अंतरिक्ष यात्रा( antariksh yatra ) class 8 पाठ एवं प्रश्न - उत्तर

 अंतरिक्ष यात्रा ( antariksh yatra ) class 8 पाठ                  एवं   प्रश्न - उत्तर

अंतरिक्ष यात्रा


भारत की अंतरिक्ष यात्रा, भारत की अंतरिक्ष में उपलब्धि Indian space research organisation, पहला अंतरिक्ष यात्री कौन थे । यूरी गगारिन कौन थे ? थुम्बा क्यों प्रसिद्ध है ? गुरुत्वाकर्षण बल किसे कहते हैं? वायुमंडल किसे कहते हैं ? हमें आवाज कैसे सुनाई देती है ? वायुमंडल के ऊपर क्या है?

आकाश में घूमते हुए तरह-तरह के ज्योति पिंड हमारा ध्यान आकर्षित कर लेते हैं। दिन में सूरज पृथ्वी को प्रकाशित करता है तो रात में शीतल चंद्रमा और असंख्य तारे आकाश को जगमगा देते हैं। यह आकाशीय पिंड पुरातन काल से मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा का केंद्र रहे हैं। इन्होंने कवियों और वैज्ञानिकों को बहुत आकृष्ट किया है। मनुष्य यह जानने को उत्सुक रहता है कि यह आकाशीय पिंड क्या है और यह चमकते कैसे हैं। क्या इन पर प्राणी है? क्या इन पर जीवन है? क्या इन पर जलवायु हैं? आइए आज इन्हीं बातों पर हम लोग विस्तार से चर्चा करते हैं और अंतरिक्ष के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं।


हमारी पृथ्वी के चारों ओर लगभग 600 किलोमीटर ऊपर तक वायुमंडल फैला हुआ है। यह वायुमंडल हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसी वायुमंडल के कारण हम सांस लेते हैं और जीवित रहते हैं। हमारी आवाजें एक दूसरे को सुनाई देती है। इस वायुमंडल के ऊपर अंतरिक्ष है ।अंतरिक्ष में ना तो हवा है और न प्रकाश।  चारों ओर अंधकार ही अंधकार है । केवल सूर्य, ग्रह और नक्षत्र चमकते दिखाई देते हैं और सबसे विचित्र बात यह है कि एक साथ सूर्य भी दिखाई देता है और नक्षत्र भी दिखाई देते हैं। यह अपेक्षाकृत बड़े दिखाई देते हैं और इनकी चमक भी अधिक होती है। यदि हम किसी तरह अंतरिक्ष में पहुंच जाते हैं तो हमारे शरीर का जो भाग धूप की ओर होता है वह भाग अत्यधिक गर्मी से जलने लगता है और जो भाग छाया की ओर होता है  वह ठंड से जमने लगता है क्योंकि गर्मी और सर्दी में संतुलन बनाने वाली हवा वहां नहीं है।

 हम जानते हैं संसार की सभी वस्तुएं एक दूसरे को अपनी ओर आकर्षित करती हैं यह गुण पृथ्वी में भी है । इसे गुरुत्वाकर्षण कहते हैं।  गुरुत्वाकर्षण के कारण ऊपर की ओर फेंकी गई वस्तुएं पृथ्वी पर आ जाती हैं। जैसे जैसे हम पृथ्वी से दूर होते जाते हैं पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल घटने लगता है। इसी गुरुत्वाकर्षण संबंधी  बातों का अध्ययन करके वैज्ञानिकों ने अंतरिक्ष यानों का निर्माण किया जिसके कारण मनुष्य पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से ऊपर जाने में सफलता प्राप्त किया है।

आजकल अंतरिक्ष यान प्रायः दो या दो से अधिक खंडों में बनाए जाते हैं और प्रत्येक खंड में अलग-अलग रॉकेट होते हैं। नीचे का रॉकेट बड़ा और शक्तिशाली होता है। वह संपूर्ण यान को कुछ किलोमीटर ऊंचाई तक ले जाता है और जब उसका अपना इंधन समाप्त हो जाता है तब वह यान से अलग हो जाता है , फिर दूसरे खंड के रॉकेट का काम शुरू होता है और यान को वह और अधिक ऊंचाई तक ले जाता है।


अंतरिक्ष युग का आरंभ 4 अक्टूबर 1957 से माना जाता है। उसी दिन रूस ने अपना सबसे पहला स्पूतनिक अंतरिक्ष में भेजा था जो पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से निकलकर 28,800 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से पृथ्वी का चक्कर लगाने लगा । फिर 12 अप्रैल 1961 को पहला मानव यूरी गागरिन अंतरिक्ष में पहुंच गया लेकिन उस समय तक भारत के पास कोई ना तो रॉकेट था ना उपग्रह और ना ही अंतरिक्ष केंद्र।  भारत में 1962 में अंतरिक्ष कार्यक्रम आरंभ हुआ।


भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र त्रिवेंद्रम के पास थुंबा में स्थापित किया गया इसके विकास में भारत को भरपूर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिला । 1968 में थुंबा केंद्र की सेवाएं संयुक्त राष्ट्र संघ को समर्पित कर दी गई । तभी से विश्व के अनेक देश इसका उपयोग करते आ रहे हैं। भारत में बने पहला रॉकेट का परीक्षण थुंबा केंद्र से 1969 ई में किया गया । भारत में अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम संचालन का श्रेय डॉ विक्रम साराभाई को है। उन्हें अपने यहां विकसित शक्तिशाली रॉकेटों को प्रक्षेपित करने के लिए उपयुक्त स्थान की तलाश थी । प्रोफेसर यु . आर. राव और प्रोफेसर चिटनीस के सहयोग से यह स्थान खोज लिया गया. यह स्थान था श्रीहरिकोटा द्वीप। यह आंध्र प्रदेश के सेल्लूर पेट नगर से कच्ची सड़क द्वारा जुड़ा हुआ है । इसका समुद्र तट लगभग 27 किलोमीटर लंबा तथा क्षेत्रफल 150 वर्ग किलोमीटर है । यह द्वीप आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिला में पड़ता है।  यहां पर बड़े रॉकेट को अंतरिक्ष में छोड़ने के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं जुटाई गई हैं।

1971 में डॉक्टर साराभाई की मृत्यु के बाद इस केंद्र का नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रख दिया गया।  1973 से यहां से जिस रॉकेट का परीक्षण किया गया उसका नाम रोहिणी - 560 है । भारत के वैज्ञानिकों ने अपने बलबूते पर ऐसा शक्तिशाली रॉकेट बना लिया जो उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर देने में समर्थ है । यह slv-3 पहली उड़ान में यह सफल ना हो सका और 18 जुलाई 1980 को श्रीहरिकोटा से दूसरी बार इसे छोड़ा गया।  यह उड़ान पूर्णतः सफल रहा।  8 मिनट के बाद ही रॉकेट ने रोहिणी उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया। भारत की यह एक महान उपलब्धि थी।

19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ की मदद से भारत में बना पहला वैज्ञानिक उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में छोड़ा गया। इसके बाद भास्कर वन और भास्कर टू नामक उपग्रह बनाए गए और इन्हें सोवियत रॉकेटों से ही अंतरिक्ष में छोड़ा गया। हमारे वैज्ञानिकों ने एप्पल नामक एक संचार उपग्रह भी बनाया इसे 36000 किलोमीटर ऊपर की भू कक्षा में स्थापित किया गया । इसके पश्चात भी अंतरिक्ष में अनेक परीक्षण किए गए हैं। भारत के श्री राकेश शर्मा रूसी वैज्ञानिकों के साथ अंतरिक्ष भ्रमण करने वाले प्रथम भारतीय हैं। श्रीहरिकोटा अब भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान का प्रमुख केंद्र बन गया है।

Word meaning शब्दार्थ


विस्तृत -विशाल, आकर्षित - खिंचा हुआ, विविध - तरह तरह के, आलोकित - प्रकाशित, ज्योतिषियों - प्रकाशपिंड, आकृष्ट - खिंचना, जिज्ञासा - जानने की इच्छा, अभाव - कमी, सूक्ष्म - बारीक, छोटा। सक्रिय - काम में लगे रहना।

शक्ति शाली - ताकतवर, पूर्णतः - पूरी तरह, प्रक्षेपित - स्थापित, बुलंद - ऊंचाई पर, अगणित - जो गिने न जा सके, प्रयास - कोशिश, अनंत काल - कभी समाप्त न होने वाला समय। कौतूहल - जानने की इच्छा। गुरुत्वाकर्षण - पृथ्वी की आकर्षण शक्ति।

अंतरिक्ष यात्रा पाठ का प्रश्न उत्तर questions answers


1. आकाश की कौन सी चीजें हमें आकर्षित करती हैं ?

उत्तर -- आकाश में घूमते हुए विविध प्रकार के ज्योति पिंड हमारा ध्यान आकर्षित कर लेते हैं।

2. आकाशीय पिंड वैज्ञानिकों और कवियों को समान रूप से कैसे आकृष्ट करते रहे है?

उत्तर --आकाश में दिन में सूरज संसार को आलोकित करता है तो रात में चंद्रमा और असंख्य तारे आकाश में जगमगाते हैं। यह आकाशीय पिंड अनंत काल से मनुष्य के लिए कौतूहल और जिज्ञासा के केंद्र रहे हैं । इन्होंने वैज्ञानिकों और कवियों को समान रूप से आकृष्ट किया है क्योंकि वैज्ञानिकों और कवियों के मन में कौतूहल और जिज्ञासा अधिक होती है।


3. दूसरे नक्षत्रों  / ग्रहों की यात्रा के लिए मनुष्य क्यों प्रयत्नशील है  ?


उत्तर --  मनुष्य एक जिज्ञासु प्राणी है। मनुष्य हमेशा यह जानने को उत्सुक रहता है कि यह आकाशीय पिंड क्या है? यह क्यों चमकते हैं ? इन की जलवायु कैसी है ?

4. वायुमंडल क्या है ? यह मनुष्य के लिए किस प्रकार उपयोगी है ?

उत्तर - उत्तर - पृथ्वी के चारों ओर लगभग 600 किलोमीटर तक फैले हवा के घेरे को वायुमंडल कहते हैं। इसके कारण ही हम सांस ले पाते हैं और किसी की बातों को सुन पाते हैं ।

5.गुरूत्वाकर्षण किसे कहते हैं ? इससे क्या प्रभाव दिखाई देता है ?

उत्तर - संसार की सभी वस्तुएं एक दूसरे को अपनी ओर खींचती है, यह गुण पृथ्वी में भी है। इसे ही गुरूत्वाकर्षण कहते हैं। गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सभी वस्तुएं नीचे आ जाती हैं। 

6. अंतरिक्ष यान किस प्रकार बनाएं जाते हैं और किस प्रकार काम करते हैं ?

उत्तर - अंतरिक्ष यान में दो या दो से अधिक खंड होते हैं। प्रत्येक खंड में अलग-अलग रॉकेट होते हैं। नीचे का राकेट बड़ा होता है। यह शक्ति शाली भी होता है। वह संपूर्ण यान को कुछ किलोमीटर ऊपर तक ले जाता है। जब इसका अपना इंधन समाप्त हो जाता है तो वह अपने आप यान से अलग हो जाता है और दूसरा खंड का राकेट सक्रिय हो जाता है। और यान को अधिक ऊंचाई तक पहुंचा देता है।

7. भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम कब शुरू हुआ ? इसमें विक्रम साराभाई का क्या योगदान है ?

उत्तर - भारत में 1962 ई में अंतरिक्ष कार्यक्रम आरंभ हुआ। भारत में अंतरिक्ष कार्यक्रम संचालन का श्रेय विक्रम साराभाई को है।

8. थुंबा केंद्र और श्री हरिकोटा के बारे में बताओं।

उत्तर -- भारत का पहला अंतरिक्ष केंद्र त्रिवेंद्रम के पास थुंबा में स्थापित किया गया। इसके विकास में भारत को भरपूर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग मिला। भारत में बने पहला रॉकेट का परीक्षण थुंबा केंद्र से किया गया। 
श्रीहरिकोटा आंध्र प्रदेश में एक द्वीप है। यहां से भारतीय राकेट को प्रक्षेपित किया जाता है। इस केंद्र का नाम विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र रख दिया गया है।

9. "रोहिणी " को भारत की एक महान उपलब्धि क्यों बताया गया ?

उत्तर - रोहिणी भारत के वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित एक ऐसा शक्तिशाली रॉकेट है जो उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा से बाहर ले जाने में सक्षम है। हमारे वैज्ञानिकों ने अपने बलबूते पर इसका निर्माण किया है। भारत के लिए यह महान उपलब्धि है।

10. हमारे वैज्ञानिकों ने कौन कौन से उपग्रह बनाए हैं ?

उत्तर - हमारे वैज्ञानिकों ने निम्नलिखित उपग्रह बनाए हैं --
एस एल वी, आर्यभट्ट, भास्कर 1, भास्कर 2, एप्पल, आदि।

नीचे दिए गए शब्दों को ऐसे वाक्य में प्रयोग करें जिससे अर्थ समझ में आ जाए

आकाश , अंतरिक्ष

वह आकाश की ओर देख रहा था।
गेंद अंतरिक्ष में अटक गई।

कुशल, सकुशल

सभी कुशल हैं
मैं सकुशल हूं।

इच्छुक, जिज्ञासा

मैं आपसे मिलने को इच्छुक हूं।
वह कैसी है, यह जानने की जिज्ञासा हमेशा मेरे मन में आती है।

प्रयोग, उपयोग

मनुष्य को हमेशा नये नये प्रयोग करते रहना चाहिए।
पुरानी वस्तु को भी उपयोग में रखो।

आलोकित शब्द में इत प्रत्यय लगा है। आलोक + इत । इसी तरह इत प्रत्यय लगा कर नये शब्द बनाओ।

आयात +इत --आयातित
प्रकाश + इत -- प्रकाशित
विकास + इत -- विकसित


नीचे दिए शब्दों में आए प्रत्यय अलग करें

शब्द और प्रत्यय

आकाशीय -- ईय
आकर्षित -- इत
वैज्ञानिक -- इक
गरमी - ई
विकसित - इत


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डॉ उमेश कुमार सिंह हिन्दी में पी-एच.डी हैं और आजकल धनबाद , झारखण्ड में रहकर विभिन्न कक्षाओं के छात्र छात्राओं को मार्गदर्शन करते हैं। You tube channel educational dr Umesh 277, face book, Instagram, khabri app पर भी follow कर मार्गदर्शन ले सकते हैं।



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