Sanp poem , सांप कविता, कवि अज्ञेय

  अज्ञेय जी की प्रसिद्ध कविता सांप 

सांप!
तुम सभ्य तो हुए नहीं,
नगर में बसना 
भी तुम्हें नहीं आया ।
एक बात पूछूं ( उत्तर दोगे)
तब कैसे सीखा डसना --
विष कहां पाया ?

कवि -- अज्ञेय 

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