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बजरंग बाण, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित, Bajrang Baan, bajrang ban ki mahima,

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चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य     बजरंग बाण, Bajrang Baan गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित  संकटमोचन हनुमान की स्तुति, शनि ग्रह निवारण का मंत्र, बजरंग बाण के पाठ से सभी संकट दूर होते हैं। Sankatmochan Hanuman prayer, बजरंग बाण के चमत्कार, Bajrang baan in hindi, Bajrang baan lyrics, जय बजरंग बली  दोहा - निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।  तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।                      चौपाई  -   जय हनुमंत संत हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।  जन के काज विलम्ब न कीजे। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।  जैसे कूदि सिंधु महि पारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।।  आगे जाइ लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।  जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखी परम पद लीन्हा।।  बाग उजारि सिंधु महं बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।  अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।  लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुर पुर मंह भई।। अब विलम्ब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतर्यामी।।  जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।।  जय गिरिधर जय जय सुख सागर। सुख - समूह समरथ भटनागर।।  ऊं हनु - हनु-

चंद्रगुप्त द्वितीय , चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, गुप्त साम्राज्य, शासन, सैनिक अभियान, चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन व्यवस्था, धर्म, सिक्के, Chandragupta dwitiya,

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   चंद्रगुप्त द्वितीय , चंद्रगुप्त विक्रमादित्य, गुप्त साम्राज्य, शासन, सैनिक अभियान, चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन व्यवस्था, धर्म, सिक्के, Chandragupta dwitiya, चंद्रगुप्त द्वितीय का जीवन परिचय, चंद्रगुप्त द्वितीय का जन्म कब हुआ, चंद्रगुप्त द्वितीय के पिता कौन थे, चंद्रगुप्त द्वितीय की राजधानी कहां थी , चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल, चंद्रगुप्त द्वितीय के सिक्के, चंद्रगुप्त द्वितीय की पत्नी का क्या नाम था, चंद्रगुप्त द्वितीय की पुत्री कौन थी, चंद्रगुप्त द्वितीय की उपाधि, चंद्रगुप्त द्वितीय के नौ रत्नों के नाम बताएं, चंद्रगुप्त द्वितीय ने कौन सा संवत् चलाया, चंद्रगुप्त द्वितीय ने विक्रमादित्य की उपाधि कब धारण की ? चंद्रगुप्त द्वितीय के दरबारी कवि कौन थे ? चंद्रगुप्त द्वितीय भारतीय इतिहास में क्यों अमर है ?   भारत के इतिहास में गुप्त काल को स्वर्ण काल माना जाता है। इस काल खंड में शासन व्यवस्था, कला, सभ्यता संस्कृति, साहित्य आदि का भरपूर विकास हुआ। समुद्रगुप्त का पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय बड़ा प्रतापी राजा हुए। इनकी राजधानी उज्जयिनी थी। चंद्रगुप्त द्वितीय का शासन काल 375 से 414 ई माना जाता

तानसेन और राग दीपक की कहानी, अकबर दरबार के नवरत्नों में एक महत्वपूर्ण रत्न तानसेन, तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी, तानसेन की मौत कैसे हुई, राग दीपक की ज्वाला से तानसेन को किसने बचाया। Tansen aur rag Deepak,

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    तानसेन और राग दीपक की कहानी, अकबर दरबार के नवरत्नों में एक महत्वपूर्ण रत्न तानसेन, तानसेन के गुरु स्वामी हरिदास जी, तानसेन की मौत कैसे हुई, राग दीपक की ज्वाला से तानसेन को किसने बचाया।  Tansen ke Guru Kaun the, Tansen ke Guru Swami haridas the. Tansen ke bachpan ka nam, Tansen kish Raja ke darbari the.tansen ka asali nam kya tha.  Tansen aur rag Deepak,  तानसेन का नाम कौन नहीं जानता ? तानसेन अकबर के दरबार के  नवरत्नों में एक महान रत्न थे। तानसेन स्वामी हरिदास के शिष्य थे। कहते हैं , तानसेन पांच साल की अवस्था तक गूंगे थे, स्वामी हरिदास जी ने उन्हें गीत संगीत की शिक्षा दी। संगीत की दुनिया में तानसेन ने इतना नाम कमाया कि महान मुगल बादशाह अकबर ने उन्हें अपने दरबार में महत्वपूर्ण रत्न बना दिया। बादशाह अकबर उन्हें बहुत मानते थे। इस बात से अन्य दरबारी तानसेन से जलने लगे। उन्होंने कुछ ऐसा षड्यंत्र रचा कि तानसेन खुद राग दीपक गाकर जल मरे। लेकिन तानसेन ने बुद्धि से इस षड्यंत्र को विफल कर तो दिया, परन्तु ---! पूरी कहानी आगे पढ़े। तानसेन बादशाह अकबर के बहुत प्रिय दरबारी बन गये थे। इनका असली नाम

Shershah Suri , शेरशाह सूरी, जीवनी, संघर्ष,शासन व्यवस्था

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   शेरशाह सूरी (1540 - 1545 ) जीवनी, शासन व्यवस्था, युद्ध, जीवन संघर्ष,  शेरशाह का जन्म, शेरशाह के बचपन का नाम, शेरशाह के माता-पिता, फरीद खां का नाम शेर खां क्यों पड़ा। शेरशाह का विवाह, शेरशाह का शासन काल, शेरशाह की मृत्यु, शेरशाह सूरी द्वारा किए गए कार्य। ग्रैंड टैंक रोड । Shershah Suri, shershah Suri biography, shershah Suri ke bachpan ka nam kya tha, shershah Suri ki mirtyu, shershah aur humayun, g.t.road शेरशाह सूरी का असली नाम, जन्म दिन, जन्म स्थान शेरशाह सूरी का जन्म 1472 ई में बजवाड़ा ( होशियारपुर ) में हुआ था। इनका प्रारम्भिक नाम फरीद खां था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इनका जन्म हिसार फिरोजा में 1486 में हुआ था। फरीद के पिता हसन खां जौनपुर के छोटे जमींदार थे। सौतेली मां और पिता से फरीद को सच्चा प्यार नहीं मिल पाया था। बड़ा होने पर फरीद खां को अपने पिता से सासाराम, खवासपुर का जागीर मिला था, कालान्तर में इन जागीरों के लिए फरीद खां और उसके सौतेले भाई सुलेमान के बीच विवाद होता रहता था। फरीद का नाम शेर खां कैसे पड़ा फरीद खां अपने अधिकारों की रक्षा और शक्ति विस्तार के लिए बिहार क

वर्णों का उच्चारण स्थान, varno ka uchchatan athan, अक्षर , hindi grammar

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   वर्णों का उच्चारण स्थान, varno ka uchchatan athan, अक्षर , hindi grammar मानव मुख से ध्वनियां मुख के विभिन्न भागों से उच्चरित और अनुशासित होती हैं। विभिन्न वर्णों के उच्चारण स्थान अलग अलग होते हैं। यहां वर्णों के उच्चारण स्थान की जानकारी प्राप्त करें। कंठ -- अ आ क ख ग घ ङ ह और विसर्ग। तालु -- इ ई च छ ज झ ञ य और श। मूर्धा -- ऋ ट ठ ड ढ ण र और ष। दंत -- त थ द ध न ल और स। ओठ -- उ ऊ प फ ब भ म। कंठ - तालु -- ए ऐ। कंठ - ओष्ठ -- ओ औ। दंतोष्ठय -- व। अक्षर किसे कहते हैं ? वर्णों की वह लघुतम इकाई जिसका उच्चारण सांस के एक झटके से हो जाए उसे अक्षर कहते हैं। जैसे - आ, जी, जा, ले, मां, उठ आदि। सभी स्वर वर्णों को अक्षर कहते हैं क्योंकि उनका उच्चारण सांस के एक झटके में ही हो जाता है। लेकिन व्यंजन वर्णों के साथ जब तक कोई स्वर नहीं लगता है तब तक वह अक्षर नहीं बनता है। जैसे - खा, क्या। हिन्दी में एकाक्षरी से लेकर अनेकाक्षरी तक शब्द रचना संभव है, ‌जैसे -- एकाक्षरी -- खा, आ, ओ, जा, गा, हां। दो अक्षरी शब्द -- आओ, कवि, खाया, शाखा, पूजा। तीन अक्षरी शब्द -- आइए, जाइए, कविता, बेचारा, पाइए। चार अक्षरी शब्द --

संगम, बलाघात, अनुतान Sangam, Balaghat,Anutan, hindi grammar

   संगम, बलाघात, अनुतान Sangam, Balaghat,Anutan, hindi grammar संगम  -- किसी शब्द के उच्चारण करते समय दो ध्वनियों के बीच किए जाने वाले हल्के विराम को संगम कहते हैं। दो भिन्न स्थान पर विराम  ( संगम) से भिन्न अर्थ सामने आते हैं। जैसे - सिरका - एक प्रकार का तरल पदार्थ। सिर + का -- सिर से संबंधित। कम बल -- कम बल वाला । कंबल -- जाड़े में ओढ़ने वाला। मनका -- माला का मोती। मन + का -- मन से संबंधित। बलाघात  -- ( स्वराघात ) -- शब्दों के उच्चारण करते समय अक्षर विशेष पर जो विशेष बल पड़ता है उसे बलाघात कहते हैं। इसी प्रकार कभी कभी एक वाक्य के शब्द विशेष पर भी बल पड़ता है ‌। यही प्रक्रिया बलाघात है। अक्षर के स्वर पर बल पड़ने के कारण इसे स्वराघात कहते हैं। बलाघात दो प्रकार से होता है -- 1. शब्द बलाघात 2. वाक्य बलाघात 1. शब्द बलाघात  -- शब्द बलाघात से अर्थ में परिवर्तन नहीं होता है। इस प्रकार के बलाघात में शब्द के किसी एक अक्षर पर विशेष बल पड़ता है। जैसे इंद्र शब्द में संयुक्त अक्षर से पहले वाले अक्षर ई पर जोर दिया गया है। इसी प्रकार कमल शब्द के उच्चारण में म पर अधिक बल पड़ता है । धोबी का कुत्ता न घर