संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल, भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers.

 

संगतकार , कविता, कवि मंगलेश डबराल,  भावार्थ एवं व्याख्या sangatkar poem class 10, Manglesh dabral, summary, questions answers. Class 10th Hindi


संगतकार


Table of contents

संगतकार कविता के कवि का क्या नाम है। संगतकार की भूमिका, संगतकार कविता का उद्देश्य क्या है ? संगतकार किसे कहा जाता है ? संगतकार कविता के कवि का क्या उद्देश्य है ? संगतकार मुख्य गायक गायिकाओं की मदद कब करता है ? Tenth Hindi poem exercises.kshitiz - 2 summary , questions answers sangatkar poem

Summary of poem sangatkar.            संगतकार कविता का सारांश


संगतकार कविता गायन में मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व पर विचार करती है। संगतकार केवल गायन में नहीं फिल्म, नाटक आदि में भी होते हैं। संगतकार मुख्य गायक का साथ देता है । जब मुख्य गायक भारी आवाज में गाता है तब वह अपनी कोमल सुंदर आवाज में गायन को और अधिक सुंदर बना देता है। वह शिष्य हो सकता है, और छोटा भाई भी । जब मुख्य गायक अंतरे की जटिलताओं में खो जाता है या सरगम को लांघ जाता है, तब संगतकार ही स्थाई को संभाल कर गायन को आगे बढ़ाता है। कभी-कभी वह मुख्य गायक के गिरते हुए स्वर को उठाता है वह उसे एहसास दिलाता है कि वह अकेला नहीं है । वह मुख्य गायक के समान अपने स्वर को ऊंचा उठाने का प्रयास नहीं करता यह उसकी विफलता अथवा कमजोरी नहीं है यह तो उसकी मानवता है। ऐसा करके मुख्य गायक के प्रति आदर प्रकट करता है। यहां कविता का भावार्थ, प्रश्न उत्तर दिए गए हैं जो दसवीं कक्षा की परीक्षाओं में सहायक सिद्ध हो सकते हैं।

कवि मंगलेश डबराल का संक्षिप्त परिचय, a biography of poet Manglesh dabral


मंगलेश डबराल हिंदी के श्रेष्ठ कवियों में हैं। इनका जन्म 1948 में टिहरी गढ़वाल में हुआ था। उन्होंने शिक्षा देहरादून में प्राप्त की । दिल्ली आकर वे पत्रकारिता से जुड़ गए। उन्होंने 'हिंदी पेट्रियट,' प्रतिपक्ष' और 'आसपास' में कार्य किया । बाद में भारत भवन, भोपाल से प्रकाशित होने वाले पूर्वग्रह के सहायक संपादक बने। इलाहाबाद और लखनऊ से प्रकाशित होने वाले 'अमृत प्रभात' में भी काम किया है । उन्होंने कुछ समय तक 'सहारा समय' का भी संपादन किया। आजकल श्री डबराल नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़कर कार्य कर रहे हैं।

काव्यगत विशेषताएं  -- श्री डबराल की कविता में सामंती बोध और पूंजीवाद का खुलकर विरोध किया गया है।  इनकी कविता में नई मर्यादाओं की स्थापना है।  इनका सौंदर्य बोध सूक्ष्म है। उन्होंने नए शब्दों को नए अर्थों में प्रस्तुत किया है।  सजग भाषा इनकी कविता की प्रमुख विशेषता है।

रचनाएं --  इनके चार काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं । पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह। इनकी कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, पोल्स्की  और वल्गरी भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं। उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए इन्हें साहित्य अकादमी और पहल सम्मान पुरस्कार मिल चुके हैं।

 भाषा शैली -  श्री डबराल ने कविता में बोलचाल शब्दों का अधिकता से प्रयोग किया है। इन्होंने परंपरागत  छंद विधान का प्रयोग अपनी कविता में नहीं किया है । उसे अपने  इच्छित रूप में प्रस्तुत किया है। कोमल भावनाएं भी इनकी कविता में मिलते हैं। उन्होंने प्रतीकों का प्रयोग किया है । इनकी भाषा सुंदर और पारदर्शी।

    संगतकार कविता, poem sangatkar

मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती 
वह आवाज सुंदर कमजोर कांपती हुई थी 
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है 
या उसका शिष्य
 या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार 
मुख्य गायक की गरज में
 वह अपनी गूंज मिलाता आया है प्राचीन काल से । 
जब गायक अंतरा की जटिलताओं के जंगल में 
खो चुका होता है
 या अपने ही सरगम को लांघ कर
 चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में 
तब संगतकार है स्थाई को संभाले रहता है
 जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान 
जैसे उसे याद दिलाता है उसका बचपन 
जब वह नौसिखिया था।


तार सप्तक में जब बैठे लगता है उसका गला
 प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
 आवाज से राख जैसे कुछ गिरता हुआ 
तभी मुख्य गायक को ढाढस बताता है 
कहीं से चला आता है संगतकार का स्वर
 कभी-कभी वह यूं ही दे देता है उसका साथ 
यह बताने के लिए कि वह अकेला नहीं है
 और यह कि फिर से गया जा सकता है 
गया जा चुका राग 
और उसकी आवाज में एक ही हिचक साफ सुनाई देती है 
या अपने स्वर को ऊंचा न उठाने की जो कोशिश है 
उसे विफलता नहीं
 उसकी मनुष्यता समझा जाना चाहिए। 


संगतकार कविता का भावार्थ और व्याख्या


मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी भरकम स्वर के साथ जो कांपती हुई सुंदर कमजोर आवाज है वह संगतकार की है जो शायद मुख्य गायक का छोटा भाई है अथवा शिष्य या वह मुख्य गायक का कोई अभावग्रस्त रिश्तेदार है , जो पैदल चलकर संगीत सीखने आया है। यह संगतकार मुख्य गायक की गरज जैसी आवाज में अपनी गूंज प्राचीन काल से मिलाता आया है। जब गायक अंतरे के स्वरों को लंबा खींच जटिल अलाप में खो जाता है या अपनी सरगम को लांघ संगीत की अनंत सीमा के आनंद में भटक जाता है तब संगतकार ही स्थाई को संभाले रहता है। जैसे वह मुख्य गायक के पीछे छूटे हुए सामान को समेट रहा है या जैसे मुख्य गायक को उसका बचपन याद दिलाता है। इस प्रकार वह गीत को बिखरने से रोक लेता है भाव संदन कवि ने संगीतकार के साथ संगतकार के महत्व को बताया है । कवि के अनुसार संगतकार ही मुख्य गायक के स्वर को संभालने में सहायक होता है। उसकी आवाज में अपनी आवाज ही नहीं मिलता अपितु मुख्य गायक के स्वर और दिशा को भी संभालत है।
 शिल्प सौंदर्य  -- पंक्तियां खड़ी बोली हिंदी में लिखी गई हैं और सामान्य बोलचाल के शब्दों का प्रयोग किया गया है। कविता छंद मुक्त है जिसमें अनुप्रास, रूपक, उत्प्रेक्षा अलंकारों का सुंदर प्रयोग हुआ है।

       

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               Dr.Umesh Kumar Singh


Dr. Umesh Kumar Singh

                    Dr. Umesh Kumar Singh
                                          M.A. ( Hindi ) Ph- D

       Founder and writer of www.bimalhindi.in
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इस कविता में कवि का आगे कथन है कि मुख्य गायक जब ऊंचे स्वर में गाता है तब मध्य स्वर से ऊपर तार सप्तक तक पहुंचने पर उसका गला बैठने लगता है । मुख्य गायक की प्रेरणा साथ छोड़ने लगती है और लगता है उसका उत्साह समाप्त हो जाएगा। उसका स्वर बुझने लगता है।  तब संगतकार का स्वर मानो मुख्य गायक को धीरज बनाता है। उसका हौसला बढ़ाता है और कभी कभी यह एहसास दिलाता है कि वह अकेला नहीं है। ऐसे ही उसका साथ देता है या यह बताने के लिए कि जो लगाया जा चुका है वह राग फिर से गया जा सकता है। परंतु उसकी आवाज की झिझक साफ सुनाई देती है।  वह अपने स्वर को ऊंचा नहीं उठाने देने की कोशिश करता है। यह उसकी असफलता नहीं है । यह उसकी मानवता है वह स्वयं को गुरु से श्रेष्ठ नहीं बताता।  मुख्य गायक में श्रद्धा का भाव है।

 भाव सौंदर्य -- कवि ने संगतकार की विशेषता और गुणों को दर्शाया है। वह मुख्य गायक को प्रेरणा देता है । साहस देता है। वह जानबूझकर अपने स्वर को ऊंचा नहीं उठाता । यह उसकी निपुणता है । उसकी अच्छी मानसिकता है जो मुख्य गायक के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट
 करता है। 

संगतकार कविता का प्रश्न उत्तर questions answers poem sangatkar


प्रश्न  - संगतकार कौन होता है ?

 उत्तर --  जो गायन वादन में मुख्य गायक या कलाकार का साथ देता है उसे संगतकार करते हैं । वह संगत अथवा साथ  देता है । 

प्रश्न -- संगतकार कौन कौन हो सकता है ?

 उत्तर  - संगतकार के लिए कवि ने संभावनाएं बताई है कि वह छोटा भाई हो सकता है, मुख्य गायक का शिष्य हो सकता है, या कोई अभावग्रस्त पैदल चलकर मुख्य गायक के पास आया हुआ संगीत सीखने का इच्छुक रिश्तेदार हो सकता है।

 प्रश्न -  संगतकार की क्या भूमिका है?

 उत्तर - संगतकार मुख्य गायक की गरजती हुई आवाज में अपनी गूंज मिलाता  है । संगीत में खोए मुख्य गायक को संगतकार हैं भटकन से बाहर निकालता है।

 प्रश्न --  संगतकार मुख्य गायक को क्या याद दिलाता है  ?

उत्तर  - संगतकार मुख्य गायक को उसका बचपन याद दिलाता है । मुख्य गायक जब संगीत सीख रहा था , नौसिखिया था।

 प्रश्न - संगतकार का स्वर कैसा है ?

उत्तर - संगतकार का स्वर सुंदर,  कांपता हुआ और कमजोर है।


प्रश्न  - तार सप्तक से आप क्या समझते हैं ?

 उत्तर - संगीत में सात शुद्ध स्वर हैं । ध्वनि की ऊंचाई और नीचाई के आधार पर संगीत में तीन सप्तक- मध्यम, तार और मंद्र माने गए हैं । मध्य सप्तक से ऊपर जाती हुई ध्वनि तार सप्तक कहलाती है । 

प्रश्न - संगतकार मुख्य गायक को कभी-कभी ऐसे ही स्वर क्यों देता है ? 

उत्तर-  संगतकार ऐसे ही कभी-कभी अपना स्वर इसलिए देता है कि मुख्य गायक को एहसास रहे कि वह अकेला नहीं है।  उसके स्वर को संगतकार बिखरने नहीं देता।


 प्रश्न - संगतकार की आवाज में हिचक क्यों सुनाई देती है ?

 उत्तर - संगतकार की आवाज में हिचक इसलिए सुनाई देती है क्योंकि वह अपने स्वर को मुख्य गायक के स्वर से ऊंचा नहीं होने देता।  वह मुख्य गायक का आदर करता है । 

प्रश्न  - उसकी हिचक को किस रूप में देखना चाहिए ?

 उत्तर हमें संगतकार की हिचक को उसकी विफलता नहीं माननी चाहिए बल्कि उसकी सोच को सम्मान देना चाहिए कि वह मुख्य गायक के प्रति श्रद्धा के कारण ऐसा कर रहा है। यह उसकी महानता है।

प्रश्न - संगतकार के माध्यम से कवि किस प्रकार के व्यक्तियों की ओर संकेत करना चाह रहा है ? 

उत्तर  -- संगतकार के माध्यम से कवि उन लोगों की ओर संकेत करना चाह रहा है जो मुख्य व्यक्तियों की छवि बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते हैं । वह स्वयं तो पीछे रहते हैं पर अपने मुख्य गायक, नेता को ऊंचा उठाने में मदद करते हैं।  इनकी भूमिका रचनात्मक होती हैं । यह लोग अपनी आदर्श व्यक्तियों की छवि को निखारते हैं । मुसीबत में साथ देते हैं और ढाढस बढाते हैं।

 प्रश्न --  संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं  ? 

उत्तर-- संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा कई क्षेत्रों में दिखाई देते हैं। जैसे नाटक के क्षेत्र में, नृत्य के क्षेत्र में, शिक्षा के क्षेत्र में, राजनीति के क्षेत्र में , धर्म के क्षेत्र में।

 प्रश्न -  संगतकार किन किन रूपों में मुख्य गायक गायिकाओं की मदद करते हैं ?

 उत्तर --  संगतकार मुख्य गायक गायिकाओं के स्वर में अपना स्वर मिलाकर उनकी मदद करते हैं।  संगीत में वाद्य यंत्र बजाकर, मुख्य गायक गायिकाओं के स्वर में अपने स्वर का साथ देते हैं।  उनके ऊंचे स्वर में गाने पर स्थाई को संभाल कर रखते हैं।

 प्रश्न -  किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पाने वाले लोगों को अनेक लोग तरह तरह से अपना योगदान देते हैं कोई एक उदाहरण देकर इस कथन पर अपने विचार लिखिए ।

उत्तर  - आज हम देखते हैं कि अनेक लोगों ने अपने-अपने क्षेत्र में अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त की है।  वे उस क्षेत्र विशेष में प्रसिद्धि की चरम सीमा पर है । उन्हें इस स्थिति में पहुंचने के लिए अनेक लोगों ने अपने-अपने ढंग से योगदान किया है और स्वयं को पीछे रखा है।  तभी वह सफलता के शिखर पर पहुंच पाए हैं।  ऐसे कई उदाहरण हैं जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त हैं कि अनेक लोगों के प्रसिद्धि में उनके संगतकार का महत्वपूर्ण योगदान है । जैसे कथक नृत्यांगना उमा शर्मा की प्रसिद्धि पर पंडित ज्वाला प्रसाद तथा अन्य संगतकार का योगदान काफी सराहनीय है।

प्रश्न  - किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाले लोग प्रतिभावान होते हुए भी शीर्ष स्थान पर क्यों नहीं पहुंच पाते ?

 उत्तर  -  किसी भी क्षेत्र में संगतकार की पंक्ति वाली लोग प्रतिभावान होते हुए भी शीर्ष स्थान पर इसलिए नहीं पहुंच पाते क्योंकि वह मुख्य कलाकार के सहयोगी होते हैं तथा उनसे विश्वासघात नहीं करना चाहते हैं। अपनी प्रतिभा का उपयोग दूसरों को चमकाने में करते हैं।  वे एक प्रकार से परोपकारी होते हैं तथा मुख्य कलाकार के प्रति श्रद्धा का भाव रखते हैं।

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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।




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