"मैं मजदूर" निबंध कक्षा आठवीं, mai majdoor, मजदूर का योगदान,
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मैं मजदूर
Mai Majdoor, nibandha, मैं मजदूर, संसार के निर्माण में मजदूर का योगदान, भारत के मजदूरों ने विदेशों में भी निर्माण कार्य किया। मजदूर सुख सुविधाओं से वंचित क्यों रहें है । मजदूर की आत्मकथा, मजदूर की समस्या।
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मजदूर कहते हैं - मैं मजदूर हूं। मैंने प्राचीन काल से लेकर आज तक सभ्यता की सीढ़ियां मैंने गढ़ी है। जमाना बदला लेकिन मैंने ज़मीन पर पीठ तक नहीं टिकाई।
मजदूर कहते हैं -- मैं आराम करने लगूं तो गजब हो जाएगा। मेरे लिए आराम हराम है। मैं खेतों से अन्न उपजाने का काम करता हूं। मैं आराम करने लगूं तो लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हो जाएंगे।
मैंने नदियों के बहाव को रोका है और उन पर विशाल पूलों का निर्माण किया है। मैंने बड़ी-बड़ी इमारतों को बनाया है । इन लंबी लंबी सड़कों को किसने बनाया? कश्मीर की क्यारियों में केसर किसने उगाई ? खेतों में फसलें किसने पैदा की ? मैंने ! केवल मजदूर ने।
दिन सोता था। रात सोती थी, लेकिन मजदूर जगता था। मजदूर ने पहाड़ों को कांटा, चट्टानों को खोदा, खदानों में पहुंचा और वहां से सोना, चांदी लोहा, कोयला, हीरा सब कुछ निकाला।
मजदूर कहता है-- मैंने वनों को काटा . पथरीली जमीन को खोद खोद कर नरम बनाया। मुझे अंग्रेज भारत से मारीशस, फीजी आदि अफ्रीकी घने जंगलों में ले गए। वहां सूर्योदय से सूर्यास्त तक काम किया ।खेतों से अन्न उपजाए। अपने देश से इतना दूर रहकर भी अपने देश से जुड़ा रहा। जानते हैं ,मेरे थके मन को हनुमान चालीसा और रामायण की पंक्तियां शांति प्रदान करती थी। वहां मैंने गोरी दुनिया का पेट भरा। मैंने बड़े-बड़े महलों का निर्माण किया लेकिन महलों में रहने वाले लोग मेरी झोपड़ियों से घृणा करने लगे।
मेरी स्थिति जानवरों के समान थी। जमीन के साथ मुझे भी बेंच दिया जाता था। जिस फसल को मैं उगाता था उसे खाने का मुझे अधिकार नहीं था।
प्राचीन काल से आज तक सभी ने मेरा शोषण किया । आज भी मैं वेवश और बेघर हूं। मेरे बाल बच्चे बिना घर के हैं । कहीं घास की फूस की झुग्गी झोपड़ियों में मेरी दुनिया सिमट कर रह गई संसद में मेरे लिए कानून बनते रहे लेकिन कानून बनाने वाले हैं उनकी धज्जियां उड़ाते रहे । मेरी आवश्यकता सबको है, लेकिन मेरी चिंता किसी को नहीं है।
एक बात और मैंने रेल की पटरियां बिछाई, पूल बनाए । हवाई जहाज बनाएं लेकिन उसमें मैं बैठ नहीं सकता। नाविक नाव को अपना कह कर दिनभर उस पर बैठ लेता है । हलवाई अपने द्वारा बनाई हुई मिठाइयों को चख लेता है लेकिन मैं मजदूर अपने द्वारा बनाई गई किसी चीज को अपना नहीं कह सकता हूं।
दुनिया की कौन सी चीज है जिसे मैंने अपने हाथों से नहीं बनाया। मैंने तिनका से पहाड़ बनाया , मेरे हाथों में जादू है लेकिन फिर भी मेरे पास कुछ नहीं है। मैं भूखा और नंगा क्यों हूं ? इसका जवाब कौन देगा ? क्या आप ?
महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
1 प्रश्न यह पाठ किस शैली में लिखा गया है ?
उत्तर -- आत्मकथात्मक शैली में।
2. प्रश्न - मजदूर आराम करने लगे तो क्या गजब हो जाएगा ?
उत्तर -- मजदूर आराम करने लगे तो दुनिया की गति रुक जाएगी ।हजारों लाखों लोग भूखे मरने लगेगे । सब कुछ थम जाएगा । रेल के पहिए रुक जाएंगे। बिजली समाप्त हो जाएगी ।इसलिए मजदूर दिन रात काम करते हैं। यदि मजदूर आराम करने लगे तो सब कुछ बिखर जाएगा।
प्रश्न 3. मजदूर ने क्या क्या निर्माण कार्य किया है ?
उत्तर - मजदूर ने घर बनाया, रेलवे बनाए, फैक्टियां बनाई, खेत बनाए, बाग बगीचे बनाए हैं। सड़कों को बनाया है।
4 प्रश्न -- मजदूर धरती से बहुमूल्य पदार्थ किसके लिए निकालता है ?
उत्तर - मजदूर धरती से बहुमूल्य पदार्थ हम सबके लिए निकालता है।
5 प्रश्न -- मजदूरों ने अफ्रीका के घने वनों में क्या किया ?
उत्तर -- मजदूरों ने अफ्रीका के घने जंगलों को काटकर बड़े बड़े खेत बनाए हैं। अन्न उपजाए।
6 मजदूर यह क्यों कहता है -- हाय री ! मेरी किस्मत।
उत्तर - मजदूर सब कुछ बनाता है दूसरे के लिए। उसके बनाए महलों में रहने वाले लोग उसी से घृणा करते हैं। उसके बनाए चीज़ों पर उसका कोई अधिकार नहीं है। इसलिए वह कहता है - हाय री ! मेरी किस्मत !
7. मजदूर अपनी बनाई चीजों का सुख स्वयं क्यों नहीं भोग पाता ?
उत्तर - मजदूर के अपने कुछ नहीं है। वह दूसरे के लिए सब कुछ बनाता है। इसलिए वह अपने द्वारा बनाए गए चीजों का सुख नहीं भोग पाता।
8 मजदूर अभी भी भूखा नंगा क्यों है ?
उत्तर मजदूर के लिए बनाए गए नियम और नीतियां सही नहीं है। कानून बनाने वाले लोग ही उसकी धज्जियां उड़ाते हैं। इसलिए मजदूर आज भी भूखा नंगा हैं।
9 प्रश्न -- इस पाठ को लिखने का क्या उद्देश्य है ?
उत्तर -- मजदूरों के दीन हीन दशा को दर्शाना ही इस पाठ का उद्देश्य है।
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