घुमक्कड़ी पाठ लेखक राहुल सांकृत्यायन कक्षा आठवीं, ghumkkdi by Rahul Sankrityayan class 8


घुमक्कड़ी


घुमक्कड़ी पाठ लेखक राहुल सांकृत्यायन कक्षा आठवीं, ghumkkdi by Rahul Sankrityayan class 8


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घुमक्कड़ी पाठ में लेखक राहुल सांकृत्यायन लिखते हैं कि मेरी समझ में दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु घुमक्कड़ी है। घुमक्कड़ से बढ़कर व्यक्ति और समाज का कोई हितकारी नहीं हो सकता । दुनिया दुख में हो चाहे सुख में उसे सही समय पर सहारा मिलता है तो घुमक्कड़ के द्वारा । प्राकृतिक आदिम मनुष्य बहुत बड़ा घुमक्कड़ था। खेती बागवानी तथा घर द्वार से मुक्त होकर वह पक्षियों की भांति पृथ्वी पर सदा विचरण करता था जाड़े में यदि यहां है तो गर्मियों में कहीं और दूर।

आधुनिक काल में भी घुमक्कडों के काम की बात कहने की आवश्यकता है । आधुनिक काल में भी लोग घुमक्कडों की कृतियों को चुरा कर अपने नाम से प्रकाशित किया है जिससे दुनिया जानने लगी की वस्तुतः तेली के कोल्हू के बैल ही दुनिया में सब कुछ करते हैं। आधुनिक विज्ञान में चार्ल्स डार्विन का स्थान बहुत ऊंचा है क्योंकि उन्होंने प्राणियों की उत्पत्ति और मानव वंश के विकास पर ही खोज नहीं किया बल्कि कहना यह चाहिए कि वैज्ञानिकों को डार्विन के प्रकाश में दिशा बदलनी पड़ी, लेकिन क्या डार्विन अपने महान अविष्कार को पूरा कर सकता था यदि वह घुमक्कड़ नहीं होता तो?


लेखक राहुल जी कहते हैं कि पुस्तकें भी कुछ कुछ घुमक्कड़ी  का रस प्रदान करतीं हैं लेकिन इससे संपूर्ण आनंद नहीं मिल सकता है। जिस तरह चित्र देखकर कोई हिमालय के हिम शिखरों का अथवा देवदार वृक्ष के रूप गंध का मजा नहीं ले सकता। उसी तरह सिर्फ पुस्तकें पढ़कर देशाटन का आनंद नहीं मिल सकता है।

घुमक्कड़ दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विभूति है, उसी ने इस दुनिया को बनाया है, सजाया है। लेखक का मानना है कि यदि आदि मानव किसी एक ही आरामदायक जगह पर पड़े रहते तो वे दुनिया को आगे नहीं ले जा पाते। लेखक राहुल सांकृत्यायन कहते हैं घुमक्कडों ने कई बार खून की नदियां बहाई है लेकिन यह उचित नहीं है। लेकिन यदि घुमक्कड़ नहीं आते तो सुस्त मानव जाति पशु से भी बदतर हो जाती। मंगोल घुमक्कड़ों को दुनिया अच्छी तरह जानती है। बंदूक, तोप, छापाखाना, दिग्दर्शन चश्मा यही सब चीजों ने पश्चिम में विज्ञान का युग आरंभ किया और ये सब चीजें वहां लाने वाले मंगोल ही थे। और मंगोल घुमक्कड़ थे।

उदाहरण के रूप में कोलंबस और वास्कोडिगामा का नाम लिया जा सकता है। ये दोनों घुमक्कड़ ही थे और इसी घुमक्कड़ी प्रवृत्ति के कारण पश्चिम के देशों का आगे बढ़ने का रास्ता खोला। आस्ट्रेलिया दो शताब्दियों पहले तक खाली पड़ा था लेकिन चीन और भारत के लोग कभी यह नहीं सोचे कि चलकर वहां झंडा गाड़ दिया जाय। इन्हें अपनी संस्कृति पर ही घमंड रहा। आज एशियाई देशों के लिए आस्ट्रेलिया का द्वार बंद है लेकिन दो सदी पूर्व यह हमारे पहुंच की चीज थी। जानते हैं, भारत और चीन आस्ट्रेलिया की अपार संपत्ति से क्यों वंचित रह गए ? क्योंकि ये घुमक्कड़ धर्म नहीं जानते थे।

दुनिया के अधिकांश धर्मनायक घुमक्कड़ ही थे। महात्मा बुद्ध, महावीर, नानक सभी । महात्मा बुद्ध वर्ष में तीन मास छोड़ कर एक जगह रहना पाप समझते थे। वे अपने शिष्यों को भी घुमक्कड़ बनने की प्रेरणा देते थे।

लेखक के अनुसार भगवान महावीर पहले दर्जे के घुमक्कड़ थे। वे आजीवन घूमते रहे। महात्मा बुद्ध और भगवान महावीर को छोड़कर कोई महात्मा ऐसा घुमक्कड़ नहीं है। बिना घुमक्कड़ी के कोई महात्मा बनने का दावा करे तो उसे कोल्हू का बैल ही समझना चाहिए।

लेखक राहुल सांकृत्यायन कहते हैं, घुमक्कड़ी के लिए चिंता हीन होना आवश्यक है और चिंता हीन होने के लिए घुमक्कड़ होना आवश्यक है। चिंता हीन होने से बढ़कर कोई सुख नहीं। घुमक्कड़ी में कभी कभी कष्ट भी होते हैं, लेकिन यह कष्ट घुमक्कड़ी का मजा बढ़ा देता है। जैसे भोजन में मिर्च। यदि मिर्च में तीखापन नहीं हो तो इसे कौन हाथ लगाएगा। 

व्यक्ति के लिए घुमक्कड़ इसे बढ़कर कोई नकद धर्म नहीं है जाति का भविष्य घुमक्कड़ पर निर्भर करता है इसलिए लेखक कहते हैं कि हर एक तरुण तरुण इको घुमक्कड़ व्रत ग्रहण करना चाहिए और इसके विरुद्ध सारे तर्क और परमाणु को बेकार समझना चाहिए यदि माता-पिता भी घूमने से मना करते हैं तो उन्हें प्रहलाद के माता पिता की तरह समझना चाहिए

संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि प्रत्येक व्यक्ति को घुमक्कड़ धर्म की दीक्षा लेनी चाहिए साहसी बनना चाहिए और इसके विरुद्ध किसी की बात नहीं सुननी चाहिए मनुष्य जन्म एक ही बार होता है जवानी केवल एक ही बार आती है इसलिए कमर कस कर घुमक्कड़ ई के लिए निकल पड़ना चाहिए संसार तुम्हारे स्वागत के लिए सामने खड़ा है।

सैर कर दुनिया की गाफिल, जिंदगानी फिर कहां।
जिंदगी गर कुछ रही तो नौजवानी फिर कहां ?



राहुल सांकृत्यायन का जीवन परिचय

जन्म तिथि- 1893 ई.

मृत्यु तिथि – 1963 ई.

जन्म स्थान – गांव पंदाहा, आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।


राहुल सांकृत्यायन जी का वास्तविक नाम केदार पांडेय था। इनकी शिक्षा काशी, आगरा और लाहौर में हुई थी। 1930 ई में श्रीलंका जाकर इन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया, तब से से इनका नाम राहुल सांकृत्यायन हो गया। ये घुमक्कड़ी स्वभाव के व्यक्ति थे। इन्हें महापंडित कहा जाता है क्योंकि ये पालि, प्राकृत, अपभ्रंश, तिब्बती, चीनी, जापानी, रूसी आदि अनेक भाषाओं के ज्ञाता थे।

यात्रा वृत्तांत साहित्य में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। इन्होंने घुमक्कड़ी का शास्त्र ' घुमक्कड़ शास्त्र ' लिखा। इन्होंने अनेक स्थानों की यात्रा की और वहां के सभ्यता संस्कृति, भाषा आदि की जानकारी प्राप्त कर लोगों तक पहुंचाने का महत्वपूर्ण योगदान दिया। इन्होंने विभिन्न स्थानों के भौगोलिक वर्णन प्रस्तुत किया तथा वहां के रहन सहन का भी यथार्थ वर्णन किया है।

प्रमुख रचनाएं -  मेरी जीवन यात्रा ( छः भाग ) , दर्शन दिग्दर्शन, बाइसवीं सदी,  वोल्गा से गंगा , भागो नहीं दुनिया को बदलो, दिमागी गुलामी, घुमक्कड़ शास्त्र। आदि।

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घुमक्कड़ी पाठ का शब्दार्थ

सर्वश्रेष्ठ - सबसे बढ़िया। मुक्त - स्वतंत्र । आदिम - प्रारंभ काल का। कृति - रचना। अद्वितीय - जैसी दूसरी न हो। उत्पत्ति - उत्पन्न होना। आलोक - प्रकाश। आविष्कार - खोज। हिम मुकुटित - बर्फ से ढकी हुई। विभूति - ऐश्वर्य, संपत्ति। निर्द्वंद्व - बिना द्वंद्व के। विमुक्त - अलग। दूषण - दोष। दंभी - घमंडी। करतल भिक्षा - हाथ में भिक्षा। मुल्क - देश। जिज्ञासु - जो जानने को इच्छुक हो। दिनांक - दिन का अंधा। भूषण - शोभकारक। हितकारी - कल्याण कारी। प्रतिष्ठापक - प्रतिष्ठित करने वाले। तरूतल वास - वृक्ष के नीचे निवास। अन्योन्याश्रय - एक दूसरे पर आश्रय। धर्माचार्य - धर्म का आचार्य। मनस्वी - उच्च विचार वाला। तेरी के कोल्हू के बैल - एक ही जगह चक्कर लगाते रहना। आंखों में धूल झोंकना - धोखा देना।

घुमक्कड़ी पाठ का प्रश्न उत्तर questions answers of ghumakkari chapter


1. राहुल जी ने घुमक्कड़ी को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु क्यों माना है ?

उत्तर - घुमक्कड़ी से बढ़कर दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वस्तु कोई और नहीं है। ऐसा राहुल सांकृत्यायन ने इसलिए कहा है कि घुमक्कड़ से बढ़कर समाज और व्यक्ति का कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है। दुनिया सुख में हो या दुख में, सही समय पर उन्हें घुमक्कड़ द्वारा ही सहारा मिलता है।

2. " आज की दुनिया बनाने में घुमक्कडों का बहुत बड़ा योगदान है ।" इसे लेखक ने किस प्रकार सिद्ध किया है?


उत्तर -आज की दुनिया बनाने में घुमक्कडों का ही बहुत बड़ा योगदान है। यदि आदि मानव किसी नदी झील के किनारे पर स्थित रहते और जीवन बिता देते तो यह दुनिया आगे नहीं बढ़ पाती। इतना ही नहीं, यदि लोग इधर-उधर नहीं जाते आते तो मानव जाति सुस्त और आलसी बन जाती। ज्ञान और तकनीक का आदान-प्रदान नहीं होता।




3. क्या पुस्तकें घुमक्कड़ी का आनन्द दे सकती हैं ? अपने पक्ष में उत्तर दीजिए।

उत्तर - घुमक्कड़ी का सही आनंद पुस्तकें पढ़ने से नहीं मिल सकता है। यह बात एक दम सही है। गुलाब के चित्र देखकर गुलाब का सुगंध नहीं पाया जा सकता है। हिमालय का चित्र देखकर हिमाच्छादित बर्फ का आनन्द नहीं ले सकते हैं।

4. भारत और चीन , आस्ट्रेलिया की अपार संपत्ति से क्यों वंचित रह गए?

उत्तर - ख. वे घुमक्कड़ धर्म से मुक्त थे।

5. लेखक ने किसको घुमक्कड़ राज बताया है और क्यों ?

उत्तर - लेखक ने महात्मा बुद्ध को घुमक्कड़ राज बताया है । महात्मा महावीर भी घुमक्कड़ राज थे। वे हमेशा घूमते रहते थे और अपने शिष्यों को भी घुमक्कड़ बनने की शिक्षा देते थे। 

6. भगवान महावीर को किस आधार पर प्रथम श्रेणी का घुमक्कड़ कहा गया है ?

उत्तर - महावीर प्रथम श्रेणी के घुमक्कड़ थे। उन्होंने घुमक्कड़ी धर्म के पालन के मार्ग में आने वाले सभी बाधाओं को मिटा दिया था। घर द्वार, वस्त्र, नारी सबको त्याग दिया था। वे पेड़ों के नीचे निवास करते थे। वे आजीवन घूमते रहे। जन्म वैशाली नगर में लिया और मरे पावापुरी में।

7. लेखक ने किस प्रकार के महापुरुषों से बचने को कहा है ?

उत्तर - वैसे महापुरुषों से बचने की सलाह लेखक थे रहे हैं जो कोल्हू के बैल की तरह एक ही स्थान पर जमें रहते हैं। न खुद घूमते हैं न दूसरों को घूमने देते हैं। 

8. घुमक्कड़ी के लिए व्यक्ति को किस प्रकार का होना चाहिए और क्यों ?

उत्तर -  घुमक्कड़ी के लिए चिंता हीन होना आवश्यक है। जिसे घर परिवार , सुख दुख की चिंता नहीं होगी वहीं घुमक्कड़ी का सही आनंद ले सकते हैं।

9. घुमक्कड़ी को नकद धर्म क्यों कहा गया है ?

उत्तर - घुमक्कड़ी से बढ़कर कोई नकद धर्म नहीं है क्योंकि किसी जाति का भविष्य घुमक्कड़ी पर ही निर्भर करता है। जिस जाति के लोग जितना घुमक्कड़ होंगे उस जाति का विकास उतना ही अधिक होगा।

10. घुमक्कड़ी की दीक्षा किस प्रकार के व्यक्ति को लेनी चाहिए ?

उत्तर - घुमक्कड़ी की दीक्षा साहसी लोगों को लेनी चाहिए जिनमें सुख दुख सहने का साहस हो।

कोष्ठक में दिए गए शब्दों का सही रूप लिखें।

1 ----- मनुष्य परम घुमक्कड़ था । प्रकृति
2. लोगों ने दूसरे की कृतियों को अपने नाम से ---- किया। प्रकाश
3. हिमालय पर्वत की शिखरों की ----- निहारो। सुन्दर
4. ----------- व्यक्ति ही घुमक्कड़ी कर सकते हैं । साहस
5. घुमक्कड़ी के लिए -------- होना आवश्यक है। चिंता

उत्तर -- 1 प्राकृतिक 2. प्रकाशित 3 सुंदरता 4. साहसी 5. चिंता हीन

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Bal ki khal utarna, बाल की खाल उतारना मुहावरा


इक प्रत्यय लगा कर नये शब्द बनाओ

भूगोल + इक = भौगोलिक
नीति + इक = नैतिक
लोक +इक . लौकिक
इतिहास + इक =ऐतिहासिक
धर्म + इक= धार्मिक
स्वर्ग +इक = स्वर्गिक


निम्नलिखित मुहावरे का अर्थ लिखें और वाक्य में प्रयोग करें

क.कोल्हू का बैल होना  ख. कूप मंडूक होना  ग. फेर से बचना  घ.अक्ल न आना ङ आंखों में धूल झोंकना च. अवसर से हाथ न धोना।

उत्तर - कोल्हू का बैल होना -- एक ही जगह काम करना -- रमेश वर्षों से एक ही जगह पर कोल्हू का बैल बना हुआ है। कहीं जाता ही नही।

कूप मंडूक होना -- सीमित ज्ञान होना।  आजकल के अधिकांश धर्मनायक कूप मंडूक होते हैं, इनकी बातों में मत आना।

फेर से बचना -- झंझट से बचना -- ढोंगी बाबाओं के फेर से बचना चाहिए।

अक्ल न आना -- बुद्धि का न होना, मूर्ख -- इस लड़के को कभी अक्ल न आएगी। कुछ सीखता ही नहीं।

आंखों में धूल झोंकना -- धोखा देना -- दुकानदार दिन दहाड़े लोगों की आंखों में धूल झोंक रहा है।

अवसर से हाथ न धोना  - अवसर का लाभ न उठाना -- कूप मंडूक जैसे लोग अवसर से हाथ नहीं धो पाते।


संधि विच्छेद करे

दिवांध  - दिवा  + अंध, धर्माचार्य -- धर्म + आचार्य, दिगम्बर -- दिक् + अम्बर, हिमालय -- हिम + आलय।

भाव वाचक संज्ञा बनाओ

सहृदय - सहृदयता, दयालु - दया, कोमल -- कोमलता, निर्भर -- निर्भरता।
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आशा है आपको राहुल सांकृत्यायन द्वारा लिखित घुमक्कड़ी पाठ के विषय में पूरी जानकारी मिल गई है। अपना विचार और सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में जरूर भेजें। धन्यवाद।

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