काव्य में रीति सिद्धांत, riti sidhant
काव्य में रीति सिद्धांत, riti sidhant रीति सिद्धांत
काव्य में रीति सिद्धांत पर विचार कीजिए। रीति का शाब्दिक अर्थ। काव्य में रीति के प्रकार, काव्य में रीति की अवधारणा स्पष्ट कीजिए।
रीति सिद्धांत के प्रतिपादक आचार्य वामन
रीति का अर्थ, आचार्य वामन, गुण के प्रकार, रीति की आत्मा क्या है, रूद्रट ने रीति का संबंध किससे माना है। रीति की परिभाषा दीजिए। वामन ने कितने प्रकार के गुण माने हैं। वामन के परवर्ती आचार्य कौन है। रीति काव्य की आत्मा है, समझाइए।
रीति शब्द का अर्थ है -- गति , चाल, मार्ग, पद्धति या प्रणाली.। रीति सिद्धांत के जनक आचार्य वामन माने जाते हैं। उन्होंने रीति को काव्य की आत्मा घोषित किया है। उन्होंने "विशिष्ट पद रचना रीति " कहकर यह स्पष्ट किया है कि विशेष प्रकार की शब्द रचना को रीति कहते हैं। शब्द रचना में यह विशेषता गुणों से उत्पन्न होती है । 'विशेषोगुणात्मा ' -- अत: वामन के अनुसार गुण रीति की आत्मा है।
रीति के तीन प्रकार हैं
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