जैसी करनी वैसी भरनी Jaisi karni waisi bharni

        

     
Jaisi karni waisi bharni

 जैसी करनी वैसी भरनी 

                  Jaisi  karni  waisi bharni

                  लेखक -- डॉ उमेश कुमार सिंह 

एक राजा था । उसने अपने तीन दरबारी मंत्रियों को बुलाया और कहा -- जाओ और अपने हाथ में एक एक थैली लेकर शीघ्र आओ। राजा की आज्ञा थी। भला विलम्ब कैसे होती ? तीनों मंत्रियों ने जल्दी से एक - एक थैली लेकर राजा के पास हाजिर हुए। अब राजा ने उन्हें उस थैले में ऐसे - ऐसे फल भरकर लाने को कहा जो राजा को पसंद हों। राजा की पसंद की बात थी । तीनों मंत्री बगीचे की ओर दौड़ पड़े। 


अब आगे की बात सुनिए। पहले मंत्री ने सोचा - राजा को पसंद करने के लिए हमें अच्छे-अच्छे फल इक्कठे करने चाहिए। राजा खुश होंगे तो हमें इनाम देंगे। ऐसा सोचकर उसने खूब मीठे-मीठे फ़ल थैली में भर लिए। 

अब दूसरे मंत्री की बात सुनिए। उन्होंने सोचा। राजा कौन थैली खोलकर फल देखने जा रहे हैं। इसलिए उन्होंने जैसे तैसे कुछ अच्छे कुछ खराब फल थैली में भर लिए।


अब तीसरे मंत्री की करतूत सुनिए। उसने सोचा - राजा के महल में फलों की क्या कमी है। कौन थैली देखने जा रहा है। इसलिए उन्होंने फल की जगह थैली में ईंट पत्थर भर लिए। 


तीनों मंत्री पुनः राजा के दरबार में उपस्थित हुए। और कहा , महाराज ! हम तीनों मंत्रियों ने आपकी पसंद के फल बगीचे से चुन चुन कर लाएं हैं। यह सुनकर राजा ने सेनापति को बुलाया और कहा - इन तीनों मंत्रियों को उनके द्वारा लाए गए फलों से भरे थैलियों के साथ ऐसे स्थान पर एक महीने के लिए भेज दिया जाए जहां कुछ भी खाने पीने की चीजें नहीं मिलती हों। ध्यान रखें किसी समय इन्हें कुछ भी खाने को नहीं दिया जाय। ये तीनों अपने द्वारा लाए गए फलों को खाकर ही एक महीने का समय व्यतीत करेंगे। सेनापति ने राजा की अनुमति का पालन करते हुए उन तीनों मंत्रियों को अलग अलग स्थानों पर भेज दिया और सख्त पहरा लगा दिया कि अपने द्वारा लाए गए फलों के अतिरिक्त कुछ भी खाने को उन्हें न मिले।


पहले मंत्री का दिन तो बड़े मजे में कटने लगा क्योंकि उसने अपने थैले में बहुत सुंदर फल लाए थे। दूसरे मंत्री का आधा समय तो किसी तरह कट गया लेकिन तीसरा मंत्री दो दिन बाद ही भूखे पेट बीमार हो गया क्योंकि वह तो कुछ लाया ही नहीं था। इसलिए कहा गया है कि जो जैसा करेगा वैसा ही फल पाएगा। जैसी करनी वैसी भरनी। दोस्तों , दूसरे को धोखा देने वाला एक दिन अवश्य धोखा खाता है।


       

            संपर्क करें ,  ( contact me )

               Dr.Umesh Kumar Singh


Dr. Umesh Kumar Singh

                    Dr. Umesh Kumar Singh
                                          M.A. ( Hindi ) Ph- D

       Founder and writer of www.bimalhindi.in
                Hindi blogs


टिप्पणियाँ

Recommended Post

Bade Ghar ki Beti , story, बड़े घर की बेटी, कहानी , प्रेमचंद

फूल और कांटा (Phul aur Kanta) poem

1.संपादन ( sampadan) 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

चेतक ( कविता ) Chetak horse

बच्चे काम पर जा रहे हैं , कविता, कवि राजेश जोशी, भावार्थ, व्याख्या, प्रश्न उत्तर, राजेश जोशी का जीवन परिचय, Bachche kam pr ja rhe hai poem, 9th class hindi