छोटा मेरा खेत, कविता कवि उमाशंकर जोशी , chhota mera khet, poem , Umashankar Joshi



छोटा मेरा खेत चौकोना


छोटा मेरा खेत, कविता कवि उमाशंकर जोशी , chhota mera khet, poem , Umashankar Joshi, 12 th class Hindi 


छोटा मेरा खेत, कविता, व्याख्या, कविता में खेत की तुलना कागज के पन्नों से क्यों की गई है ? कवि ने अपनी तुलना किससे की है ? छोटा मेरा खेत कविता का प्रश्न उत्तर , बारहवीं कक्षा हिंदी, आरोही, हिन्दी पुस्तक।


 कवि उमाशंकर जोशी ने रूपक के माध्यम से अपने कवि कर्म को कृषक के समान बताया है । किसान अपने खेत में बीज होता है , बीज अंकुरित होकर पौधा बनता है।  फिर पुष्पित पल्लवित होकर जब परिपक्वता को प्राप्त होता है तब उसकी कटाई होती है । यह अन्न जनता का पेट भरता है

 कवि कागज को अपना खेत मानता है। किसी क्षण आई भावनात्मक आंधी में वह इस कागज पर बीज वपन करता है । कल्पना का आश्रय पाकर भाव विकसित होता है। यही बीज का अंकुरण है। शब्दों के अंकुर निकलते हैं। रचना स्वरूप ग्रहण करने लगती है। इस अंकुरण से प्रस्फुटित हुई रचना में अलौकिक रस होता है जो अनंत काल तक पाठक को अपने में डूबे रहता है। कवि ऐसी खेती करता है जिसकी कविता का रस कभी समाप्त नहीं होता।

छोटा मेरा खेत, कविता

Chhota Mera khet poem 

छोटा मेरा खेत चौकोना

 कागज का एक पन्ना,

 कोई अंधड़ कहीं से आया

 क्षण का बीज वहां बोया गया।


 कल्पना के रसायनों को पी

 बीज गल गया नि:शेष । 

शब्द के अंकुर फूटे,

 पल्लव पुष्पों से नमित हुआ विशेष।

व्याख्या

मैं भी एक प्रकार का किसान हूं । कागज का एक पन्ना मेरे लिए छोटे से चौकोर खेत के समान है । अंतर इतना ही है कि किसान जमीन पर कुछ बोता है और मैं कागज पर कविता उगाता हूं । जिस प्रकार किसान धरती पर फसल उगाने के लिए कोई बीज उगाता  है उसी प्रकार मेरे मन में अचानक आई आंधी के समान कोई भाव रूपी बीच ना जाने कहां से चला आता है। वह भाव रूपी बीज मेरे मन रूपी खेत में अचानक बोया जाता है। जिस प्रकार धरती में बोया गया बीज विभिन्न रसायनों, हवा , पानी खाद आदि को पीकर स्वयं को गला देता है और उसमें से अंकुर, पत्ते और पुष्प फूट पड़ते हैं उसी प्रकार कवि के मन में उठे हुए भाव कल्पना रूपी रसायन को पीकर उस भाव को अहं मुक्त कर लेते हैं । सर्वजन का विषय बना डालते हैं, सब की अनुभूति बना डालते हैं । तब शब्द रूपी अंकुर फूटते हैं । कविता भाव रूपी पत्तों और पुष्पों से लदकर विशेष रूप से झुक जाती है । वह सब के लिए समर्पित हो जाती है।

कन्यादान कविता पढ़ें 

झूमने लगे फल,

 रस अलौकिक,

 अमृत धाराएं फूटती 

रोपाई क्षण की ,

कटाई अनंतता की,

 लूटते रहने से जरा भी नहीं कम होती।

 रस का अक्षय पात्र सदा का 

छोटा मेरा खेत चौकोना।

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व्याख्या


जब कवि के हृदय में पलने वाला भाव पककर कविता रूपी फल के रूप में झूमने लगता है तो उसमें से अद्भुत अलौकिक रस झड़ने लगता है। आनंद की अमृत धाराएं फूटने लगती है । सचमुच किसी भाव का आरोपण एक विशेष क्षण में अपने आप दिव्य प्रेरणा से हो जाया करता है। परंतु कविता के रूप में उसकी फसल अनंत काल तक मिलती रहती हैं। कविता की फसल ऐसी अनंत है कि उसे जितना लूटाओ वह खाली नहीं होती । वह युगो युगो तक रस देती रहती हैं। सचमुच कवि के पास कविता रूपी जो चौकोर खेत है वह रस का अक्षय पात्र हैं जिसमें से कभी रस समाप्त नहीं होता । कविता शाश्वत होती है।


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छोटा मेरा खेत कविता का प्रश्न उत्तर

Chota Mera khet poem questions answers

प्रश्न - खेत की तुलना कागज के पन्नों से क्यों की गई है ? 

उत्तर- जिस प्रकार खेत में बीज बोए जाते हैं उसी प्रकार पन्ने पर अपने मन के भाव रखे जाते हैं। इस समानता के कारण दोनों की तुलना की गई है । 

प्रश्न - खेत अगर कागज है तो बीज क्या है ? आप ऐसा क्यों मानते हैं? 

उत्तर - खेत कागज के समान है तो बीज उन कागजों पर लिखे गए भाव और विचार हैं।

प्रश्न-  रचना में विचारों के अंदर की क्या भूमिका है  ?

उत्तर  - जब तक कोई विचार तूफान की भांति गतिशील होकर नहीं उमडता है तब तक उसमें कोई कविता, कहानी या अन्य रचना नहीं फूटती है।

 प्रश्न - कवि ने अपनी तुलना किससे की है और क्यों ?

 उत्तर - कवि ने अपनी तुलना एक किसान से की है जो अपने खेत में बीज बोकर जल और खाद देकर फसलें उगाता है। कवि का कविता कर्म भी इसी समान रचनात्मक है। वह कागज पर भावों के बीच उगाता है ।

प्रश्न - अंधड़ किसका प्रतीक है ?

 उत्तर - अंधड़ मन में अचानक आए भाव का प्रतीक है।

 प्रश्न -- रचना धर्म के संदर्भ में अंधड़ और बीज क्या है ?

 उत्तर  - रचना के संदर्भ में अंदर का तात्पर्य है भावना का आवेश या कोई अज्ञात प्रेरणा जिसके कारण मन में कोई भाव जाग उठता है। बीज का तात्पर्य है किसी निश्चित विषय वस्तु का मन में जाग उठना । जब कोई विषय कवि के हृदय को कुरेदने लगता है  बीज के रूप में तैयार होकर अभिव्यक्ति के लिए व्याकुल होने लगता है तो उसे बीज रोपना कह सकते हैं।

 प्रश्न -  रस का अक्षय पात्र से कवि ने रचना कर्म की किन विशेषताओं की ओर इंगित किया है ?

 उत्तर - कवि ने रचना कर्म अर्थात कविता को रस का अक्षय पात्र कहा है। कवि का तात्पर्य है कि कविता में निहित सौंदर्य , रस और भावना तो कभी न कम होता है ना नष्ट होता है। वह अनंत काल तक अपने रस को अक्षुण्ण बनाए रखता है।  शताब्दियों के बाद तक भी पाठक उसके रस से मगन होते रहते हैं।

 प्रश्न  -- छोटा मेरा खेत कविता के रूपक को स्पष्ट कीजिए

 उत्तर कवि अपनी कविता को खेत के उपमान से प्रकट करता है। उसके अनुसार कवि खेत रूपी पन्ने पर भाव रूपी बीज, विचार रूपी जल और अलंकार रूपी रसायन मिलता है। तभी उसमें से कविता रूपी फसल पैदा होती है।

कन्यादान कविता पढ़ें 


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