भोजन संबंधी विकार, Eating Disorder इटिंग डिस्आडर


 

भोजन संबंधी विकार, Eating          Disorder इटिंग डिस्आडर, एनोरेक्सिया नर्वोसा, बुलिमिया


भोजन संबंधी विकार एक मानसिक रोग है जो पीड़ित व्यक्ति की नियमित आहार पद्धति में गड़बड़ी उत्पन्न कर देता है । जिसके कारण व्यक्ति बहुत अधिक या बहुत कम भोजन खाने लगता है । भोजन संबंधी समस्या के कारण व्यक्ति के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । इस प्रकार की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति हर समय अपनी शारीरिक बनावट तथा वजन के विषय में सोचता रहता है।  ऐसी स्थिति में जिन लोगों को लगता है कि उनका वजन बहुत ज्यादा है, भोजन की मात्रा बहुत कम कर देते हैं।  वहीं जिन लोगों को लगता है कि उनका वजन बहुत कम है, वह भोजन की मात्रा अधिक बढ़ा देते हैं। हालांकि इन दोनों स्थितियों में उनकी  वृद्धि एवं विकास की दर बहुत धीमी हो जाती है। इस समस्या के कारण शारीरिक कमजोरी, चिड़चिड़ापन, कब्ज़, गैस, एसिडिटी, नींद का कम होना या अधिक होना तथा कुपोषण का शिकार हो सकते हैं। इस समस्या का समय पर इलाज न होने से व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है। ऐसे विकार पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं और किशोरियों में अधिक देखने को मिलते हैं।


विचारणीय विषय

भोजन संबंधी विकार
भोजन संबंधी विकार के प्रकार
एनोरेक्सिया नर्वोसा/ क्षुधा अभाव Annorexia Nervosa
एनोरेक्सिया नर्वोसा के प्रकार Type of Annorexia Nervosa
प्रतिबंधित एनोरेक्सिया नर्वोसा, रेचक एनोरेक्सिया नर्वोसा,
एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण, causes of Annorexia Nervosa
एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण, symptoms of Annorexia Nervosa, बुलिमिया, बुलिमिया के लक्षण, कारण और बचाव, बुलिमिया के उपचार Bulimia

एनोरेक्सिया नर्वोसा/ क्षुधा अभाव , Annorexia Nervosa

एनोरेक्सिया नर्वोसा खानपान संबंधी डिसऑर्डर मानसिक रोग है जो प्रारंभिक या मध्य किशोरावस्था में सबसे अधिक पाया जाता है। इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अपना शारीरिक भार कम करने के उद्देश्य से भोजन की मात्रा बहुत कम कर देते हैं जिसके कारण वह बहुत दुबले पतले हो जाते हैं। इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति अपना वजन कम करने के लिए कई प्रकार के अनुचित तरीके भी अपनाने लगते हैं।  इस रोग से ग्रस्त व्यक्ति के हृदय तथा गुर्दों को क्षति पहुंचती है और जानलेवा भी हो सकती है।

एनोरेक्सिया नर्वोसा के प्रकार


एनोरेक्सिया नर्वोसा दो प्रकार के होते हैं -

1. प्रतिबंधित एनोरेक्सिया नर्वोसा --- इसके अंतर्गत व्यक्ति अपने आहार को प्रतिबंधित करके अपने वजन को नियंत्रित करने का प्रयास करता है। अपने वजन को कम करने के लिए वह उपवास, डायटिंग, और जरूरत से ज्यादा व्यायाम आदि करने लगता है। 

2. रेचक एनोरेक्सिया नर्वोसा - रेचक एनोरेक्सिया नर्वोसा में व्यक्ति मृदुविरेचक अथवा मूत्रवर्द्धक का सेवन करता है अथवा भोजन के पश्चात बलपूर्वक उल्टी करता है। ऐसा करके वह अपने वजन को बढ़ने से रोकने का प्रयास करता है।

एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण क्या हैं ?


एनोरेक्सिया नर्वोसा के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं - 

सामाजिक कारण  (social factors -) --  कई बार माता-पिता, रिश्तेदारों या मित्रों द्वारा व्यक्ति के शारीरिक आकार को लेकर उपहास किये जाने के कारण वह एनोरेक्सिया नर्वोसा की ओर अग्रसर होते हैं । कई व्यवसाय ऐसे भी होते हैं जिनमें दुबले-पतले लोगों की आवश्यकता होती है । जैसे कि मॉडलिंग तथा जिमनास्टिक इत्यादि । ऐसा व्यवसाय अपनाने की प्रबल इच्छा के कारण ही लोग अपना वजन तेजी से कम करना चाहते हैं। 

  2. जैविक कारण ( बायोलॉजिकल फैक्टर्स ) -- यदि इस समस्या से ग्रस्त गर्भवती स्त्री शिशु को जन्म देती है तो उसकी इस समस्या से ग्रस्त होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। 

3. व्यक्तिगत (पर्सनल फैक्टर्स) -- कई बार व्यक्ति अपने समूह में स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए अपनी नियम वद्धता , समय पद्धति एवं आदर्शों का सख्ती से पालन करने के कारण भी इस समस्या से घिर जाता है । 

4. मनोवैज्ञानिक कारण (साइकोलॉजिकल फैक्टर्स ) एनोरेक्सिया नर्वोसा से पीड़ित व्यक्ति  पूर्णता वादी होते हैं । स्वयं को हर प्रकार से चुस्त-दुरुस्त रखने की मनोभावना के कारण यह हमेशा अपने शरीर के प्रति चिंतित रहते हैं।  इसके लिए वे कृतिम तौर-तरीकों का इस्तेमाल करने से भी परहेज नहीं करते । बहुत कम खाना,  अधिक व्यायाम करना , हर समय अपने वजन तथा शारीरिक सुंदरता के प्रति चिंतित रहना एनोरेक्सिया नर्वोसा के प्रमुख कारण बन जाते हैं।

एनोरेक्सिया नर्वोसा के लक्षण symptoms of Annorexia Nervosa


शारीरिक भार में तेजी से कमी आती है जिसके कारण शारीरिक स्वरूप बहुत ही पतला होने लगता है। किशोरियों के मासिक धर्म में अनियमितता होने लगती है।  उल्टी शरीर के फूलने का एहसास तथा कब्ज की शिकायत रहती है । कई स्वास्थ्य समस्याएं जैसे हृदय रोग विरोधी में रुकावट दांतो की समस्याएं, लार ग्रंथि की सूजन और रक्त संबंधी बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है। पीड़ित व्यक्ति बहुत कम भोजन खाता है और कोई भोज्य पदार्थ बिल्कुल ही नहीं खाता । वह यह समझने लगता है कि यह सब उसके लिए बहुत नुकसानदायक है। भोजन के उर्जा मूल्य वसा की मात्रा के बारे में अधिक जानना चाहते हैं। सामाजिक समारोह में जाने से बचते हैं वजन कम करने के प्रयास जैसे भोजन के बाद गर्म पानी पीना या अधिक व्यायाम करना। पीड़ित को लगता है कि मोटे हो गए हैं इसलिए हमेशा वजन कम करने के उपायों के बारे में सोचते रहते हैं।

एनोरेक्सिया नर्वोसा से बचने के उपाय


वज़न कम करने के सुनी सुनाई बातों में नहीं आना चाहिए। किसी विशेषज्ञ से सलाह लें।
बच्चों को यह समझाना चाहिए कि भारी शरीर होने के बावजूद भी चुस्त-दुरुस्त और आकर्षक बने रह सकते हैं।
इस समस्या से संबंधित लोगों, स्थानों तथा गतिविधियों से दूर रहे।

चकमा देना मुहावरे


बुलिमिया / अतिक्षुधा Bulimia


बुलिमिया भी भोजन संबंधी मानसिक बीमारी है।इस रोग से पीड़ित व्यक्ति अत्यधिक भोजन करते हैं और तुरंत वज़न कम करने का भी प्रयत्न करने लगते हैं। इसके लिए भोजन के तुरंत बाद उल्टी करना, दवाइयां और उपवास जैसे तरीके अपनाते हैं। पुरुषों की अपेक्षा किशोरियों और महिलाओं में यह अधिक पाई जाती है। बुलिमिया दो प्रकार के होते हैं - रेचक और गैर रेचक बुलिमिया।

बुलिमिया के कारण

बुलिमिया के निम्न कारण हो सकते हैं

1.अनुवांशिक कारक( hereditary ) -- यह समस्या का शिकार वैसे व्यक्ति हो सकते हैं जिनके माता-पिता और भाई बहन कोई इस समस्या से ग्रस्त हो।

2. सामाजिक कारण -- आज हर युवा शारीरिक रूप से फिट दीखना चाहता है। यह चाहत भी इस समस्या को जन्म देता है।

3. मनोवैज्ञानिक कारण -- चिंता, अवसाद के कारण भी इस समस्या का शिकार बन जाते हैं।

बुलिमिया के लक्षण 

1.खाने की बहुत इच्छा होती है।
2. कभी वजन तेजी से बढ़ता है तो कभी तेजी से कम हो जाता है।
3. पीड़ित व्यक्ति डिप्रेशन में आ जाता है।
4. सामाजिक स्थिति में अपने को अलग महसूस करता है।
5. पाचनतंत्र पर उल्टा प्रभाव पड़ता है।
6. पीड़ित व्यक्ति का शारीरिक बनावट बिगड़ जाता है।

बुलिमिया से बचाव और उपचार


1. बच्चों को शरीर की सही जानकारी दें।
2. बच्चों को दबाव और लालच में अधिक भौजन नहीं कराना चाहिए।
3. चिकित्सक से सलाह लें।
4. लोग का मनोवैज्ञानिक कारण समझकर ही उपचार करें।
5. पीड़ित को एकांत में नहीं छोड़े।



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