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भारतीय संस्कृति, Bhartiya sanskriti,

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  Bhartiya sanskriti, भारतीय संस्कृति, भारतीय संस्कृति की विशेषता, भारतीय संस्कृति की पहचान, भारतीय संस्कृति में नारी धर्म  भारतीय संस्कृति की परिभाषा, भारतीय संस्कृति का इतिहास, वैदिक काल में भारतीय संस्कृति, महात्मा बुद्ध और महावीर, महात्मा गांधी की सत्य और अहिंसा, भक्ति आन्दोलन,आलवार भक्त, सभ्यता और संस्कृति में अंतर। भारतीय संस्कृति की पहचान  Bhartiya Sanskriti in Hindi, vadic sanskriti, Bhartiya kala awam sanskriti, Bharat ki sanskriti, Bhartiya Sanskriti par nibandh,, sanskriti ka meaning in hindi, essay on Bhartiya Sanskriti in Hindi, sanskriti in Hindi  भारतीय संस्कृति का इतिहास बहुत पुराना है । हमें संस्कृति  का सामान्य अर्थ समझना चाहिए। वास्तव में संस्कृति किसे कहा जाता है ? विद्वानों का मत है कि मानव जीवन के दैनिक आचार व्यवहार, रहन-सहन तथा क्रियाकलाप आदि ही संस्कृति है। संस्कृति का निर्माण एक लंबी परंपरा के बाद होता है। संस्कृति विचार और आचरण के विनियम और मूल्य हैं जिन्हें कोई समाज अपने अतीत से प्राप्त करता है। अपने पूर्वजों से प्राप्त करता है। अतः कहा जा सकता है कि हम अपने

छाया मत छूना, कविता, tenth Hindi कवि गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary

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         बिमल हिंदी ‌.इन bimal hindi.in हिन्दी भाषा और लिपि के बारे में पढ़ें               डॉ.उमेश कुमार सिंह के द्वारा लिखित छाया मत छूना, कविता, गिरिजा कुमार माथुर, chhaya mat chhuna , poem , summary  छाया मत छूना कविता, छाया मत छूना कविता के कवि गिरिजा कुमार माथुर का जीवन परिचय, छाया मत छूना कविता का भावार्थ और व्याख्या,छाया मत छूना पाठ का प्रश्न उत्तर। Chhaya mat chhuna poem, Girija Kumar Mathur Jiwan parichay, chhaya mat chhuna questions answers . NCERT solutions, tenth class hindi poem chhaya mat chhuna,  "छाया मत छूना"  कविता के माध्यम से कवि गिरिजा कुमार माथुर यह बताने का प्रयास करते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों आते हैं। सुख दुख के मिश्रण से ही जीवन बनता है। इसलिए बिते दिनों के सुख को याद कर वर्तमान के दुख को बढ़ावा देना उचित नहीं है।  छाया मत छूना  मन, होगा दुख दूना।  जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी  छवियों की चित्र गंध फैली मनभावनी,  तन - सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,  कुंतल के फूलों की याद बनी चांदनी।  भूली सी एक छुअन बनता हर जीवन क्षण -  छाया मत छूना  मन,

सौर्य ऊर्जा निबंध, उपयोगिता और महत्व, उत्पादन और लाभ, solar energy, essay, souraya urja, production and utility

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 सौर्य ऊर्जा निबंध, उपयोगिता और महत्व, उत्पादन और लाभ, सौर्य उर्जा कैसे लगाएं  solar energy, essay, souraya urja, production and utility उर्जा अथवा बिजली उत्पादन के साधन, हमारे जीवन में बिजली का महत्व, सौर्य ऊर्जा का महत्व, भारत में सौंदर्य ऊर्जा का महत्व और स्थिति, energy utpadan ke sadhan, hamare Jiwan me bijali ka mahatva, importance, bharat me solar energy. हमारे जीवन में बिजली और उर्जा का महत्व हमारे जीवन में ऊर्जा का बहुत महत्व है। जब हमारे घरों की बिजली कुछ देर के लिए बंद हो जाती है तो हमें कैसा महसूस होता है, यह सब आप लोग अच्छी तरह जानते हैं। गर्मियों में यदि पंखे, कूलर ना चलाए जाएं तो बहुत बुरा हाल हो जाता है। रात को यदि बिजली ना हो तो बच्चों की पढ़ाई कैसे हो ? कार्यालय  और फैक्ट्रियों में तो बिजली के बिना सारा कामकाज ही ठप पर जाता है।  बिजली से रोशनी आती है और तमाम तरह की मशीनें चलती हैं। इतना तो आप जानते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि बिजली आती  कहां से हैं ? बिजली आती है ताप विद्युत गृहों से जिन्हें थर्मल पावर स्टेशन कहा जाता है। यहां कोयले को भारी मात्रा में जलाकर बिजली तै

संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल, भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers.

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  संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल,  भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers. Class 10th Hindi Table of contents संगतकार कविता के कवि का क्या नाम है। संगतकार की भूमिका, संगतकार कविता का उद्देश्य क्या है ? संगतकार किसे कहा जाता है ? संगतकार कविता के कवि का क्या उद्देश्य है ? संगतकार मुख्य गायक गायिकाओं की मदद कब करता है ? Tenth Hindi poem exercises.kshitiz - 2 summary , questions answers sangatkar poem Summary of poem sangatkar.            संगतकार कविता का सारांश संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व पर विचार करती है। संगतकार केवल गायन में नहीं फिल्म, नाटक आदि में भी होते हैं। संगतकार मुख्य गायक का साथ देता है । जब मुख्य गायक भारी आवाज में गाता है तब वह अपनी कोमल सुंदर आवाज में गायन को और अधिक सुंदर बना देता है। वह शिष्य हो सकता है, और छोटा भाई भी । जब मुख्य गायक अंतरे की जटिलताओं में खो जाता है या सरगम को लांघ जाता है, तब संगतकार ही स्थाई को संभाल कर गायन को आगे बढ़ाता है। कभी-कभी वह मुख्य गायक

छोटा मेरा खेत, कविता कवि उमाशंकर जोशी , chhota mera khet, poem , Umashankar Joshi

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छोटा मेरा खेत, कविता कवि उमाशंकर जोशी , chhota mera khet, poem , Umashankar Joshi, 12 th class Hindi  छोटा मेरा खेत, कविता, व्याख्या, कविता में खेत की तुलना कागज के पन्नों से क्यों की गई है ? कवि ने अपनी तुलना किससे की है ? छोटा मेरा खेत कविता का प्रश्न उत्तर , बारहवीं कक्षा हिंदी, आरोही, हिन्दी पुस्तक।  कवि उमाशंकर जोशी ने रूपक के माध्यम से अपने कवि कर्म को कृषक के समान बताया है । किसान अपने खेत में बीज होता है , बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है।  फिर पुष्पित पल्लवित होकर जब परिपक्वता को प्राप्त होता है तब उसकी कटाई होती है । यह अन्न जनता का पेट भरता है  कवि कागज को अपना खेत मानता है। किसी क्षण आई भावनात्मक आंधी में वह इस कागज पर बीज वपन करता है । कल्पना का आश्रय पाकर भाव विकसित होता है। यही बीज का अंकुरण है। शब्दों के अंकुर निकलते हैं। रचना स्वरूप ग्रहण करने लगती है। इस अंकुरण से प्रस्फुटित हुई रचना में अलौकिक रस होता है जो अनंत काल तक पाठक को अपने में डूबे रहता है। कवि ऐसी खेती करता है जिसकी कविता का रस कभी समाप्त नहीं होता। छोटा मेरा खेत, कविता Chhota Mera khet poem  छोटा मेरा खेत चौक

हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय, A biography of Harishankar Parsai, हरिशंकर परसाई की रचनाएं, हरिशंकर परसाई की भाषा शैली, hindi writer Harishankar Parsai

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  हरिशंकर परसाई का जीवन परिचय, A biography of Harishankar Parsai, हरिशंकर परसाई की रचनाएं, हरिशंकर परसाई की भाषा शैली, hindi writer Harishankar Parsai हिंदी साहित्य के यशस्वी निबंधकार हरिशंकर परसाई का जन्म मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में जमानी नामक ग्राम में 22 अगस्त 1922 को हुआ था । प्रारंभिक शिक्षा के बाद उन्होंने नागपुर से हिंदी में एम.ए  करके कुछ दिनों तक अध्यापन कार्य भी किया।  फिर अध्यापन कार्य छोड़कर स्वतंत्र लेखन को ही अपना उपजिव्य बनाया।  इसी क्रम में उन्होंने जबलपुर से साहित्यिक पत्रिका वसुधा का प्रकाशन भी प्रारंभ किया था। हरिशंकर परसाई ने 20 से अधिक रचनाएं हिंदी जगत को प्रदान की हैं। उनकी कृतियों में प्रमुख हैं-  हंसते हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे, ( कहानी संग्रह), रानी नागफनी की कहानी, तट की खोज, ( उपन्यास) तब की बात और थी, भूत के पांव पीछे, बेईमानी की परत, पगडंडियों का जमाना , सदाचार की ताबीज, शिकायत मुझे भी है, ( निबंध संग्रह) वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाएं, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर ( व्यंग संग्रह )। परसाई की समकालीन राजनीति पर बड़ी पैनी निगाह थी। व