कर्मवीर कविता , कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध
कर्मवीर कविता, अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध , कर्मवीर कविता का भावार्थ और प्रश्न उत्तर
देखकर बांधा विविध बहुत विघ्न घबराते नहीं
रह भरोसे भाग के दुख भोग पछताते नहीं
काम कितना ही कठिन हो किन्तु उकताते नहीं
भीड़ में चंचल बने जो वीर दिखलाते नहीं
हो गये एक आन में उनके बुरे दिन भी भले
सब जगह सब काल में वे ही मिले फूले फले।।
आज करना है जिसे करते उसे है आज ही
सोचते कहते हैं जो कुछ कर दिखाते हैं वही
मानते जो कि है सुनते हैं सदा सबकी कहीं
जो मदद करते हैं अपनी इस जगत में आप ही
भूल कर वे दूसरों का मुंह कभी तकते नहीं
कौन ऐसा काम है वे कर जिसे सकते नहीं।।
जो कभी अपने समय को यों बिताते हैं नहीं
काम करने की जगह बातें बनाते हैं नहीं
आज़ कल करते हुए जो दिन गंवाते हैं नहीं,
यत्न करने से कभी जो जी चुराते हैं नहीं
बात है वह कौन जो होते नहीं उनके लिए
वे नमूना आप बन जाते हैं औरों के लिए।।
व्योम को छूते हुए दुर्गम पहाड़ों के शिखर,
वे घने जंगल जहां रहता है तम आठो पहर
गर्जते जल राशि की उठती हुई ऊंची लहर
आग की भयदायिनी फैली दिशाओं में लपट
ये कंपा सकती कभी जिसके कलेजे को नहीं
भूल कर भी वह नहीं नाकाम रहता है कहीं।।
कर्मवीर कविता का भावार्थ
कविवर अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध कर्मवीर की विशेषता बताते हुए कहते हैं -- तरह -तरह की बाधाए और विध्नों को भी देखकर वे घबराते नहीं है बल्कि डटकर मुकाबला करते हैं। काम कठिन से कठिन क्यों न हो, वे विचलित नहीं होते। कर्मवीर बैठकर सोचते हुए समय नहीं व्यर्थ में बिताया करते। समय का सदुपयोग करते हैं। इसी सद्गुण के कारण उनके बुरे दिन भी अच्छे बन जाते हैं। और जीवन सफल हो जाता है।
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प्रश्न - विध्न - बाधाओं को देखकर कौन नहीं घबराते ?
उत्तर - विघ्न - बाधाओं को देखकर कर्मवीर नहीं घबराते।
प्रश्न - कल के लिए काम को कौन नहीं छोड़ते ?
उत्तर - कर्मवीर कल के काम को आज ही कर डालते हैं। कर्मवीर कल के लिए काम नहीं छोड़ते।
प्रश्न - कर्मवीर कविता का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर - कर्मवीर कविता का मुख्य उद्देश्य कर्म की प्रधानता बताना है। एक कर्मनिष्ठ व्यक्ति की क्या विशेषता होती है, यह बताना ही कर्मवीर कविता का उद्देश्य है।
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