिरा था वह वन - सरिताओं के जल से,
होता था मुखरित सारा वन जल के मृदु कल-कल से।
फूट पड़ी है अमृत धारा मीठी पृथ्वी तल से,
ऐसा सोच वहां आते थे, पंछी तरूवर दल से।।
जगह जगह थे झील सरोवर जिनमें निर्मल जल था,
जहां नहाता , पानी पीता वन का पंछी दल था।
क्यारी क्यारी में वैसे तो लगा न जल का नल था,
फिर भी क्या जाने क्यों उनमें जल बहता चंचल था।
वन की शोभा कविता का शब्दार्थ
वन की शोभा कविता का भावार्थ और व्याख्या
कविवर गोपाल सिंह नेपाली कहते हैं, उस कानन में अनेक छोटे छोटे वन थे , जहां हरे हरे पेड़ पौधे वन की शोभा में चार चांद लगा देते थे। उन पेड़ों पर रंग बिरंगे पंछी घोंसला बनाकर खुशी खुशी निवास करते थे। क्योंकि वहां उन्हें तरह तरह के फल खाने को मिलते तथा वहां बहने वाली झरणाओं से उन्हें पीने के लिए जल भी आसानी से मिल जाता था।
कवि कहते हैं कि उस सुन्दर कानन के मध्य भाग में एक पल्लव वन था। उस पल्लव वन में तरह तरह के रंगों वाले पल्लव देखने को मिलते थे। जब सूर्य की किरणें उन पललवों से छन कर नीचे आतीं हैं तो बहुत सुंदर लगता है।
कवि आगे कहते हैं, वहां चारों ओर नदियां और निर्झर बहते हैं। ऐसा लगता है जैसे वहां मीठे जल का सोता फूट पड़ा है। तरह तरह के पशु पक्षी वहां मीठे जल पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं और स्नान भी करते हैं। उन्हें यहां बड़ा मजा आता है। वास्तव में इस वन की शोभा निराली है।
वन की शोभा पाठ का प्रश्न उत्तर
1. कानन के धन क्या - क्या थे?
उत्तर - हरे भरे पेड़ पौधे उस कानन के धन थे। कानन पेड़ पौधों की हरियाली से सुशोभित थी।
2. कानन में क्या क्या वस्तुएं थीं?
उत्तर - कानन में हरे हरे पेड़ पौधे, लताएं, भिन्न भिन्न प्रकार के पशु पक्षी, नदियां, सरोवर आदि थीं।
3. पल्लव वन की ओर मन क्यों खींचता था ?
उत्तर - पल्लव वन की शोभा इतनी निराली थी कि सबका मन अनायास ही उसकी ओर खींचा चला आता था। तरह तरह के सुंदर पल्लव, पक्षी उसकी शोभा में चार चांद लगा देते थे।
4. पल्लव वन में पंछी क्यों आते थे ?
उत्तर - पल्लव वन में पक्षी वहां की सुन्दरता देख कर चले आते थे।
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