नचिकेता कहानी का सारांश और प्रश्न - उत्तर Nachiketa story summary and questions answers


 Nachiketa  नचिकेता कहानी 

स्वर्ग पाने के उपाय sawarg pane ke upay

आत्मा का रहस्य क्या है ? Atama ka rahasya 

नचिकेता की कहानी क्या है ? 
नचिकेता के गुरु कौन है थे ?
यमराज नचिकेता के गुरु थे। यमराज ने नचिकेता को आत्मा के रहस्य के बारे में जानकारी दी।

Nachiketa

              नचिकेता 

नचिकेता कहानी का सारांश और प्रश्न - उत्तर Nachiketa story summary and questions answers , by Dr. Umesh Kumar Singh 

नचिकेता कहानी कठोपनिषद से ली गई है। यह कथा बालक नचिकेता के माध्यम से एक ऐसा उदात्त चरित्र प्रस्तुत करती है जिसमें अटूट सत्य निष्ठा, दृढ़ पितृभक्ति के साथ अनुचित कार्य करने पर  पिता का विरोध करने का और आत्म ज्ञान हेतु सांसारिक सुखों के प्रलोभन को ठुकरा देने का साहस भी है। नचिकेता का चरित्र अनुकरणीय है। यहां कहानी के साथ ही प्रश्न उत्तर भी दिया गया है।



यज्ञ की अग्नि प्रज्वलित हो रही थी। वेद मंत्रों के साथ ब्राह्मण यज्ञ कुंड में घी आदि की आहूतियां दे रहे थे। वेदोच्चारण से वातावरण पवित्र हो रहा था। वाजश्रवा के चेहरे पर विशेष प्रसन्नता का भाव था क्योंकि उनके द्वारा आयोजित यज्ञ की आज पूर्णाहूति जो थी। देश भर के बड़े - बड़े विद्वान पंडित वहां पधारे थे । उन्हें लग रहा था कि यज्ञ की पूर्णाहुति के पश्चात वाजश्रवा उन्हें एक से बढ़कर एक कीमती और उपयोगी वस्तुएं दक्षिणा में देगा।

यज्ञ समाप्त हुआ। ब्राह्मणों ने बाजश्रवा को आशीर्वाद दिया और वह उन्हें दक्षिणा देना प्रारंभ किया,  लेकिन उसे किसी मोह ने घेर लिया ? कहां वह निश्चय किया था कि यज्ञ समाप्ति के पश्चात वह अपनी सारी संपत्ति दान कर देगा लेकिन दक्षिणा में वह बेकार की वस्तुएं और बूढी गायें देने लगा।

लोग दबी जुबान से उसकी आलोचना करने लगे। परंतु सबसे ज्यादा दुखी वाजश्रवा का पुत्र नचिकेता था। अपने पिता की कृपणता देख उससे रहा नहीं गया और बोला , " पिताजी , दक्षिणा में तो लोग अपनी प्रिय से प्रिय वस्तु दान में देते हैं। आपने तो ऐसी गायें दी हैं, जिनका आपके लिए कोई उपयोग ही नहीं रहा। इससे आपको पुण्य नहीं मिलेगा। "

फिर कुछ रूककर बोला , " पिताजी आपको सबसे प्रिय तो मैं हूं, आप मुझे ही दक्षिणा में किसी को क्यों नहीं दे देते ?" 

वाजश्रवा नचिकेता के बात पर ध्यान नहीं देते लेकिन नचिकेता बार बार यही प्रश्न दुहराता रहा। इससे झुंझला कर वाजश्रवा ने कहा जा मैं तुझे मृत्यु के देवता को दान में दिया। 

नचिकेता विनम्र भाव से बोला , पिताजी आप क्रुद्ध न हों। मैं आपके आदेश का पालन करूंगा।  अब वाजश्रवा को अनुभव हुआ कि उसने क्रोध में क्या कह डाला । लेकिन कमान से निकला तीर और मुंह से निकली बोली भला कब लौटती है ? नचिकेता अपने पिता और अन्य संबंधियों से विदा लेकर यमराज के घर पहुंच गया।

यमराज उस समय घर पर नहीं थे। तीन दिन बाद लौट कर देखा कि एक ब्राह्मण कुमार भूखा - प्यासा उनके द्वार पर खड़ा है तो वे बहुत दुखी हुए। नचिकेता की बात से वे बहुत प्रभावित हुए। यमराज ने नचिकेता से तीन वरदान मांगने को कहा । 

नचिकेता बहुत प्रसन्न हुआ। उसने यमराज से कहा -  है धर्मराज! आप मुझे पहला वर तो यह दीजिए कि मेरे पिताजी का क्रोध मुझपर शांत हो जाए और  जब मैं यहां से जाऊं तो वे मुझसे प्यार से बोले और मुझे पहचान लें।
यमराज ने कहा - ऐसा ही होगा। अब दूसरा वर मांगों।
नचिकेता ने कहा - सुनते हैं कि स्वर्ग लोक में बहुत सुख मिलता है। मेरे पिताजी जी भी स्वर्ग लोक की कामना से ही यज्ञ किया था। उस आनंद भरी स्वर्ग को कैसे प्राप्त किया जा सकता है, कृपया इसका उपदेश दीजिए।
स्वर्ग के बारे में नचिकेता की जिज्ञासा जानकर यमराज को कुछ आश्चर्य हुआ। उन्हें लगा - इतना छोटा बालक इस संसार की वस्तुएं न मांगकर अदृश्य स्वर्ग के बारे में प्रश्न कर रहा है। वचनबद्ध यमराज ने नचिकेता को वे सारी विधियां बताई जिन्हें अपनाकर मनुष्य स्वर्ग प्राप्त कर सकता है। नचिकेता ने वह सब कुछ वैसा ही सुना दिया जैसा यमराज ने उसे सुनाया था। नचिकेता की तीव्र बुद्धि से यमराज बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा - वत्स ! अब तीसरा वर मांगों।

नचिकेता सोचने लगा इस संसार की सारी वस्तुएं उसके पास है ही, स्वर्ग का रहस्य उसने जान ही लिया। अब एक जिज्ञासा यह है कि आत्मा का रहस्य क्या है ? कुछ लोग लोग कहते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा रहती है, कुछ लोग कहते हैं कि मृत्यु के बाद आत्मा मर जाती है। वह यमराज से बोला - कृपा कर आत्मा के रहस्य के बारे में मुझे बताएं।

यमराज को ऐसे अल्पवयस्क बालक से ऐसे प्रश्न की उम्मीद नहीं थी। उन्होंने नचिकेता को तरह तरह के प्रलोभन देकर दूसरा प्रश्न पूछने को कहा लेकिन वह आत्मा के रहस्य जानने पर अडिग रहा। वचनबद्ध यमराज ने नचिकेता को आत्मा का रहस्य बताते हुए कहा --

आत्मा न तो कभी पैदा होती है न मरती है। वह अजर अमर है। शरीर के नष्ट होने पर भी वह विद्यमान रहती। आत्मा का ज्ञान ही सच्चा ज्ञान है। ज्ञानी मनुष्य सब प्राणियों को अपने अंदर और सब प्राणियों में अपने को अनुभव करते हैं।
यमराज आगे बोले - अपने शरीर को तुम एक रथ मानो तो इंद्रियों को घोड़े मानो। मन उन घोड़े का लगाम है। और बुद्धि सारथी है। इस रथ पर यात्रा करने वाला यात्री आत्मा है। उसी के लिए यह सारा खेल रचा गया है। 

जिस प्रकार दुष्ट घोड़े रथ में सवार यात्री को संकट में डाल देता है उसी तरह अनियंत्रित इंद्रियां मनुष्य को दुर्दशा की ओर ले जाती है।
बालक नचिकेता यमराज की अनुमति से अपने घर वापस लौट आए और बड़ा होकर विद्वान और धर्मात्मा ऋषि बना।

नचिकेता पाठ का प्रश्न उत्तर questions answers of Nachiketa 


 1. यज्ञ की समाप्ति पर बाजश्रवा को किस मोह ने घेर लिया ?

उत्तर - यज्ञ के प्रारंभ में बाजश्रवा ने यह संकल्प लिया था कि वह यज्ञ की समाप्ति पर ब्राह्मणों को प्रिय से प्रिय वस्तुएं दान में देगा परंतु यज्ञ की समाप्ति पर उसे मोह ने घेर लिया। वह ब्राह्मण को अनुपयोगी वस्तुएं और बूढी गायें दान में देने लगा।

  2. नचिकेता अपने पिता के किस व्यवहार के कारण दुखी हो गया था ?

उत्तर -- नचिकेता देख रहा था कि उसके पिता को मोह ने घेर लिया है। वे अनुपयोगी वस्तुएं और बूढी गायें दान में देने लगे हैं। इससे वह दुखी हो गया।

3. नचिकेता के अनुसार दक्षिणा का क्या रूप होना चाहिए था ?

उत्तर - नचिकेता के अनुसार दक्षिणा में ऐसी चीजें होनी चाहिए जो बहुत प्रिय हैं। बहुत उपयोगी हों।

4. नचिकेता अपने पिता से बार बार क्या पूछता था ?

उत्तर - नचिकेता अपने पिता से बार बार यही पूछता कि आप दक्षिणा में मुझे किसे दे रहे हैं , क्योंकि मैं आपको सबसे प्रिय हूं।

5. नचिकेता के प्रश्नों से झुंझलाकर बाजश्रवा ने क्या कहा ?

उत्तर - नचिकेता के प्रश्नों से झुंझलाकर बाजश्रवा ने कहा कि जाओ मैं तुझे मृत्यु के देवता यमराज को दान में देता हूं।

6 नचिकेता की दृष्टि में कौन सी वस्तु पृथ्वी और स्वर्ग के सुख से भी बढ़कर थी ?

उत्तर -- नचिकेता की दृष्टि में आत्मा के रहस्य का ज्ञान पृथ्वी और स्वर्ग के सुख से भी बढ़कर थी।

कुछ अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर 

1. बाजश्रवा नचिकेता को मृत्यु को देने की बात को वापस क्यों न ला सका ?

उत्तर -जिस प्रकार धनुष से निकला बाण को वापस नहीं लौटाया जा सकता है उसी प्रकार मुंह से निकली बोली वापस नहीं लायी जा सकती है।

2. यमराज को नचिकेता अन्य बालकों से भिन्न क्यों लगा ?

उत्तर -- नचिकेता जब यमराज के घर पहुंचा तब यमराज कहीं बाहर गए हुए थे। जब वे तीन दिन बाद लौट कर आए तो देखा कि एक बालक तीन दिन से उनके दरवाजे पर भूखे प्यासे खड़ा है। तब यमराज को लगा कि यह बालक अन्य बालकों से भिन्न है।

3. नचिकेता आगे चलकर क्या बना ?
उत्तर - नचिकेता आगे चलकर महान पंडित और धर्मात्मा बना।

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