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नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जल में कुंभ कुंभ में जल है, कबीर के विचार, आत्मा परमात्मा के प्रति, jal me kumbh hai

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  जल में कुंभ कुंभ में जल है, बाहर भीतर पानी।  फूटे कुंभ जल जलहि समाना यह तथ्य कथ्यो ज्ञानी।। जल - पानी। कुंभ - घड़ा। समाना - समाहित होना। तथ्य - गूढ़ बात। कथ्यो - कहते हैं। ज्ञानी - विद्वान। कबीर दास जी एकेश्वरवादी कवि हैं। वे कहते हैं - जिस प्रकार कोई  मिट्टी का घड़ा नदी के सतह पर तैर रहा हो, और उसके अंदर जल हो। और नदी में भी जल है जिस पर पानी से भरा घड़ा तैर रहा है। दोनों ओर जल है। तो यहां दोनों तरफ के जल को मिलने से, एक होने से कौन रोक रहा है। वही मिट्टी की पतली दीवार। ज्योंहि यह पतली दीवार टूट जाती है, दोनों जल मिलकर एक हो जाते हैं।  मित्रों ! इस प्रकार  शरीर और आत्मा के साथ भी यही होता है। जब तक शरीर रूपी घट में आत्मा कैद है, तब तक वह विभिन्न नामों से जाना पहचाना जाता है । लेकिन जैसे ही आत्मा इस शरीर रूपी घट से निकल जाता है, वह परमात्मा में विलीन हो जाता है। फिर उसकी अलग पहचान नहीं रह जाती। आत्मा परमात्मा में पूर्णतया विलीन हो जाता है। तुलसी के राम   पढ़ने के लिए क्लिक करें  अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन

हेरत हेरत हे सखि रहा कबीर हेराय, Herat Herat he sakhi Raha Kabir

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  हेरत हेरत से सखि रहा कबीर हेराय। बूंद समानि समुद में, सो कत हेरी जाय ।। मित्रों ! इस दोहे के अर्थ और भाव को समझने से पहले हम इस दोहे में प्रयुक्त शब्दों के अर्थ को अच्छी तरह समझ लें। हेरत - खोज, खोजना। ढूंढना। सखि -- सहेली, यहां जीवात्मा से आशय है। कबीर -- कवि कबीर दास। हेराय -- खो जाना, गुम हो जाना। बूंद -- पानी की बूंद, यहां जीवात्मा। समुद -- सागर, समुद्र, यहां प्रमात्मा। ईश्वर। सो --- कैसे। हेरी -- खोजना। जाय -- काम होना। दोहे की व्याख्या संत कवि कबीर दास जी कहते हैं , हे संतों !  मैं ईश्वर को ढूंढ रहा था।  ईश्वर को ढूंढने में मैं ऐसा लीन हो गया, ऐसा तल्लीन हो गया कि मैं उसी परमात्मा में विलीन हो गया। अब मेरा अपना कोई अस्तित्व ही नहीं बचा है। अब मैं उस परम सत्ता से स्वयं को पृथक नहीं कर सकता हूं। जैसे पानी का बूंद समुद्र में जब एक बार मिल जाए तो उसे अलग नहीं किया जा सकता है। उसी प्रकार मुझे भी अब परम ब्रह्म से अलग नहीं किया जा सकता है। महाकवि कबीर दास का आशय है कि ,    आत्मा  जब परमात्मा में पूरी तरह लीन हो जाता है तब वह परमात्मा में विलीन हो जाता है और तब यही स्थिति मोक्ष कहलाती

कुछ काम करो, कविता,kuchh Kam kro poem, नर हो , न निराश करो मन को, मैथिली शरण गुप्त

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कुछ काम करो, कविता,नर हो न निराश करो मन को  kuchh Kam kro, kuchh Kam kro poem,  कुछ काम करो कविता, कुछ काम करो कविता का भावार्थ, कुछ काम करो कविता का शब्दार्थ, कुछ काम करो कविता के कवि कौन है ? कुछ काम करो कुछ काम करो का भाव क्या है ? जग में रहकर नाम कैसे किया जाता है ? राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की प्रसिद्ध कविता कुछ काम करो kuchh Kam kro poem ka bhawarth, kuchh Kam kro poem, kuchh Kam kro , kuchh Kam kro प्रिय पाठकों ! मैथिलीशरण गुप्त जी द्वारा रचित" कुछ काम करो "कविता बहुत पुरानी कविता है। हमारे शिक्षक , माता पिता इसे सुनाकर हमारे मन को उत्साहित करते थे। और आज भी यह कविता पढ़कर हमारा मन उत्साह से भर उठता है। यहां वही कविता' कुछ काम करो 'की पंक्तियां, भावार्थ और प्रश्न उत्तर के साथ आपके स्मृति को तरोताजा करने के लिए दिया गया है। नर हो न निराश करो  मन को। कुछ काम करो कुछ काम करो। जग में रहकर कुछ नाम करो। यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो समझो जिसमें यह व्यर्थ न हो। कुछ तो उपयुक्त करो तन को नर हो न निराश करो मन को। कुछ काम करो कुछ काम करो जग में रहकर कुछ नाम करो।। संभालो कि सु

Ganga Nahana muhavare, गंगा नहाना मुहावरे का अर्थ, वाक्य में प्रयोग, कहानी, अनुच्छेद

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  Ganga Nahana muhavare, गंगा नहाना मुहावरे का अर्थ, वाक्य में प्रयोग, कहानी, अनुच्छेद गंगा नहाने मुहावरा, मुहावरे  Ganga Nahana muhavare ka Arth,                गंगा नहाना मुहावरे का अर्थ बड़ा कार्य पूरा करना,  कृतार्थ होना। उद्बोधन कविता , मैथिलीशरण गुप्त पढ़ें    गंगा नहाना मुहावरे का वाक्य में प्रयोग * राम प्रसाद बेटी का व्याह कर दिया मानो गंगा नहा लिया। * सोहन इस मंहगाई में भी घर बना लिया, समझो गंगा नहा लिया। * एक बेटा और है, उसकी नौकरी लग जाय तो समझिए गंगा नहा लिया। * राम प्रसाद बैंक का ऋण चुकाने में सफल हो गया, समझ लो गंगा नहा लिया। * इतना बड़ा प्रोजेक्ट पूरा करना बहुत मुश्किल लग रहा था, खैर, काम समय से हो गया, समझ लो मैं गंगा नहा लिया। गंगा नहाना मुहावरे की कहानी  सोहन लाल एक साधारण किसान था। उसके चार बेटे और दो बेटियां थीं। मंहगाई के जमाने में, और कम आमदनी के कारण उसे अपने परिवार का पालन पोषण करना बहुत मुश्किल लग रहा था। धीरे धीरे समय बीतता गया। सभी बच्चे बड़े होते गए। बड़ा बेटा अमन बहुत होनहार निकला। बह काफी मेहनती और ईमानदार था। हर काम में अपने पिता का हाथ बंटाने लगा। सोहन ल

संस्कृति, कक्षा दसवीं, sanskriti class 10th , संस्कृत कौन है ? सभ्यता क्या है ? लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन, सारांश, प्रश्नोत्तर, लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन का परिचय

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  "संस्कृति" पाठ, कक्षा दसवीं, sanskriti class 10th , संस्कृत कौन है ? सभ्यता क्या है ? लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन, सारांश, प्रश्नोत्तर, लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन का परिचय sanskriti, class tenth, questions answers sanskriti, sanskriti in hindi, कक्षा 10, संस्कृति किसे कहते हैं ? संस्कृति का अर्थ, sanskriti kise kahte hai, sanskriti ka arth, संस्कृति पाठ का सारांश, संस्कृत कौन है ? सभ्यता क्या है ? क्या सभ्यता और संस्कृति एक है ? संस्कृति पाठ का प्रश्न उत्तर, लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन का परिचय, कक्षा दसवीं प्रश्न उत्तर, ncert salutations, tenth Hindi, संस्कृति पाठ कक्षा दसवीं। क्षितिज, kshitij, class tenth Hindi sanskriti chepter, संस्कृति पाठ का सारांश Sanskriti path ka saransh  सभ्यता और संस्कृति शब्दों का सबसे अधिक प्रयोग होता है। लेखक भदंत आनंद कौसल्यायन  लिखते हैं कि क्या यह दोनों एक ही चीज है अथवा दो। इस पाठ में सभ्यता और संस्कृति से जुड़े अनेक प्रश्नों पर विचार किया गया है। लेखक का मानना है कि सभ्यता संस्कृति का ही परिणाम है । मानव संस्कृति  अविभाज्य वस्तु है जो मनुष्य के ल

डाक वितरण की अनियमितता का उल्लेख करते हुए डाकपाल महोदय को पत्र लिखिए, Dak vitran ki aniymitta ka varnan krte hue Dakpal ko patra likhiye

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------------------------------------------------------------------------------ डाक वितरण की अनियमितता का उल्लेख करते हुए डाकपाल महोदय को पत्र लिखिए, Dak vitran ki aniymitta ka varnan krte hue Dakpal ko patra likhiye सेवा में, डाकपाल महोदय, प्रधान डाकघर, धनबाद। विषय -- डाक वितरण की अनियमितता के संबंध में। महाशय, निवेदन है कि मैं भूली नगर, धनबाद में रहता हूं। हमारे क्षेत्र में डाकिया प्रतिदिन डाक वितरण करने नहीं आता है। कभी कभी वह आता भी है तो हमारे पत्र किसी दूसरे व्यक्ति के हाथ में देकर चला जाता है। ऐसी स्थिति में हमारे पत्र हमें समय से नहीं मिल पाते है। विद्यार्थी और परीक्षार्थियों को तो बहुत परेशानी होती है। उनके पत्र तो कभी कभी परीक्षा के बाद मिलते हैं। उनसे शिकायत करने पर भी कोई सुधार नहीं हुआ है। नचिकेता कहानी, प्रश्न उत्तर अतः श्रीमान से निवेदन है कि हमारे क्षेत्र में डाक वितरण की व्यवस्था नियमित करने की व्यवस्था की जाय। इस महती कृपा के लिए हम नगरवासी आपके आभारी रहेंगे।    सधन्यवाद।    भवदीय नगरवासी दिनांक  YouTube se Paisa kamaye बिना किसी खर्च के   आर्थिक सहायता प्रदान करने के

यूट्यूब YouTube से अच्छा कोई बिजनेस नहीं, YouTube सबसे आसान और फायदेमंद बिजनस, YouTube से खूब पैसे कमाए

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 यूट्यूब YouTube से अच्छा कोई बिजनेस नहीं, YouTube सबसे आसान और फायदेमंद बिजनस, YouTube से खूब पैसे कमाए  यदि आप के पास बिजनेस करने के लिए पैसे नहीं हैं, कोई बात नहीं। आप किसान हैं, आप विद्यार्थी हैं, आप गृहणी हैं अथवा माली हैं, खिलाड़ी हैं या दुकानदार, पैसे हैं या नहीं, कोई बात नहीं , यूट्यूब आपके लिए पैसे कमाने का बहुत अच्छा प्लेटफार्म है, जहां विडियो डालकर आप खूब पैसे कमा सकते हैं। जानिए कैसे ? ********************************************** दोस्तों ! YouTube एक ऐसा नाम है जहां से हजारों लोग खूब पैसे कमा रहे हैं। आपको विश्वास नहीं होगा, यूट्यब इतना पैसा देता है कि आपको विश्वास नहीं होगा। आप बेरोजगार हैं, बिजनेस करना चाहते हैं परन्तु पैसे नहीं हैं, कोई बात नहीं, YouTube पर बिजनेस करने केलिए पैसे नहीं , बल्कि कोई एक टैलेंट की जरूरत होती है। आपको जो कुछ भी आता है, उससे संबंधित विडियो बनाइए और YouTube पर अपलोड कर दीजीए, विडियो वायरल हो गया तो आपके खाते में पैसे की बरसात हो जाएगी। आप यदि किसान हैं तो खेती करने का हाल आप जरूर जानते हैं, बस उसी से संबंधित विडियो बना दीजिए। कैसे खेत तैयार कर

"मैं मजदूर" निबंध कक्षा आठवीं, mai majdoor, मजदूर का योगदान,

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   "मैं मजदूर" निबंध कक्षा आठवीं, mai majdoor, मजदूर का योगदान,                                     मैं मजदूर  Mai Majdoor, nibandha, मैं मजदूर, संसार के निर्माण में मजदूर का योगदान, भारत के मजदूरों ने विदेशों में भी निर्माण कार्य किया। मजदूर सुख सुविधाओं से वंचित क्यों रहें है । मजदूर की आत्मकथा, मजदूर की समस्या। Mai Majdoor, class 8, mal majdoor chapter questions answers, ncert salutations, majdoor ki DSA, majdoor ka Kam, saransh,  मजदूर कहते हैं - मैं मजदूर हूं। मैंने प्राचीन काल से लेकर आज तक सभ्यता की सीढ़ियां मैंने गढ़ी है। जमाना बदला लेकिन मैंने ज़मीन पर पीठ तक नहीं टिकाई। मजदूर कहते हैं -- मैं आराम करने लगूं तो गजब हो जाएगा। मेरे लिए आराम हराम है। मैं खेतों से अन्न उपजाने का काम करता हूं। मैं आराम करने लगूं तो लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाएंगे। मैंने नदियों के बहाव को रोका है और उन पर विशाल पूलों का निर्माण किया है। मैंने बड़ी-बड़ी इमारतों को बनाया है । इन लंबी लंबी सड़कों को किसने बनाया? कश्मीर की क्यारियों में केसर किसने उगाई ? खेतों में फसलें किसने पैदा की

अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल , Amar Shaheed Ramprasad Bismil, biography

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 अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल , Amar Shaheed Ramprasad Bismil, biography राम प्रसाद बिस्मिल का जीवन परिचय,Ram Prasad Bismil ka jeevan parichay , Ram Prasad Bismil ki mirtyu Khan hui. 19 दिसंबर, 1927 प्रातः साढ़े छः बजे का समय । गोरखपुर जेल से फांसी के तख्ते की ओर जाते हुए एक क्रांतिकारी हुंकार भरते हुए कह उठा -- " मालिक तेरी रज़ा रहे और तू ही तू रहे,  बाकी न मैं रहूं न मेरी आरज़ू रहे।  जब तक कि तन में जान, रगों में लहू रहे,  तेरा ही जिक्र या तेरी ही जुस्तजू रहे।।" फिर उसने अपनी इच्छा व्यक्त करते हुए कहा -- " मैं ब्रिटिश सरकार का विनाश चाहता हूं। " ये शब्द अमर शहीद रामप्रसाद बिस्मिल के हैं जब वे फांसी के फंदे पर झूलने जा रहे थे। राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 1897 ई में हुआ था। ऊर्दू की चौथी कक्षा पास करने के बाद जब वे पांचवीं कक्षा में पहुंच तब उनकी आयु 14 वर्ष की थी। बचपन में उन्हें कुछ बुरी आदतों ने घेर लिया था लेकिन उसी समय मुंशी इंद्रजीत से उनका मेल जोल हुआ और उन्होंने संध्या सीखी। बिस्मिल लिखते हैं -- "सत्यार्थ प्रकाश " के अध्ययन से मेरा काया पलट हो गया। उन